मेरठ (ब्यूरो)। ऑनलाइन पोर्टल पर ई-कंटेट अपलोड करने के मामले में टीचर्स ने लापरवाही बरती है। ई- पोर्टल पर सीसीएसयू से जुड़े कॉलेजों के 1200 टीचर्स ने महज 93 ई-कंटेट ही उपलब्ध कराए है। टीचर्स की संख्या को देखते हुए जो न के बराबर हैं। वहीं, सीसीएसयू कैंपस के 100 टीचर्स ने 538 ई कंटेंट बीते साल अपलोड कराए हैं। यह हालत तब है कि जब मेरठ और सहारनपुर मंडल के 68 एडेड और राजकीय कॉलेजों में शिक्षक और कर्मचारियों के वेतन पर प्रतिवर्ष लगभग 350 करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं।

अभी तक 597 ई-कंटेट अपलोड
गौरतलब है कि बीते साल से अभी तक ई-कंटेट अपलोड करने मामले में टीचर्स ने गंभीरता नहीं दिखाई है। विभागीय अधिकारियों के नोटिस देने के बावजूद भी जिम्मेदार टीचर्स पर कोई असर नहीं हुआ है, लिहाजा अभी तक 597 ई-कंटेंट अपलोड हो सके हैं।

पांचवे नंबर पर है सीसीएसयू
हालत यह है कि पोर्टल पर ई-कंटेट अपलोड कराने के मामले में सीसीएसयू प्रदेश में अभी पांचवें नंबर पर है। सोचिए अगर कॉलेजों के 1200 टीचर्स एक-एक भी ई-कंटेट अपलोड करते तो इनकी संख्या 1200 तक पहुंच जाती। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इन टीचर्स ने महज 93 ई-कंटेट ही अपलोड कराए हैं। जाहिर है कि ई कंटेंट अपलोड करने में टीचर्स इंट्रेस्ट नहीं ले रहे हैं।

ये थी योजना
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर एक ई-पोर्टल बनाया है। इसमें प्रदेश की यूनिवर्सिटी से ई-कंटेंट अपलोड कराए जा रहे है। मकसद है कि प्रदेश में कहीं से भी स्टूडेंट्स अच्छा ई-कंटेंट पढ़ सकें। बीते एक साल से इस योजना पर कार्य हो रहा है। यूनिवर्सिटी ने सभी कॉलेजों से अक्टूबर 2022 तक ई-कंटेंट अपलोड के लिए कहा था, लेकिन कॉलेज गंभीर नहीं दिखे।

फरवरी तक का समय दिया
वीसी प्रो। संगीता शुक्ला ने इसको लेकर सभी प्राचार्यों के साथ ऑनलाइन बैठक की थी। एक बार फिर से वीसी प्रो। संगीता ने फरवरी तक का समय दिया है। सभी टीचर्स को ई- कंटेट अपलोड करने के निर्देश दिए हैं।

कैंपस के शिक्षक कर रहे बेहतर
ई कंटेट अपलोड करने में डिग्री कॉलेजों के टीचर्स की बजाए सीसीएसयू कैंपस के शिक्षक ज्यादा गंभीर है। कैंपस के करीब 100 टीचर्स ने ई कंटेट अपलोड कराए हैं। हालत है कि अभी तक महज 597 ई-कंटेंट अपलोड हो सके हैं। इनमें सेल्फ फाइनेंस विषयों के शिक्षक भी शामिल हैं।


कॉलजों की स्थिति ठीक नहीं है। किस कॉलेज से कितने शिक्षकों ने कितने-कितने ई-कंटेंट भेजे हैं, इसकी सभी जानकारी प्रिंसिपल से मांगी जा रही है। कॉलेजों की यह स्थिति ठीक नहीं है।
-डॉ। राजीव कुमार गुप्ता, क्षेत्रीय उच्च शिक्षाधिकारी मेरठ