रिश्तों की डोर बेहद नाजुक होती है। इसे अगर संभाला न जाए तो झटके में टूट जाती है। विश्वास की नींव पर खड़ी रिश्तों की इमारत ही मजबूती की मिसाल कायम करती है। मगर शक वो दीमक है जो किसी को भी अपना शिकार बना सकता है। फेसबुक ने अगर दिल के तारों को छेड़ा है तो शक और जासूसी करना भी सिखा दिया है। यहां अगर जिंदगी का गीत गुनगुनाया जा रहा है तो कमेंट्स और लाइक्स शक की निगाह से भी देखे जाते हैं। कोई आपके भरोसे की क्वालिटी चेक कर रहा है तो कोई आपके विचारों की गहराइयां नाप रहा है।

आप पर है निगाह

 यही नहीं बॉस इम्पलाइज पर निगाह रखने के लिए फेक आईडी बना रहे हैं। एफबी वो जासूस है, जो आपके व्यवहार और पसंद-नापसंद को बारीकी के साथ गौर कर रहा है।

इंप्लॉई पर नजर रखने के लिए

एडवरटीजमेंट कंपनी के ऑनर रजनीश ने भी अपनी फेक फेसबुक आईडी क्रिएट की हुई है। वो भी एक लडक़ी के नाम से। वो बताते हैं कि इसके कई फायदे हैं। उनकी एजेंसी में दो दर्जन से अधिक इंप्लॉई काम करते हैं। उन्होंने जब अपनी फेक आई डी से रिक्वेस्ट भेजी तो विद इन हॉफ एन ऑवर आधे से ज्यादा ने एक्सेप्ट कर ली। वो भी वर्किंग ऑवर्स में। इससे मुझे अंदाजा लग गया कि वर्किंग ऑवर्स कौन-कौन फेसबुक यूज कर रहे हैं।

कोई अफेयर तो नहीं

पहले हसबैंड-वाइफ को आपस में अफेयर का शक होता था तो डिटेक्टिव हायर करते थे, अब डिटेक्टिव का काम फेसबुक कर रहा है। दोनों ही फेक आईडी बनाकर एक-दूसरे की एक्टिविटीज को विश्वास की कसौटी पर चेक कर रहे हैं। एक हाउस वाइफ बताती हैैं कि काफी दिनों से उनके पति काफी लेट आ रहे थे। वो लगातार मुझे इग्नोर भी कर रहे थे। तो मैंने फेसबुक पर फेक प्रोफाइल बनाकर उनके सभी फ्रेंड्स को भेजी। जब भी मौका मिलता है तो उनके दोस्तों से या साथियों से हिंट लेती रहती हूं।

ताकि सुरक्षित रहे डॉटर

वैसे तो आज पेरेंट्स अपने बच्चों के फेसबुक आईडी के पासवर्ड अपने पास रखते हैं, लेकिन जब बच्चे थोड़े बड़े हो जाते हैं तो पासवर्ड मांगना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। खासकर डॉटर के लिए फादर कुछ ज्यादा ही प्रिवेंटिव होते हैं तो वे भी फेक आईडी बनाकर अपनी बेटी और उसके दोस्तों के साथ संपर्क में रहते हैैं। सुनील पाली इस बारे में कहते हैं कि अगर पेरेंट्स बच्चों की सेफ्टी के लिए कुछ ऐसा कर रहे हैैं तो शायद गलत नहीं है।

तो ऐसे हो सकते हैं आप सुरक्षित

आपके ऐसे कितने दोस्त हैं, जिनसे मिलते ही आप उन्हें अपना फैमिली एलबम दिखाने लगते हैं? रीयल लाइफ में गिनेंगे तो इनकी तादाद काफी कम होगी, लेकिन वर्चुअल लाइफ में इसका एकदम उलटा हो रहा है। खासकर फेसबुक जैसी साइट पर दोस्त बनाने के मामले में हम दिल खोलकर फ्रेंडशिप रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करते हैं, लेकिन भूल जाते हैं कि यहां हम अपनी तस्वीरों से लेकर पर्सनल सीक्रेट तक शेयर कर रहे हैं।

प्राइवेसी टूल

फेसबुक पर कई प्राइवेसी टूल दिए हैं, जिनकी मदद से आप कंट्रोल कर सकते हैं कि कौन आपकी तस्वीरें देखें और किन लोगों तक आपके स्टेटस मेसेज पहुंचें। इसके लिए अपने फेसबुक पेज केसबसे राइट में अकाउंट जाएं। क्लिक करने पर कई ऑप्शन में प्राइवेसी सेटिंग का ऑप्शन चुनें। इस पर क्लिक करने पर पेज आएगा, जिसमें लिखा होगा शेयरिंग ऑन फेसबुक। यहां आपके पास कई ऑप्शन हैं, जिनकी मदद से आप तय कर सकते हैं कि फेसबुक पर आपके स्टेटस, पोस्ट, कॉमेंट व तमाम दूसरी जानकारी कौन-कौन देख सकता है।

प्राइवेसी कंट्रोल

इसकी मदद से आप बेसिक प्राइवेसी कंट्रोल कर सकते हैं, लेकिन सारी जानकारी को कुछ खास दोस्तों के बीच भी सेंसर करना है, तो नीचे लेफ्ट की ओर कस्टमाइज सेटिंग्स एक लिंक दिया है। क्लिक करें। एक लंबी लिस्ट में कस्टमाइज सेटिंग पर आप अपनी फ्रेंड लिस्ट में से किसी का भी नाम डालेंगे तो वह बैन हो जाएगा।

ओनली फे्रंड्स क्लिक

फेसबुक पर मौजूद हर प्रोफाइल गूगल सर्च किया जा सकता है और यह साइबर गुंडों को आप तक पहुंचने का आसान रास्ता देता है। इसे भी आप रोक सकते हैं। इसके लिए प्राइवेसी कंट्रोल में जाकर फेसबुक सर्च रिजल्ट में जाकर ओनली फे्रंड्स का ऑप्शन क्लिक कर दें।