मेरठ (ब्यूरो)। बीते दिनों रियो ओलंपिक में मेरठ की वंदना कटारिया भारतीय हॉकी टीम में खेली थीं। इसके बाद से मेरठ में बेटियों में भी हॉकी का क्रेज बढ़ गया है। बीते साल 24 नवंबर 2022 को स्टेडियम में एस्ट्रोटर्फ का शुभारंभ किया गया था। स्टेडियम में एस्टोटर्फ का शुभारंभ होते ही हॉकी के खिलाडिय़ों की संख्या बढ़ गई है। अब खिलाड़ी बेहतरीन सुविधाओं के साथ प्रैक्टिस कर रहे हैं। बीते दो माह में यहां खिलाडिय़ों की संख्या दोगुनी हो गई है। आंकड़ों के मुताबिक कैलाश प्रकाश स्टेडियम में पहले 35 प्लेयर हॉकी की प्रैक्टिस करते थे। अब एस्ट्रोटर्फ बनने से यहां पर खिलाडिय़ों की संख्या बढक़र 75 हो गई है। इनमें 12 लड़कियां भी हैं।
लड़कियों में भी उत्साह
वहीं, एनएएस डिग्री कॉलेज के मैदान पर इस समय 56 लड़कियां प्रैक्टिस के लिए आ रही हैं, जबकि टर्फ बनने से पहले यह संख्या 36 थी। इसी तरह सीएवी, एसडी सदर में भी खिलाडिय़ों की संख्या पहले 15 से 20 खिलाड़ी बढ़ गए है। बीते दो तीन माह में ही खिलाडिय़ों की बढ़ती उम्मीदें अब बढ़ती संख्या से दिखने लगी हैं।
बेटियों की रही अधिक संख्या
हॉकी में भी मेरठ से नेशनल और इंटरनेशनल लेवर के प्लेयर निकल चुके हैं। भारतीय टीम से वंदना कटारिया रियो ओलंपिक खेल चुकी है। बताते हैं कि कैलाश प्रकाश स्टेडियम और एनएएस मैदान से करीब 200 नेशनल और 5 इंटरनेशनल प्लेयर निकल चुके हैं। अब एस्टोटर्फ बनने से खिलाडिय़ों की उम्मीदें और बढ़ गई हैं।
चार साल में बना एस्टोटर्फ
मेरठ में एस्ट्रोटर्फ का निर्माण 25 जून 2018 से शुरू हुआ। इसके बाद से कई बार डेट बदलती रही। बीच में दो साल कोरोना लॉकडाउन के कारण ब्रेक लगा रहा। उसके बाद बजट आने में भी देरी होती रही। आखिरकार 24 नवम्बर 2022 को इसका शुभारंभ किया गया। क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी योगेंद्र पाल सिंह ने बताया कि एस्ट्रोटर्फ शुरू हो चुका है। इससे खिलाडिय़ों की संख्या बढ़ रही है।

यह है एस्टोटर्फ की खासियत

101.40 मीटर लंबा है एस्टोटर्फ का ग्राउंड

- 61 मीटर है एस्टोटर्फ मैदान की चौड़ाई

- 6185.40 स्क्वायर मीटर मैदान को कवर किया गया है।

- 5146.25 स्क्वायर मीटर है ग्रीन कलर की टर्फ यानि घास

- 1233.57 स्क्वायर मीटर है रेड कलर की टर्फ

- 5 जिलों के खिलाड़ी आसानी से प्रैक्टिस कर पाएंगे।

- 539.71 लाख है परियोजना की लागत
- 4 साल 5 महीने में बनकर तैयार हुआ है एस्टोटर्फ मैदान

एस्ट्रोटर्फ बनने से अब खिलाडिय़ों की उम्मीदें बनने लगी हैं। अब यहां पर बेहतर खिलाड़ी निकल पाएंगे। वो खेलने और सीखने में बेहतर अनुभव करेंगे। यकीनन अब जिले में हॉकी की तस्वीर बदलेगी।
योगेंद्रपाल सिंह, आरएसओ

यहां खिलाडिय़ों की संख्या बढऩे लगी है, एस्ट्रोटर्फ से उम्मीदें जगी हैं, बस बजट की थोड़ी कमी है। स्पांसरशिपनहीं मिल पाती है, लेकिन अब एस्ट्रोटर्फ बना है तो उम्मीदें बनी है।
भूपेश कुमार, हॉकी खिलाड़ी

मेरठ से वंदना जैसी खिलाड़ी निकल चुकी है। अब खिलाडिय़ों की संख्या बढऩे लगी है। स्पांसरशिप न मिलने से कुछ कमी रह जाती है। नहीं तो यहां के खिलाडिय़ों में प्रतिभा की कमी नहीं है।
प्रदीप चिन्योटिया, सचिव, जिला हॉकी संघ

कई खिलाड़ी अच्छे स्तर तक पहुंच चुके हैं। अब स्टेडियम में एस्टोटर्फ बनने से उम्मीदें जगीं हैं। हॉकी की आधुनिक तकनीकि के बारे में जानकारी मिल रही है।
सोनिया, प्लेयर

एस्टोटर्फ बना है यह अच्छी पहल है। हॉकी प्लेयर्स के लिए यह अच्छा है। अगर स्पांसरशिप भी मिले तो खिलाडिय़ों की स्थिति सुधरेगी।
रीता, प्लेयर

एस्ट्रोटर्फ बनने से प्लेयर्स की संख्या बढ़ रही है। हमें भी इंटरनेशनल मैदान पर खेलने का अनुभव हो रहा है। हॉकी की काफी बारीकियां सीखने को मिल रही है।
रोहण, प्लेयर

हमें अब अच्छे लेवल का सीखने को मिल रहा है। मैदान अच्छा है तो सीख पा रहे हैं आगे बढऩे की उम्मीदे हैं।
वंश, प्लेयर

यकीनन अब एस्ट्रोटर्फ बनने से हमारी उम्मीदें जगी हैं। अब खिलाडिय़ों की संख्या बढऩे लगी है, हमें भी सीखने में अच्छा लगता है।
सर्मित, प्लेयर