दिल्ली से मेरठ तक कारिडोर निर्माण का काम तेज

निर्माण कार्य के साथ रखा जा रहा है स्वच्छता का ध्यान

Meerut। दिल्ली से गाजियाबाद होते हुए मेरठ तक 82 किमी एलिवेटेड और भूमिगत कारिडोर बनाया जाना है। इसके सापेक्ष एनसीआरटीसी ने अब तक 40 किमी कारिडोर का फाउंडेशन कार्य पूरा कर लिया है। जबकि 900 से अधिक पिलर बनाए जा चुके हैं। यही नहीं, नौ किमी से अधिक वायडक्ट तैयार किया जा चुका है। अब तक निर्माण कार्यों में 2.65 लाख मीट्रिक टन सीमेंट और 1.2 लाख मीट्रिक टन स्टील का उपयोग हो चुका है।

फाउंडेशन तैयार करना जरूरी

एनसीआरटीसी के अधिकारियों के अनुसार फाउंडेशन तैयार करना सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। क्योंकि यह पिलर के लिए जमीन के अंदर तैयार किया जाता है। इसमें समय अधिक लगता है। फाउंडेशन तैयार होने से पिलर एक के बाद एक बनाए जा रहे हैं। रैपिड रेल प्रोजेक्ट को समय से पूरा करने के लिए मशीनरी के साथ अच्छा-खासा मैनपावर भी मैदान में उतार दिया गया है। करीब 1100 से अधिक इंजीनियर और 10,000 निर्माण मजदूर दिन-रात रैपिड रेल प्रोजेक्ट में लगे हैं। एक साथ 16 लां¨चग जेंटरी कार्य कर रही हैं। जिससे आरआरटीएस वायडक्ट का तेजी से निर्माण संभव हो रहा है। कार्य की गुणवत्ता व सुरक्षा के साथ निपटाने के लिए नई तकनीक अपनाई जा रही हैं। इनमें बि¨ल्डग इंफार्मेशन मोडलिंग, कांटीन्यूसअली आपरे¨टग रिफरेंस स्टेशन और कामन डाटा एनवायरनमेंट प्रमुख हैं। इन तकनीक की वजह से ही कोरोना महामारी में भी रैपिड रेल के कार्य की गति बरकरार रही।

निर्माण कार्य के दौरान स्वच्छता पर जोर

एनसीआरटीसी के अधिकारी निर्माण कार्य के दौरान स्वच्छता पर जोर दे रहे हैं। साइट पर बैरीकेडिंग और खुली निर्माण सामग्री जैसे रेत आदि को ग्रीन नेट से ढककर रखा जाता है। खोदाई से निकली मिट्टी का अच्छे से निपटान और डस्ट की रोकथाम के लिए सड़कों पर नियमित रूप से एंटी स्माग गन से पानी का छिड़काव होता है। बड़े कार्य रात में किए जा रहे हैं। ताकि क्रेन आदि के कार्य के लिए सड़क बाधित न हो। सीमेंट, रेत और अन्य मैटेरियल को रखने के लिए दिल्ली से मेरठ तक 10 का¨स्टग यार्ड स्थापित हैं। यहां से बड़े पहियों वाले ट्रक और ट्रेलर का¨स्टग यार्ड में हाई प्रेशर वाटर पंप से सफाई होती है, ताकि सड़कों पर गंदगी न फैले।