मेरठ ब्यूरो। गर्मियों के दिन हैं। ऐसे में शहर के स्वीमिंग पूल में भीड़ बढ़ रही है। हालत यह है कि शहर में 200 से ज्यादा स्वीमिंग पूल हैं, जो बिना मानकों के संचालित हो रहे हैं। यही नहीं, मानक विहीन ये स्वीमिंग पूल मोटी फीस भी वसूल रहे हैं। वहीं, अधिकारियों का कहना है कि अवैध स्विमिंग पूल की लिस्ट तैयार की जा रही है। इन पर जल्द कार्रवाई होगी।

शहर में अवैध रूप से बने स्वीमिंग पूल में न तो मानक पूरे हैं और न ही सुरक्षा के कोई इंतजाम हैं। हालात यह हैं कि पानी की सफाई, लाइफ गार्ड और दुर्घटना होने पर उपचार की व्यवस्था भी नहीं है। इसके साथ ही स्विमिंग पूल संचालन के कई मानकों के बारे में संचालकों को जानकारी तक नहीं है। सख्ती होने पर सिर्फ नौ स्वीमिंग पूल संचालकों ने ही नियमों के अनुपालन के लिए एनओसी फॉर्म फीस जमा की है, जबकि मेरठ में बड़े कॉलेजों, यूनिवर्सिटीज व होटल्स और स्कूलों में क्लबों में 200 से अधिक स्वीमिंग पूल संचालित हो रहे हैं।

सील होंगे अवैध स्वीमिंग पूल
कैलाश प्रकाश स्टेडियम के क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी योगेंद्र पाल सिंह ने विभाग की ओर से 17 मई को नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके तहत सभी स्विमिंग पूल संचालकों को मानकों की जांच और एनओसी के लिए अप्लाई करने के निर्देश दिए गए थे। हालांकि, दूसरे नोटिफिकेशन में स्वीमिंग संचालकों को एनओसी के लिए बीते 25 मई तक का समय दिया गया था। अब हालत यह है कि अभी तक सिर्फ 9 स्वीमिंग संचालकों ने एनओसी के लिए अप्लाई किया है। ऐसे में अधिकारियों का कहना है कि अवैध स्वीमिंग पूल पर जल्द कार्रवाई होगी।

ये मानक भी पूरे नहीं
वैसे तो स्वीमिंग पूल को एनओसी देने के पहले स्थलीय जांच होती है। पूल संचालकों के पास चार महीने के सीजन में एक भी दिन खराब करने का धैर्य नहीं होता है। वैसे स्वीमिंग पूल की अधिकतम साइज 25 गुणे 50 मीटर और न्यूनतम साइज छह गुणे 10 मीटर होता है। इसके बीच 16 गुणे 25 और 10 गुणे 15 मीटर है। इनकी गहराई तीन फिट से 20 फिट तक है। वहीं, लर्निंग पूल की गहराई 4.5 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। छोटे बच्चों के पूल को दो से 3.50 मीटर तक ही होनी चाहिए। छोटे पूल में भी एक एनआइएस कोच व दो लाइफ गार्ड होने चाहिए। लेकिन शहर में एक-दो पूल को छोडक़र मानक पूरे नहीं होते हैं।

दुर्घटना के बाद ही होती है जांच
शहर में कैलाश प्रकाश स्टेडियम, विक्टोरिया पार्क, करन पब्लिक स्कूल, शांति निकेतन विद्यापीठ, आइआइएमटी, एमआइईटी, विद्या मंदिर इंटर कालेज, दिल्ली पब्लिक स्कूल, विद्या ग्लोबल स्कूल, माउंट लिट्रा स्कूल आदि जगहों पर स्वीमिंग पूल हैं। वहीं, कई स्वीमिंग पूल बंद हो चुके हैं। एनओसी का शुल्क शिक्षण संस्थान, कमर्शियल व होटलों के लिए अलग-अलग है। इसे जमा करने से संचालक बचते हैं। जब कभी कोई दुर्घटना होती है तभी जिला प्रशासन जांच करता है।

स्वीमिंग पूल की ये है नियमावली
- खेल निदेशालय से पूल की अनुमति हो।
- नेशनल या स्टेट लेवल का खिलाड़ी कोच हो।
- लाइफ गार्ड साई द्वारा प्रमाणित हो। अथवा फौज या पीएसी से जुड़ा हो।
- पूल में फिल्टर प्लांट हो, 24 घंटे में चार घंटे चले।
- इंडोर या आउटडोर पूलों में पर्याप्त रोशनी हो।
- आक्सीजन के साथ लाइफ सेविंग किट जरूरी।
- पूल पर रजिस्टर मेंटेन हो, जिसमें हर तैराक का उल्लेख हो।
- चेंजिंग रूम जरूर होना चाहिए।
- पूल की गहराई की मार्किंग होनी चाहिए।
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ये हो चुके हैं हादसे
21 मार्च 2023
समर गार्डन में मिलन पैलेस के अंदर स्वीमिंग पूल बना था। यहां पर नहाने के दौरान युवक की डूबने से मौत हो गई।
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20 जून 2023
लिसाड़ी गेट क्षेत्र के नूरनगर में अवैध स्विमिंग पूल में डूबने से एक छात्र की मौत हो गई। आरोपी पूल संचालक शव को केएमसी अस्पताल के बाहर सडक़ पर फेंककर फरार हो गए।
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12 मार्च 2024
गुरुनानक नगर में छह साल के बच्चे की स्वीमिंग पूल में डूबकर मौत हो गई।
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18 अप्रैल 2024
खरखौदा क्षेत्र स्थित जमनानगर में स्वीमिंग पूल में डूबने से मौत हो गई।
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2022 में हुआ था फिक्स रेट
गौरतलब है कि साल 2022 में तत्कालीन आरएसओ गदाधर बारीकी ने जिला खेल विकास एवं प्रोत्साहन समिति की बैठक में स्वीमिंग पूल को लेकर निर्णय लिया था। अब इसके संचालन के लिए एनओसी लेनी पड़ेगी। पूल के लिए स्कूलों और अन्य शिक्षण संस्थानों को 15,000 रुपए, कमर्शियल इस्तेमाल पर 20 हजार रुपए और होटलों को 50 हजार रुपए शुल्क देना होगा। जांच के बाद एनओसी जारी की जाएगी। हालांकि, अभी तक नियमों को लेकर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई।

अभी एनओसी के लिए नौ स्वीमिंग पूल की ओर से आवेदन आए हैं। इसके अलावा जो शेष स्वीमिंग पूल है। अब उनकी टेक्निकल टीम मौके पर जाकर जांच करेगी।मानक पूरा न करने वाले स्वीमिंग पूल को सील किया जाएगा। मानक पूरे होने पर ही एनओसी दी जाएगी।
योगेंद्र पाल सिंह, रीजनल स्पोट्र्स ऑफिसर