गांवड़ी प्लांट पर लगा 1600 टन प्लास्टिक कचरे का ढेर, आस-पास रहने वाले आधा दर्जन लोगों झेलने पड़ सकते हैं दुष्प्रभाव

सेहत और पर्यावरण दोनों के बेहद खतरनाक प्लास्टिक कचरे का नहीं हो रहा निस्तारण, जिले में बीते 15 अक्टूबर से लागू है ग्रेप

आरडीएफ के लिए बिजली विभाग समेत तीन अन्य कंपनियों ने डाले टेंडर, गांवड़ी प्लांट प्रभारी जल्द टेंडर फाइनल होने की जता रहे उम्मीद

Meerut। शहर को साफ रखने की कवायद में जुटे नगर निगम के कूड़ा निस्तारण प्लांट्स चलाना भी किसी परेशानी से कम साबित नहीं हो रहा है। दरअसल, शहर में घर-घर से एकत्र कूडे़ को शहर के बाहर गांवड़ी, भूड़बराल और लोहियानगर स्थिति प्लांट में एकत्र तो किया जा रहा है। मगर इस कूडे़ का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। इसी का नतीजा है कि गांवड़ी प्लांट में साल भर से एकत्र आरडीएफ यानि कूडे़ से अलग हुए प्लास्टिक वेस्ट का पहाड़ प्लांट में लग चुका है। निगम के अनुसार गांवड़ी प्लांट के अंदर लगभग 1600 टन आरडीएफ डंप है। हालांकि बिजली विभाग ने इस आरडीएफ को बिजली बनाने के लिए लेने का आश्वासन दिया है। वहीं यह प्रक्रिया जब तक पूरी नहीं हो जाती गांवड़ी के आसपास के लोगों को इस आरडीएफ के दुष्प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं। इतना ही नहीं, प्लांट के आसपास करीब आधा दर्जन गांव के लोगों की सेहत के लिए यह कचरा खतरनाक साबित हो सकता है। हालांकि नगर निगम ने आरडीएफ खरीदने वाली कंपनियों और ठेकेदारों से टेंडर मांगे हैं।

सेहत के लिए हानिकारक

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक तरफ प्रदूषण कम करने के लिए जिले में 15 अक्टूबर से ग्रेप जारी कर दिया हैं। मगर गांवड़ी प्लांट के आसपास आधा दर्जन गांव के लोगों के लिए 1600 टन प्लास्टिक कचरे का कोई सॉल्युशन नगर निगम करता नहीं दिख रहा है। जिसके चलते प्लांट के आस-पास रहने वाले लोगों की सेहत के लिए नुकसानदायक बनता जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि प्लास्टिक कचरे में अनेक हानिकारक अकार्बनिक रसायन मौजूद रहते हैं। इनमें से कुछ रसायन कैंसर को जन्म दे सकते हैं। कई प्लास्टिक में कैडमियम जैसी जो धातुएं होती हैं, वो सेहत के लिए बेहद नुकसानदेह हैं। रि-साइकल होने के बाद भी ये कचरे मे मौजूद रहती हैं। कैडमियम के कारण दिल का आकार बढ़ सकता है और मस्तिष्क के ऊतकों को नुकसान पहुंच सकता है।

