वहीं बीएड कॉलेजों में सीटें खाली रहने के डर से अब कॉलेजों ने अवैध वसूली का दामन छोड़ दिया है। पहले स्टूडेंट्स की खाल खींचने वाले कॉलेज अब उन्हें आश्वासन दे रहे हैं कि बस एडमिशन ले लो। उसके बाद किसी भी तरह की अवैध वसूली नहीं की जाएगी। इसके बाद भी उम्मीद कम है कि सीसीएसयू एरिया की सीटें भर पाएंगी।
पांच से कराएं रजिस्ट्रेशन
बता दें कि स्टेट में बीएड की करीब 45 हजार सीटें और सीसीएस यूनिवर्सिटी के बीएड कॉलेजों में 32 सीटें खाली रह गई हैं। इसके लिए कॉलेजों की खाली सीटों पर एडमिशन के लिए एक बार फिर से मौका दिया गया है। एडमिशन के पांच अगस्त से लेकर 14 अगस्त तक ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने होंगे। 16 से 20 तक काउंसलिंग सेंटर्स पर जाकर डाक्युमेंट वेरीफिकेशन कराना होगा। फिर फीस जमा कराने के बाद 22 से 26 अगस्त तक कैंडीडेट अपने पसंद के कॉलेज लॉक करेंगे। 27 अगस्त को गोरखपुर यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स को उनके पसंदीदा कॉलेजों में से किसी एक को एलाट करेगी।
जाने क्या होगा
कॉलेज एसोसिएशन का कहना है कि अभी ये नहीं कहा जा सकता कि सीटें भरेंगी या नहीं। ये स्थिति 15 अगस्त के बाद ही क्लीयर हो पाएगी। जब रजिस्ट्रेशन खत्म हो जाएंगे। अगर 45 हजार सीटों के लिए 60 हजार रजिस्ट्रेशन होते हैं तो सीटें भरेंगी। अगर रजिस्ट्रेशन 20 हजार ही हुए तो सीटें खाली रहना स्वाभाविक है।
खाली न रह जाए सीटें
एसोसिएशन का मानना है कि पूर्वांचल, अवध, बनारस, झांसी में तो फिर भी सीटें भर जाएंगी, लेकिन आगरा यूनिवर्सिटी की दस परसेंट सीटें और सीसीएसयू की पचास परसेंट सीटें खाली रह सकती हैं। इन हालात से बचने के लिए कॉलेज स्टूडेंट्स को अपने लेवल से ये सूचना देने में लगे हैं कि रजिस्ट्रेशन शुरू हो रहे हैं। ताकि स्टूडेंट रजिस्ट्रेशन करा लें।
देना होगा ग्रेजुएट को मौका
जानकार मानते हैं कि जब तक इस साल पास हुए ग्रेजुएट स्टूडेंट्स को बीएड में एडमिशन का मौका नहीं दिया जाएगा। तब तक सीटें नहीं भर पाएंगी। बता दें कि बीएड एंट्रेंस में बीते सालों को वही ग्रेजुएट अपीयर हो पाए थे। जो कि क्लीयर कट पास हों। जो स्टूडेंट इस साल एग्जाम देकर पास हुए हैं, उनको एंट्रेंस में मौका नहीं दिया गया था।
जाएंगे सुप्रीम कोर्ट
एसोसिएशन ने फैसला किया है कि 27 अगस्त के बाद अगर सीटें खाली रहती हैं तो सुप्रीम कोर्ट जाकर अपने लेवल पर फ्रेश ग्रेजुएट्स को एडमिशन देने के लिए परमीशन मांगी जाएगी। इसके लिए ग्रेजुएशन में पचास परसेंट नंबर का क्राइटेरिया रखा जाएगा। उनका कहना है कि जब इंजीनियरिंग और मेडिकल एंट्रेंस में फाइनल इयर के अपीयरिंग स्टूडेंट को अप्लाई करने का मौका दिया जाता है तो फिर बीएड में ऐसा क्यों नहीं? ये नियमों के खिलाफ है और पूरी तरह से गलत है।
ये हैं आंकड़े
बीएड एंट्रेंस में साढ़े तीन लाख कैंडीडेट अपीयर हुए।
अब तक करीब सत्तर हजार सीटें भर चुकी हैं।
बाकी बची हैं करीब 45 हजार सीटें।
बाकी बचे दो लाख अस्सी हजार।
तीस हजार किसी ना किसी वजह से एडमिशन न भी लेना चाहें तो भी ढाई लाख कैंडीडेट बचे।
इस हिसाब से एक सीट पर पांच कैंडीडेट बचते हैं।
काउंसलिंग प्रोसेस में गड़बड़
जानकारों का कहना है कि काउंसलिंग प्रोसेस में दिक्कत के चलते एडमिशन नहीं हो पाएंगे। पिछले सालों में काउंसलिंग के समय 5 हजार रुपए जमा कराए जाते थे। उसके बाद पसंद का कॉलेज मिलता था, लेकिन अब पहले 51 हजार रुपए जमा कराए जा रहे हैं। उसके बाद भी पसंद का कॉलेज मिलने की गारंटी नहीं। ये सबके बस की बात नहीं होती की 51 हजार कर जुगाड़ एक दम से कर सकें।
"अगर सीटें खाली रही तो फ्रेश ग्रेजुएट्स को एडमिशन के लिए सुप्रीम कोर्ट से परमीशन ली जाएगी। फिलहाल काउंसलिंग खत्म होने का इंतजार है."
डॉ। वीएम सक्सेना, लीगल चेयरमैन, बीएड कॉलेज एसोसिएशन
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