प्रमुख सचिव ने किया निरीक्षण, दिए आवश्यक दिशा-निर्देश

प्रमुख सचिव ने प्राइवेट अस्पतालों के साथ भी की चर्चा

Meerut। दो दिवसीय दौरे पर आए चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण उप्र शासन प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने शनिवार को आईएमए प्रतिनिधियों, प्राईवेट डाक्टर व नìसग होम संचालकों के साथ बैठक की। एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज के ऑडिटोरियम में आयोजित बैठक में प्रमुख सचिव ने कहा कि प्राईवेट डाक्टर्स व नìसग होम संचालक कोरोना नियंत्रण में सहयोग करें व कोरोना के संदिग्ध मरीजों की सूचना नियमित रूप से स्वास्थ्य विभाग को दें। इस अवसर पर सीडीओ ईशा दुहन, केजीएमयू के डा। सूर्यकान्त त्रिपाठी, एसजीपीजीआई के डॉ। संदीप कुबा, अपर निदेशक स्वास्थ्य डॉ। रेनू गुप्ता, नगर मजिस्ट्रेट एसके सिंह, एसडीएम संदीप श्रीवास्तव, सीएमओ डॉ। राजकुमार, प्रधानाचार्य एलएलआरएम मेडिकल कालेज डॉ। ज्ञानेन्द्र कुमार, डॉ। अशोक तालियान, डॉ। पीपी सिंह, आईएमए अध्यक्ष डॉ। अनिल कपूर, सचिव डॉ। मनीषा त्यागी, डॉ.अम्बरीश पंवार, डॉ। शिशिर जैन, डॉ। अनिल नौसरान, डॉ। दिनेश मोहन आदि मौजूद रहे।

मास्क नहीं, ढिलाई नहीं

प्रमुख सचिव ने कहाकि जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं आती है तब तक ढिलाई नहीं बरती जाएगी। मास्क का उपयोग जरूरी है। उन्होंने कहा कि प्राइवेट डॉक्टर्स व नìसग होम में कोरोना जांच के सैंपल लेने की व्यवस्था हो तथा सैंपल को एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज व अन्य जांच केन्द्रों पर भेजा जाए। इसके लिए उन्होंने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया। इसमें सीएमओ, एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल, आईएमए के अध्यक्ष शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि केजीएमयू लखनऊ में ईसीसीएस (इलेक्ट्रॉनिक कोविड केयर सपोर्ट) नेटवर्क जिसके माध्यम से सीनियर डॉक्टर्स वर्चुअल संवाद कर किसी भी मरीज के इलाज के संबंध में सलाह ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि दूसरे नìसग होम व कोरोना का ईलाज कर रहे अस्पताल इसका उपयोग करें।

ये सात स्थितियां हैं जरूरी

केजीएमयू के डॉ। सूर्यकांत ने बताया की मरीज को हायर सेंटर भेजने के लिए कुछ सात स्थितियां बहुत महत्वपूर्ण हैं। इसमें पहला लक्षण अल्टर्ड सेन्सोरियम या कमजोर सामान्य स्थिति है। इसके बाद दो या तीन दिन से लगातार उपचार के बावजूद 101 डिग्री से ऊपर बुखार रहना, 120 से ज्यादा पल्स रेट होना, सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 90 से कम होना, श्वास गति 30 प्रति मिनट से ज्यादा होना, ऑक्सीजन स्तर/सेचुरेशन 90 से कम होना व विभिन्न अंगो के अक्रियाशील होने पर मरीज को समय रहते तत्काल एल-3 अस्पताल के लिए भेज देना चाहिए।

दस दिन महत्वपूर्ण

एसजीपीजीआई लखनऊ के डॉ। संदीप कुबा ने कहा कि कोरोना मरीज के इलाज में पहले दस दिन सबसे महत्वपूर्ण हैं .उन्होंने कहा कि एसजीपीजीआई की वेबसाइट पर डाटा व वीडियो आदि उपलब्ध कराया गया है। इस दौरान कमिश्नर अनीता सी मेश्राम ने कहा कि जिस भी मरीज को बुखार है या सांस लेने में तकलीफ है या आईएलआई व सारी के मरीजों की कोरोना जांच आवश्यक तौर पर करवाई जाएगी। डीएम के। बालाजी ने कहा कि किसी व्यक्ति की जितनी जल्दी कोरोना जांच होगी तो वह अपने व अपने परिवार को सुरक्षित रख सकता है। मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल डॉ। ज्ञानेन्द्र कुमार ने कहा कि मेडिकल कालेज में कोरोना जांच के लिए आरटीपीसीआर के 4 लाख टेस्ट किये जा चुके हैं। आईएमए अध्यक्ष डॉ। अनिल कपूर ने कहा कि प्राईवेट डाक्टर व अस्पताल प्रशासन को कोरोना नियंत्रण में हर संभव सहयोग करेंगे।