कोविड-19 गाइडलाइन के तहत बाजार खोलने की मांग कर रहे व्यापारी

नुकसान झेल रहे व्यापारियों की बिजली बिल और टैक्स में राहत की मांग

Meerut। कोरोना के कारण सवा महीने से लागू लॉकडाउन ने शहर के साथ-साथ काम-काज और व्यापार की रफ्तार को थाम दिया है। कोरोना के चलते स्कूल-कॉलेज, रेस्टोरेंट, सिनेमा हॉल, माल और बाजार पिछले साल की तरह बंद पड़े हैं। ऐसे में व्यापारियों को भारी नुकसान हो रहा है। प्रशासन ने क्रमवार दुकानों की साफ-सफाई के लिए व्यापारियों को तीन घंटे दुकान खोलने की छूट दी है। ऐसे में व्यापारियों को उम्मीद है कि कोविड 19 गाइडलाइन के तहत उन्हें भी अपने प्रतिष्ठान खोलने की अनुमति दी जाए। जिससे व्यापार पटरी पर लाया जा सके।

रियायतों की उम्मीद

व्यापारी सरकार से अपने नुकसान की भरपाई नहीं बस एक्स्ट्रा चार्ज की रियायत की उम्मीद लगाए हुए है। इसके तहत व्यापारियों ने कुछ निश्चित खर्चाें को कम करने की मांग की है। जब से बंद की घोषणा हुई है, ये व्यवसाय बिल्कुल ठहराव पर आ गए है। मगर कई खर्चे चालू हैं, जिनको व्यापारियों ने खत्म करने की मांग की है।

इनमें मिले राहत

दुकानों का किराया

बिजली का बिल

जीएसटी व अन्य टैक्स

बैंक का ब्याज

बैंकों की ईएमआई

बच्चों की स्कूल फीस

बाजार खोलने की मिले अनुमति

सेंट्रल मार्केट अध्यक्ष किशोर बाधवा ने बताया कि लॉकडाउन जरुरी था तब लगाया गया, लेकिन अब जब संक्रमण कम हो रहा है तो बाजार को भी खोल देना चाहिए। हम लोग कोविड 19 की गाइडलाइन के साथ अपना काम करने के लिए तैयार हैं। अब राहत दी जानी चाहिए। साथ ही हमारी सरकार से मांग है कि बिजली के फिक्स चार्ज सरकार कम करें।

बिजली बिल माफ करे सरकार

संयुक्त व्यापार संघ अध्यक्ष नवीन गुप्ता ने बताया कि हमारी मांग है कि कोविड 19 की गाइडलाइन के तहत प्रतिष्ठान खोलने की अनुमति मिले। सरकार बिजली का बिल का माफ कर दें, हमारी दुकानें बंद हैं लेकिन फिर भी पिछले बिल के अनुसार एवरेज बिल वसूला जा रहा है। हमें रिटर्न फाइल करने का समय लॉकडाउन के बाद दिया जाए अभी व्यापारी कमा नही रहा है तो रिटर्न कैसे फाइल करेगा।

रुटीन बनाकर खोलें बाजार

सदर बाजार के महामंत्री अमित बंसल ने बताया कि व्यापारी अब संक्रमण के खतरे को समझ चुका है। ऐसे में वह भी यह रिस्क नहीं लेगा कि संक्रमण से ग्रस्त हो। व्यापारी यही उम्मीद कर रहा है कि अन्य जनपदों की भांति उसको भी बाजार खोलने की अनुमति दी जाए। व्यापारी संक्रमण से बचाव के सभी तरीके अपना रहा है और आगे भी अपनाएगा। यदि 100 प्रतिशत बाजार खोलना संभव नही है तो रूटीन बना दे पर बाजार खोला जाए।

सरकार करे आर्थिक मदद

कैंची एसोसिएशन अध्यक्ष शरीफ अहमद कैंची उद्योग इस डेढ़ साल के कोरोना काल में बुरी तरह प्रभावित हुआ है। 60 प्रतिशत कारोबारी काम छोड़ चुका है। जो पूंजी थी वो लॉकडाउन की भेंट चढ़ गई। हमारी सरकार से मांग है कि कैंची निर्माताओं के लिए कम से कम 10 लाख रुपये की बिना ब्याज वाली पूंजी सभी कैंची उद्योगपतियों को उपलब्ध कराई जाए। अगर ये राहत मिलती है तो भी कैंची उद्योग को पटरी पर आने में कम से कम छह माह तक का समय लग जाएगा।

