टेंडर न होने से नही हो सकी सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति

Meerut। रेलवे का स्वच्छता सर्वेक्षण बीते अभी चार माह से अधिक का समय भी नही बीता है कि रेलवे स्टेशन से सफाई व्यवस्था और सफाई कर्मचारी नदारद हो चुके हैं। हालत यह है कि रेलवे स्टेशन की सफाई के लिए सफाई कर्मचारी दिल्ली से बुलाया जा रहे हैं, जो रोजाना ट्रेन से दिल्ली से मेरठ आते हैं और निर्धारित समय में सफाई करके वापस दिल्ली चले जाते हैं। उसके बाद स्टेशन पर सफाई रामभरोसे रहती है। इस व्यवस्था के कारण स्टेशन पर जगह-जगह गंदगी और कूडे़ का ढेर लगा हुआ है।

टेंडर न होने से बिगड़ी व्यवस्था

सिटी रेलवे स्टेशन पर सफाई का टेंडर तीन कंपनियों को दिया था, इसमें एपकॉन, अशोका और टेलीकॉन कंपनी शामिल हैं। इनके कर्मचारी तीन शिफ्ट में स्टेशन पर सफाई का काम करते थे। सफाई के लिए कंपनी ने अपने करीब 70 सफाई कर्मचारियों को स्टेशन पर साफ-सफाई के लिए लगाया हुआ था। लेकिन नवंबर माह में कंपनी का टेंडर खत्म हो गया और रेलवे द्वारा सफाई का ठेका किसी नई कंपनी को दिया नहीं गया है। इसके चलते रेलवे स्टेशन की सफाई व्यवस्था खत्म हो चुकी है।

दिल्ली से आ रहे कर्मचारी

नया टेंडर होने तक स्टेशन की व्यवस्था संभालने के लिए फिलहाल मुख्यालय से सफाई-कर्मचारी भेज कर स्टेशन पर साफ सफाई कराई जा रही है। लेकिन यह महज खानापूर्ति साबित हो रही है। इस व्यवस्था के तहत दिल्ली से करीब 9 सफाई कर्मचारी रोजाना सुबह 8 बजे स्टेशन पर आते हैं और शाम 4 बजे सफाई करके चले जाते हैं। इसके बाद स्टेशन की सफाई व्यवस्था राम भरोसे रहती है। लेकिन यह टाइम भी केवल कागजों में चल रहा है। जिसके चलते स्टेशन पर जगह जगह गंदगी और कूडे़ का ढेर लगा हुआ है।

हर जगह कूड़ा

सफाई नही होने से स्टेशन की हालत यह है कि स्टेशन परिसर में जगह जगह स्वच्छता के पोस्टर तो लगे हुए हैं लेकिन सफाई कहीं नही है। शाम होते होते स्टेशन परिसर कूडे़ के ढेर में बदल जाता है। प्लेटफार्म पर जगह जगह कूड़ा फैला देख यात्री भी परेशान रहते हैं। वहीं पटरियों की सफाई तो सप्ताह भर से नही हुई है।

पुरानी कंपनी का टेंडर खत्म हो चुका है। मुख्यालय स्तर पर नई कंपनी को टेंडर देने का काम चल रहा है, तब तक दिल्ली से सफाई कर्मचारी आ रहे हैं।

बीरेंद्र सिंह, सीनियर सेनेट्री ऑफिसर