पहले दिन फटे बैग और जूतों के साथ स्कूल पहुंचे बच्चे

बदहाल स्थिति पर शासन ने बीएसए से मांगा जवाब

सप्लायर से नि:शुल्क बदलवाए जाएंगे जूते और बैग

Meerut। सरकारी स्कूलों के बच्चों को जूते-मोजे, यूनिफार्म और स्कूल बैग डिस्ट्रीब्यूट हुए तीन महीने भी नहीं बीते कि उनके फटने की शिकायतें सामने आने लगी हैं। नतीजा, फटे हुए जूतों और बैग के साथ गुरुवार को सरकारी स्कूलों में नए सत्र की शुरुआत की। हालांकि शिकायतों पर गौर करते हुए शासन ने विभाग को ऐसे बच्चों की लिस्ट भेजने का निर्देश दिया है, जिनके जूते-मोजे व स्कूल बैग फट गए हैं।

चप्पल पहनकर पहुंचे बच्चे

गुरुवार को बेसिक स्कूलों में नए सत्र में पहुंचे बच्चों के पास फटे हुए बैग और जूते मिले। यही नहीं अधिकतर बच्चे चप्पलों में ही स्कूल पहुंचे। कई बच्चों के पास यूनिफार्म तक थी, वहीं स्कूलों में फर्नीचर भी टूट-फूटा ही रहा। गौरतलब है कि मेरठ में 1542 स्कूलों में करीब 1 लाख 19 हजार छात्र पढ़ रहे हैं। अप्रैल में खुलने वाले इंग्लिश मीडियम स्कूल भी विभाग की हीलाहवाली की वजह से चालू नहीं ो पाएं।

किताब बिना क्लास

सरकारी स्कूलों में करोड़ों का बजट होने के बाद भी सरकार बच्चों को पहले दिन किताबें मुहैया करवाने में नाकाम रही। बिना किताबों के ही छात्रों को नई कक्षा में प्रवेश करना पड़ा। नई किताबों के मिलने की स्थिति अभी विभाग को भी स्पष्ट नहीं हैं ऐसे में पुरानी किताबों का ही विकल्प देखा जा रहा है।

शासन ने मांगा जवाब

उत्तर प्रदेश एजुकेशन डायरेक्टर सर्वेद विक्रम बहादुर ने फटे जूते और बैग पर विभाग से जवाब मांगा है। जिसके बाद बीएसए ने सभी ब्लॉक एजुकेशन अधिकारियों को ऐसे बच्चों की लिस्ट बनाने के लिए कहा है, जिनके बैग और जूते फट चुके हैं। एजुकेशन डायरेक्टर ने निर्देश दिए हैं कि जो भी स्कूल बैग व जूते फटे हैं, वह सप्लायर को बदलने होंगे। विभाग की ओर से पहले ही सभी चीजों के लिए एक साल की वारंटी ली गई है। इसके लिए विभाग की ओर से नया बजट नहीं दिया जाएगा। अगर सप्लायर ने आनाकानी की तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

बच्चों के बैग और जूते फटने की शिकायतें आई हैं। शासन से निर्देश मिलने के बाद ऐसे बच्चों को सूची तैयार की जा रही है, जिसे ऊपर भेज दिया जाएगा। किताबें ऊपर से ही नहीं आई हैं।

सतेंद्र सिंह ढाका, बीएसए, मेरठ