- शासन को भेजी जा रही 23 घंटे सप्लाई की रिपोर्ट
- अधिकांश मोहल्लों में हो रही 18-20 घंटे सप्लाई
- रोस्टिंग फ्री शहर, सारी कटौती इमरजेंसी के नाम
Meerut। एक ओर शहर में बिजली को लेकर हायतौबा मची है, वहीं दूसरी ओर बिजली विभाग अपनी रिपोर्ट में शहर की पॉवर सप्लाई 24 में से 23 घंटे दिखा रहा है। विभाग की ओर से शासन को भेजी जाने वाली मासिक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ कि शहर को पॉवर सप्लाई मुहैया कराने में विभाग न केवल पक्षपात करता है, बल्कि शासन में झूठी रिपोर्ट भेजकर शहरवासियों के साथ छल भी किया जा रहा है।
रिपोर्ट से हुआ खुलासा
बिजली विभाग ने शासन को जो जून माह की पॉवर सप्लाई रिपोर्ट भेजी है। उससे शहरवासियों और शासन के साथ बड़ा धोखा किया जा रहा है। दरअसल, जून माह की इस रिपोर्ट में विभाग ने शहर को 23 घंटे बिजली उपलब्ध कराना दर्शाया है। यहां चौंकाने वाली बात तो यह है कि विभाग ने सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए शहर के कई क्षेत्रों में तो 23 घंटे से अधिक भी पॉवर सप्लाई मुहैया होने की रिपोर्ट दी है।
क्या है वास्तविक स्थिति
शासन को भेजी गई बिजली विभाग की रिपोर्ट के विपरीत शहर में इस समय बिजली की विकट समस्या है। शहर में अघोषित कटौती के नाम पर पांच से छह घंटे बिजली गुल रहने से लोगों में हाय-तौबा का माहौल है। रमजान को देखते हुए विभाग की ओर से वैसे तो शहर को रोस्टिंग फ्री रखा गया है, लेकिन इमरजेंसी रोस्टिंग के नाम पर कई घंटों की बिजली काट ली जाती है। परेशान जनता जब विभागीय अधिकारियों से कारण पूछती है तो वो इसको ओवरलोडिंग के कारण इमरजेंसी रोस्टिंग बताकर पल्ला झाड़ लेते हैं।
फाइलों में दौड़ रही बिजली
शहर में पॉवर सप्लाई की वर्तमान स्थिति को देखें तो इस समय शहर को औसतन 16 से 18 घंटे बिजली मिल रही है। वो बात अलग कि विभाग अपनी रिपोर्ट में 23 घंटे पॉवर सप्लाई दिखाकर फाइलों में 6 से 7 घंटे फर्जी बिजली दौड़ा रहा है। चाहे शासन और पब्लिक को धोखा देना हो या फिर अपनी छवि बिगड़ने से बचाने की कवायद कारण चाहे जो भी जनता विभाग की इस कारगुजारी का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है।
आखिर कहां जा रही है बिजली
शासन की ओर से शहर को रोस्टिंग फ्री रखा गया है। बावजूद इसके शहर को बामुश्किल 16 से 18 घंटे बिजली मिल रही है। विभाग अपनी रिपोर्ट में 23 घंटे बिजली आपूर्ति दिखा रहा है। इससे स्पष्ट होता है कि शासन के सख्त निर्देश हैं कि शहर को 23 घंटे या ऊपर पॉवर सप्लाई दी जाए, जिसके टाल-मटोल के लिए विभाग की ओर झूठी रिपोर्ट बनाकर भेजी जा रही है। इस बीच बड़ा सवाल यह है कि रिपोर्ट के अनुसार मिल रही बिजली और वास्तविकता में मिल रही बिजली के बीच की जो छह से सात घंटे की बिजली है वह आखिर कहां दी जा रही है। कहीं ऐसा तो नहीं विभागीय बाजीगरी दिखा कर शहरवासियों के हिस्से की बिजली को बाईपास किया जा रहा हो। खैर हाल चाहे जो हो विभाग की खुद की रिपोर्ट ही उसकी कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा रही है।
विभाग की रिपोर्ट में पॉवर सप्लाई
डिवीजन फर्स्ट --
क्षेत्र पॉवर सप्लाई औसत
हापुड रोड 23.01
रेलवे रोड 23.01
भूमिया पुल 23.01
टाउन हॉल 21.01
देहलीगेट 22.24
माधवपुरम 22.31
खत्ता रोड 22.31
सरस्वती लोक 22.31
पटेल नगर 22.53
ईश्वर पुरी 22.06
डिवीजन सैकेंड ---
सिविल लाइन 23.19
साकेत 22.52
ईके रोड 23.19
भगत लाइन 23.00
हाइडिल कालोनी 23.19
गोल मार्केट 23.19
मेडिकल 23.29
शास्त्रीनगर 23.29
हापुड रोड 23.40
जेल चुंगी 23.40
मयूर विहार 23.29
सप्लाई की व्यवस्था चौबीस घंटे है। इस बीच कभी-कभी ब्रेक डाउन आदि की वजह से एक दो घंटो की कटौती हो जाती है। औसत सप्लाई आवर्स 22 से 23 घंटे ही हैं।
-पीके निगम, एसई अर्बन