इंट्रो- मेरठ का शहर विधानसभा क्षेत्र कई मायनों में खास है। खास इसलिए भी है क्योंकि इसी क्षेत्र में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्ले बनाए जाते हैं। क्रिकेट के मैदानों में मेरठ का नाम गूंजता है। लेकिन इसके पीछे एक सच ऐसा भी है कि लोग यहां भी बेरोजगारी का दंश लेकर चुनाव में वोट देने को तैयार हैं। इधर शहर का ट्रैफिक ऐसा है कि लोग हर रोज जाम से जूझते हैं। इसके बीच हर किसी की यही चाहत है कि सरकार कुछ ऐसा प्लान करे कि हमारे बच्चों को रोजगार मिल सके।

Meerut। शारदा रोड पर चाय की दुकान पर हर रोज सियासी चर्चाएं होती है। प्रदेश लेवल से लेकर नेशनल स्तर तक राजनीति के चटकारों के साथ ग्राहक चाय की चुस्की लेते हैं। अब जब विधानसभा चुनाव की तैयारी हो गई है। कुछ ही दिनों में शहरवासियों को अपना भाग्य विधाता चुनना है। तो चाय की दुकान ही चर्चाओं का अड्डा है। शनिवार को सर्दी ज्यादा थी तो याशिका टी स्टॉल पर भी लोगों का जमघट था। हर कोई चाय का कप थामे अखबार के पन्नों को पलट रहा था। एक बुजुर्ग सपा पर कह रहे थे कि बेचारे मुलायम को बुढ़ापे में ये दिन देखना पड़ा, तो एक नौजवान बीजेपी के कसीदे पढ़ रहे थे। इसी बीच आईनेक्स्ट की टीम भी टी स्टॉल पर पहुंच गई। चाय का कप हाथ में थामे रिपोर्टर ने अखबार के पन्ने में उलझे एक बुजुर्ग से पूछा कि चाचा इस बार किसकी सरकार बना रहे हो। बस बुजुर्ग चचा का बोलना था कि टी स्टाल पर फिर से राजनीतिक बहस तेज हो गई। चचा ने कहा कि बेटा सरकार ऐसी बने जो हमारे बच्चों को रोजगार दे सके। हमारी तो यही चाहत है। लेकिन सरकार को हमें आंकड़ों में उलझाकर रखती है। अब तो पुलिस अपराधियों से डरती है। बताओ ये बदलाव कैसे हो सकै है। चचा की बात खत्म ही हुई थी कि

- चाय का प्याला थामे धूप में बैठे दीपक जैन ने कहा कि भाई भाजपा और बसपा सरकार में अपराधियों पर लगाम रहती है। कानून व्यवस्था दुरूस्त रहती है। यही नहीं सही मायनों में प्रदेश का विकास भी होता है। इस बार कानून व्यवस्था के मुद्दे पर ही वोट पड़ेंगे।

- चर्चा को सुन रहे सुंदर पाल की दीपक की बात में सुर में सुर मिलाकर बोले कि भाई ये बात तो हर कोई जानता है कि बसपा और सपा में एक तबके का विकास ज्यादा होता है। अन्य लोगों का शोषण किया जाता है।

- दोनों की बात सुनने के बाद पवन जैन ने कहा कि यह बात तो सही है भाजपा की सरकार में विकास तो हुआ है। लेकिन कुछ ऐसी समस्याएं है जिनको पूरा करना भी बहुत आवश्यक है। इस पर भी सरकार का ध्यान देना चाहिए था। जैसे यहां हर व्यक्ति को जाम की समस्या से हर रोज जूझना पड़ता है। वहीं पैंठ के मामले में भी प्रशासन कोई कदम नहीं उठा पाया है।

- विकास की बात सुनते ही कुलदीप गुप्ता से भी नहीं रहा गया। जोर देकर बोले कि भइया मेरी भी बात सुनो, अखिलेश यादव के नेृतत्व में समाजवादी पार्टी की छवि बदली है। जितना विकास प्रदेश में हुआ है उतना किसी ने नहीं किया। आज तक सीएम पर भ्रष्टाचार का एक भी दाग नहीं लगा। मेरे ख्याल से तो अखिलेश को एक बार फिर मौका मिलना चाहिए।

- कुलदीप की बात खत्म भी नहीं हो पाई थी कि हरिओम गुप्ता बोल पड़े कि भाई कि हम व्यापारियों को तो कानून व्यवस्था से नाता है। शहर क्या पूरे प्रदेश में कानून व्यवस्था कैसी है यह हर कोई जानता है। बसपा सरकार में सबसे अच्छी कानून व्यवस्था रहती है। प्रदेश में सबसे कम अपराध होता है। अपराधी कुछ भी करने से पहले सोचते हैं।

- चाय की दुकान पर नए गा्रहक भी आ रहे थे। और इधर चाय पर चर्चा भी उफान पर आ रही थी। इसलिए चाय की दुकान पर धीरे-धीरे लोगों की संख्या भी बढ़ने लगी।

- पास ही बैठे वेदप्रकाश बोल उठे कि क्यों ना इस बार शहर विधानसभा से किसी युवा को टिकट मिलना चाहिए। जो युवाओं की आवाज विधानसभा में उठा सके। युवाओं को रोजगार दिला सके। क्योकि दोस्त अब रोजगार ही सबसे बड़ी समस्या है।

- सुविधाएं, तरक्की और कानून व्यवस्था से होती हुई बहस पर अब रोजगार पर आकर रूक गई। चाय के प्यालों को रखते हुए हर किसी ने यही कहा कि भाई इस बार उसी को चुनो जो हमारे बच्चों को पढ़ाई-लिखाई के बाद रोजगार दिला सके। चर्चा खत्म होने के साथ ही सभी टी-स्टॉल पर पैसे देकर चल दिए।

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विकास और अपराध सबसे बड़ा मुद्दा है। नोटबंदी का मुद्दा भी इस बार चुनाव पर असर डालेगा। पार्टियों को साफ छवि वाले प्रत्याशी को टिकट देना चाहिए। यही नहीं, रोजगार की भी समस्या अहम रहेगी।

गिरीश मोहन

प्रदेश में कानून व्यवस्था का बुरा हाल है। प्रदेश सरकार ने अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए। कानून व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त रखने की जरूरत है।

मनोज तोमर

बेरोजगारी भी बहुत बड़ा मुद्दा है। युवाओं की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। केंद्र सरकार ने भी युवाओं को रोजगार देने की बात कह रही थी। लेकिन उतने रोजगार नहीं मिले युवाओं को।

देवेंद्र जैन राजू

प्रत्याशी की छवि भी चुनाव में बहुत मायने रखती है। मुद्दों की ओर कोई ध्यान नहीं देता है। प्रत्याशी को देखकर भी वोटिंग की जाती है। साफ छवि वाले को ही वोट करना चाहिए।

संजीव जैन

शहर विधानसभा में काम तो बहुत हुआ है। लेकिन नोटबंदी ने सबको परेशान कर दिया। व्यापारियों को सबसे ज्यादा परेशानी हुई। हमारी दुकान पर सबसे ज्यादा असर पड़ा। ग्राहक कम हो गए थे। लेकिन अब स्थिति ठीक है। प्रत्याशी ईमानदार और विकास कराने वाला ही होना चाहिए। सरकार चाहे किसी की भी बने।

वरूण यशिका टी स्टॉल मालिक