-इमरजेंसी में वेंटीलेटर पर उपचार के दौरान ऑक्सीजन खत्म

-आनन-फानन में किया निजी हॉस्पिटल में भर्ती

-गुस्साए परिजनों ने अस्पताल में काटा हंगामा

-इमरजेंसी में स्ट्रेचर से लेकर दवाइयां तक शॉर्ट

Meerut: मेडिकल कॉलेज स्थित करोड़ों की लागत से बनी इमरजेंसी खुद बीमार है। इसका जीता-जागता उदाहरण गुरुवार की रात उस वक्त देखने को मिला जब उपचार के दौरान एक वेंटीलेटर की ऑक्सीजन अचानक खत्म हो गई। आनन-फानन में मरीज को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जब यह बात मरीज के परिजनों को पता चली तो उन्होने इमरजेंसी के बाहर जमकर हंगामा किया। इस दौरान हॉस्पिटल स्टॉफ और तीमारदारों की मारपीट भी हुई। दिलचस्प बात यह है कि इतना होने के बाद भी अस्पताल प्रशासन मामले से पल्ला झाड़ रहा है।

इमरजेंसी में था भर्ती

किठौर निवासी 42 नईम पिछले कई माह से अस्थमा बीमारी से पीडि़त है। बताया गया कि गुरुवार की रात अचानक उसकी तबियत ज्यादा बिगड़ गई। परिजनों ने उपचार के लिए नईम को मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में भर्ती कर दिया। आरोप है कि कुछ ही देर में जिस वेंटीलेटर पर नईम का उपचार चल रहा था उसकी ऑक्सीजन अचानक खत्म हो गई।

निजी हॉस्पिटल ले जाने की सलाह

इमरजेंसी में मौजूद स्टॉफ ने तत्काल उसे वहां से ले जाकर निजी अस्पताल में भर्ती करने की सलाह दी। उस वक्त तो परिजन मरीज को लेकर वहां से चले गए, लेकिन मरीज को निजी अस्पताल में भर्ती करने के बाद जब परिजनों ने इसका कारण पूछा तो किसी कर्मचारी के मुंह से ऑक्सीजन खत्म होने की बात निकल गई।

किया हंगामा

ऑक्सीजन खत्म होने की बात सुनते ही मरीज के परिजनों ने मेडिकल इमरजेंसी के बाहर जमकर हंगामा किया। इस दौरान मेडिकल स्टाफ व तीमारदारों में कहासुनी के बाद मारपीट तक हुई। बामुश्किल फेंटम पुलिस ने मामले को शांत कराया।

ये दवाइयां भी शॉर्ट

मेडिकल में दवाइयों की भी शॉर्टेज रहती है। ग्लिक्टिन्स, ग्लैक्समेट, ओल्मीसॉटन, एंटीबायोटिक इंजेक्शन सिफोटेक्सिन, लीवोफ्लोक्सॉसिन, एंटीस्पॉमर्ेंटिक सिरप, मैट्रोप्रोरॉल, ईकोस्प्रिन, इंजेक्शन रैनटैक, पेंटोप्रोजॉलआदि दवाएं मरीजों को बाहर से लाना पड़ता है।

स्ट्रेचर की हालत भी खस्ता

विभागीय जानकारी के अनुसार इमरजेंसी में कम से कम दस स्ट्रेचर की जरूरत है, लेकिन महज तीन स्ट्रेचर से इमरजेंसी में काम चलाया जा रहा है। कई बार अचानक ज्यादा मरीज आने पर तीमारदारों को गोद में उठाकर मरीज को इमरजेंसी तक ले जाना पड़ता है।

केन्द्र सरकार से भी आ रही खुराक मेडिकल कॉलेज में इतनी खामियां तब पनप रही हैं, जब केन्द्र सरकार भी इसे सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल बनाने के लिए गंभीर है। अभी पिछले दिनों केन्द्र सरकार ने मेडिकल कॉलेज को इसकी पहली खुराक 48 करोड़ के रूप में भेज दी है। जिससे मेडिकल कॉलेज में नई बिल्डिंगों का निर्माण करने के अलावा अस्पताल संबंधी उपकरण बढ़ाने पर खासा जोर दिया गया है।

ऑक्सीजन खत्म होने की जानकारी नहीं है। गुरुवार की रात क्या हुआ इसकी ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों से जानकारी की जाएगी।

डॉ। सुभाष सिंह, सीएमएस मेडिकल अस्पताल