सीसीएसयू के पॉलिटिकल साइंस में जोड़े गए कई रोचक विषय

महापुरुषों के बारे में जानेंगे छात्र, मिलेगी देशप्रेम की प्रेरणा

Meerut। सीसीएसयू में सोमवार को पॉलिटिकल साइंस की बोर्ड ऑफ स्टडीज की मीटिंग में कोर्स में कई अहम बदलाव किए गए। कमेटी मेम्बर्स व विभागाध्यक्ष के अनुसार इन बदलाव के जरिए स्टूडेंट में कोर्स के प्रति रुचि बढ़ेगी। इसके साथ ही युवाओं को जीवन में कई सारी सीख और प्रेरणा मिलेगी। इससे वो सकारात्मकता की तरफ जाएंगे। नई शिक्षा नीति के तहत यूनिवíसटी ने अपने हिस्से के जोड़े गए 30 प्रतिशत संशोधन में कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष एवं समाज सुधारिका एनी बेसेंट, भारत के पूर्व राष्ट्रपति एवं मिसाइलमैन अब्दुल कलाम, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चिंतक सनातन विचारधारा वाले पं.दीन दयाल उपाध्याय, स्वतंत्रता सेनानी कन्हैयालाल जैसे महान विभूतियों को जोड़ा है। वहीं, भारतीय परिवेश से जोड़ने के लिए मेरठ की 1857 की क्रांति, स्वतंत्रता की कहानी में यूपी के योगदान सब्जेक्ट को जोड़ा है, ताकि युवाओं को अपने यूपी के बारे में भी जानने को मिले।

मिलेगी प्रेरणा

एचओडी डॉ। पवन शर्मा ने बताया कि पूर्व राष्ट्रपति डॉ। अब्दुल कलाम को मिसाइल मैन के नाम से जाना जाता है। वे भारतीय गणतंत्र के 11वें राष्ट्रपति थे। उनके जीवन की कहानी बहुत प्रेरणा देने वाली है। वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति, वैज्ञानिक, इंजीनियर के रूप में विख्यात थे। उन्होनें सिखाया जीवन में चाहे जैसी भी परिस्थितियां क्यों न हो, पर जब आप अपने सपने को पूरा करने की ठान लेते हैं तो उन्हें पूरा करके ही रहते हैं।

एकात्म मानववाद का संदेश

वहीं पं। दीनदयाल उपाध्याय भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष और आरएसएस के चिंतक रहे हैं। सिलेबस में उनके जीवन को जोड़ा गया है। वो भारत की सनातन विचाराधारा को एकात्ममानववाद का संदेश दे गए। वे सन 1952 से 57 तक यूपी के राज्यपाल रहे। वकील, मंत्री वीसी राज्यपाल जैसे प्रमुख पदों पर रहे है, इसके साथ ही कन्हैया लाल मुंशी को जोड़ा है जो राज्यपाल रहे हैं अधिवक्ता रहें, भारतीय विद्या भवन के संस्थापक में ख्यात है

एनी बेंसंट को भी पढेंगे

इंडियन पॉलिटिकल साइंस में एनी बेंसेंट को खासतौर पर जोड़ा गया है। वे थियोसोफिकल सोसायटी ऑफ इंडिया की अध्यक्ष रहीं। इसके अलावा साल 1916 में होम रूल लीग की स्थापना की थी। इनके अलावा कई महान विभूतियां है जिनका भारत में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है जैसे अहिल्या बाई, बाबू जगजीवन राम, चौधरी चरण सिंह, दलित चिंतक एमसी राजा साहब जो मद्रास विधान सभा के सदस्य भी रह चुके है, सरोजिनी नायडू, आदि के बारे में पढ़ाया जाएगा। डॉ। पवन ने बताया कि भारतीय परिवेश से जोड़ने के लिए कोर्स में बदलाव किए है, इसके अलावा स्वतंत्रता की कहानी में यूपी का योगदान व 1857 की क्रांति भी जोड़ा गया है।