Meerut। प्यारे लाल शर्मा आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन स्मारक, हॉस्पिटल व रोड उनकी यादों को ताजा कर रहे हैं। प्यारे लाल शर्मा न सिर्फ मेरठ में जाने माने एडवोकेट थे, बल्कि वह स्वत्रंता सेनानी भी थे। 1920 में महात्मा गांधी ने जब मेरठ कॉलेज से स्वतंत्रता अंदोलन का ऐलान किया था, तो उसमें प्यारे लाल शर्मा का भी बड़ा योगदान था। इतना ही नहीं, वह कांग्रेस नेता के रूप में भी खड़े हो गए थे।

1936 की बात

मेरठ कॉलेज के हिस्ट्री के रिटायर्ड प्रो। डॉ। केडी शर्मा ने बताया कि उस समय अंग्रेजों की तरफ से सीताराम खड़े थे। 1936 की बात है, चुनाव में प्लारे लाल शर्मा ने सीताराम को भारी मतों से हराया। फिर उन्होनें यूपी के शिक्षा मंत्री का पद हासिल किया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जब ब्रिटिश गवर्नमेंट के विरुद्ध सभी कांग्रेंस नेताओं ने अपना इस्तीफा दे दिया था, तो उस समय प्यारे लाल ने भी इस्तीफा दिया था।

हॉस्पिटल है विरासत

प्यारेलाल शर्मा एडवोकेट का मेरठ के विकास तथा स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 1944 में उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के बाद 1946 में उनके नाम पर हुए कांग्रेस अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरु भी मेरठ आए थे। उस समय मेरठ जिले में उनके नाम से डिस्ट्रिक हॉस्पिटल को जाना गया जो प्यारे लाल अस्पताल हैं। साकेत में विक्टोरिया पार्क के पास कांग्रेस अधिवेशन हुआ था, तो उसके नाम से मेरठ में कांग्रेस कैंप लगाया गया। तभी से उस रोड को पीएल शर्मा रोड नाम दिया गया।