लॉकडाउन से मिले राहत

होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के महामंत्री विपुल सिंघल ने बताया कि होटल व रेस्टोरेंट कारोबार को जूझते हुए करीब डेढ़ साल का समय हो गया है। रेस्टारेंट में सिर्फ होम डिलीवरी चल रही हैं जबकि होटल का काम तो पूरी तरह ठप है। आमदनी का जरिया जीरो तक पहुंच गया है। शादी-समारोह के आयोजन से भी अब लोग कतरा रहे हैं, जो आयोजन करा रहे हैं, उनसे कर्मचारियों की सैलरी तक निकालना मु्श्किल हो गया है। ये नुकसान अगले एक साल तक पूरा नहीं हो सकेगा। अब लॉकडाउन में राहत दी जानी चाहिए।

दो साल तक न लें जीएसटी

मंडप एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज गुप्ता ने बताया कि शादियों का सीजन पिछले साल से लॉकडाउन के ठप हो गया। अब जुलाई में कुछ शादियों की बुकिंग है यदि अब भी मंडप खोलने की अनुमति न मिली तो यह आधा साल बर्बाद हो जाएगा। टेंट कारोबार और मंडप पर सरकार द्वारा 18 प्रतिशत जीएसटी वसूली जाती है। हमारी मांग की लॉकडाउन के दौरान यह जीएसटी खत्म की जाए और अगले 2 साल तक जीएसटी न ली जाए। इससे विवाह मंडप संचालकों अपने नुकसान से उबरने में कुछ राहत मिलेगी।

ठहर से गए हैं सिनेमा हॉल

सिनेमा एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय गुप्ता ने बताया कि लॉकडाउन के करण पिछले साल से नंदन और अप्सरा सिनेमा जैसे मेरठ के प्रमुख सिंगल स्क्रीन सिनेमा बंद हो चुके हैं। मल्टीप्लेक्स साल भर से बंद हैं। बीच में कुछ माह खुले तो नई मूवी रिलीज न होने से नुकसान भरपूर हुआ। लॉकडाउन में लोगों ने मनोरंजन के नए-नए साधन ढूंढ लिए हैं, जिनमें अलग-अलग ओटीटी प्लेटफा‌र्म्स पर वेब सीरिज के पैकेज शामिल है। ऐसे में लोगों को सिनेमा हॉल तक लाने मे काफी समय लगेगा।

टैक्स में मिले छूट

ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष गौरव शर्मा ने बताया कि लॉकडाउन से व्यापारी वर्ग संकट में है। सरकार को व्यापारियों को राहत देने के इंतजाम करने चाहिए। हमने सरकार से टैक्स में छूट की मांग की है। साथ ही हमें इंश्योरेंस और परमिट पर छूट दी जानी चाहिए। वहीं डीजल के दाम में कमी करनी चाहिए ताकि ट्रांसपोर्टर को राहत मिले। ट्रांसपोर्टर को लॉकडाउन के कारण हुए नुकसान से उबरने में अभी भी साल भर का समय लग जाएगा।

किताबों की बिक्री को मिले छूट

मेरठ बुक सेलर्स एसोसिएशन के महामंत्री संजय अग्रवाल ने बताया कि प्रशासन ने साफ सफाई के लिए दुकान खोलने की अनुमति दी, यह अच्छी बात है, लेकिन दुकानों की हालत यह हो गई है कि दीमक और चूहे किताबों को कुतर गए हैं। बारिश व सीलन ने किताबों एवं स्टेशनरी को बहुत नुकसान पहुंचाया है। पुस्तक ओर स्टेशनरी व्यापार व्यापक मंदी का मार झेल रहा है। शासन व प्रशासन को पुस्तकों व स्टेशनरी को छात्रों के हित में अनिवार्य वस्तु घोषित करनी चाहिए। सीमित समय के लिये ही सही लॉकडाउन में बुक्स की बिक्री की अनुमति दी जानी चाहिए।

शिक्षा पर पड़ रहा असर

मेरठ बुक सेलर एसोसिएशन के अध्यक्ष आशीष धस्माना ने बताया कि कोविड महामारी व लॉकडाउन का सर्वाधिक असर बच्चो की शिक्षा पर पड़ा है। शासन व जिला प्रशासन इसे आज भी अनिवार्य नहीं समझ रहे हैं। कोरोना कफ्र्यू से प्रकाशन, विक्रेताओं व स्टेशनर्स की कमर टूट गई है। व्यापार को बंद करने की स्थिति आ गयी है। आगामी वर्षो में इसका सीधा असर शिक्षण साधनों जैसे पुस्तकों की उपलब्धता पर पड़ेगा। कई प्रतिष्ठान तो बंद हो जाएंगे।