पर्यावरण के लिए बना परेशानी

वहीं प्लास्टिक कचरा पर्यावरण के लिए एक गंभीर संकट बना हुआ है। इससे न सिर्फ सेहत बल्कि भूमि की उर्वरक क्षमता भी प्रभावित हो रही है। चिकित्सकों के अनुसार रि-साइकिलिंग की प्रक्रिया भी प्रदूषण को बढ़ाती है। रि-साइकिल किए गए या रंगीन प्लास्टिक थैलों में ऐसे रसायन होते हैं, जो जमीन में पहुंच जाते हैं और इससे मिट्टी और भूगर्भीय जल विषैला बन सकता है। वहीं रि-साइकिलिंग के दौरान पैदा होने वाले विषैले धुएं से वायु प्रदूषण फैलता है। प्लास्टिक एक ऐसा पदार्थ है, जो मिट्टी में घुल-मिल नहीं सकता। इसे अगर मिट्टी में छोड़ दिया जाए, तो भूगर्भीय जल की रिचाìजग को रोक सकता है। इसके अलावा प्लास्टिक को मिट्टी से घुलनशील बनाने के लिए जो रासायनिक पदार्थ और रंग आदि उनमें आमतौर पर मिलाए जाते हैं, वे भी सेहत पर बुरा असर डालते हैं।

1600 टन प्लास्टिक कचरा

दरअसल, नगर निगम गांवड़ी प्लांट में डंप आरडीएफ का ढेर अब पहाड़ में तब्दील हो चुका है। इस आरडीएफ को निगम ने बेचने के लिए प्लांट में एकत्र किया हुआ है। मगर गत साल से जारी यह कवायद अभी तक परवान नही चढ़ पाई है। निगम के अनुसार गांवड़ी प्लांट के अंदर लगभग 1600 टन आरडीएफ डंप है। रोजाना प्लांट में बैलेस्टिक सेपरेटर मशीन से गांवड़ी में प्रतिदिन 150 टन कूड़े से आरडीएफ, ईंट-पत्थर और कंपोस्ट मैटेरियल अलग-अलग किया जाता है। इसमें लगभग 30 प्रतिशत आरडीएफ निकलता है, जिसके निस्तारण की नगर निगम के पास कोई व्यवस्था नहीं है। जबकि इस कचरे से निकले ईंट-पत्थर (इनर्ट) का उपयोग निगम लैंडफिल में कर लेता है। ऐसे में अब इसका निस्तारण नगर निगम के लिए चुनौती बना हुआ है।

टेंडर जल्द होंगे फाइनल

हालांकि इस प्लास्टिक वेस्ट को बेचने की कवायद में जुटे नगर निगम ने गत माह एनजीटी की फटकार के बाद इस काम को तेजी से पूरा करने के लिए ई-टेंडर आमंत्रित किए थे। जिसके तहत इस माह तीन कंपनियों ने यह आरडीएफ खरीदने में अपनी रूचि दिखाते हुए टेंडर डाले हैं। मगर इनमें से फाइनल नगरायुक्त के स्तर पर इस माह होगा। इसके बाद संभावित है कि दीपावली के बाद इस कूड़े के पहाड़ कम हो सकेगा।

बिजली बनाने की कवायद अटकी

इस आरडीएफ से बिजली बनाने के लिए गत माह पीवीवीएनएल और बिजेंद्र इंजीनियर्स एवं रिसर्च कंपनी के बीच हुए विद्युत खरीद अनुबंध को भी कुछ शर्तो पर मिल गई थी। इसके बाद कूड़े से निकलने वाले आरडीएफ (प्लास्टिक वेस्ट) से बिजली बनाने का रास्ता साफ हो गया था लेकिन अभी तक यह प्रक्रिया भी अधर में हैं। हालांकि विद्युत विभाग द्वारा कूड़े से बिजली बनाने का संयंत्र पूरी तरह तैयार है और बिजली अधिकारी निरीक्षण कर इसे ग्रिड से जोड़ने की कारवाई पूरी करने में जुटे हैं।

विद्युत विभाग द्वारा टेंडर के जरिए आरडीएफ खरीद की प्रति टन जो भी दरें प्राप्त होंगी, उन्हीं में से उचित दर को फाइनल किया जाएगा। इसके अलावा तीन अन्य कंपनियों ने भी इसी माह टेंडर दाखिल किए हैं। संभावित है इस माह आरडीएफ की बिक्री का टेंडर फाइनल हो जाएगा।

रवि शेखर, गांवड़ी प्लांट प्रभारी