दवाओं में 70 प्रतिशत से अधिक चाइनीज सॉल्ट

सप्लाई रुकने पर गहरा सकता है दवाओं का संकट

Meerut । दुनियाभर में डर का कारण बन रहे कोरोना वायरस का असर अब भारत की दवा मंडी पर भी पड़ेगा। दवाओं को बनाने के लिए जरुरी 70 प्रतिशत सॉल्ट यानि रॉ मैटेरियल चाइना से ही भारत में इम्पोर्ट होता है। चाइना से दवाओं के सॉल्ट की सप्लाई रुकने पर बाजार में दवाओं का संकट हो सकता है। इसमें एंटी बायोटिक, पेन किलर और स्टेराइड टाइप दवाएं शामिल हैं।

किल्लत का खतरा

चाइना में बनने वाला दवाओं का रॉ मैटेरियल अन्य देशों के मुकाबले काफी सस्ता होता है। इसलिए भारत समेत दुनिया के अन्य देशों की बड़ी-बड़ी दवा कंपनियां चाइनीज रॉ मैटेरियल यूज करती हैं। अब कोरोना वायरस के कारण चाइनीज रॉ मैटेरियल के इम्पोर्ट पर रोक लग गई है। ऐसे में दवा निर्माता कंपनियों ने भी दवा का स्टॉक तैयार करना कम कर दिया है। जिनका एडवांस स्टॉक रखा था। वह अगले 10 से 15 दिन की आपूर्ति के लिए काफी है, लेकिन यदि यह इम्पोर्ट जल्द चालू न हुआ तो दवाओं की कमी बाजार में हो सकती है।

बढ़ सकते हैं दाम

कोरोना के कारण चाइना से आने वाले दवाओं रॉ मैटेरियल पर रोक के कारण जर्मनी, यूएसए, आस्ट्रेलिया आदि देशों से रॉ मैटेरियल इंपोर्ट किया जाएगा। जिसका दाम चाइनीज रॉ मैटेरियल से काफी अधिक है, इस कारण दवा कंपनियां जो नई दवा बनाएंगी, उनके दाम भी अधिक होंगे और आम उपभोक्ताओं को दवाएं मंहगी मिलेंगी। इसमें शुगर से लेकर कई प्रमुख एंटी बायोटिक, स्टेराइड, पेन किलर आदि शामिल हैं जिनके दाम में 10 प्रतिशत तक इजाफा हो सकता है।

कोटस-

दवाओं के रॉ मैटेरियल या कहें कि सॉल्ट का चाइना से 70 प्रतिशत इम्पोर्ट भारत में होता है। जिन दवा कंपनियों के पास स्टॉक पहले से ही रखा हुआ है, वह भी 10 से 15 दिन में निपट जाएगा। ऐसे में रॉ मैटेरियल न होने के कारण दवा नही बन पाएंगी और किल्लत के कारण दाम बढेंगे।

- रजनीश कौशल, सचिव मेरठ ड्रगिस्ट एंड कैमिस्ट एसोसिएशन

चाइनीज रॉ मैटेरियल अन्य देशों के रॉ मैटेरियल की तुलना में सस्ता हेाता है, इसलिए छोटी से लेकर बड़ी दवा कंपनी चाइना से ही रॉ मैटेरियल इम्पोर्ट करती है। लेकिन इंपोर्ट बंद होने से दवाओं की किल्लत होगी जिससे कई दवाओं के दाम बढ़ सकते हैं।

- मनोज अग्रवाल, दवा के होलसेलर