मेरठ (ब्यूरो)। खबर यह है कि डीजल की चोरी रोकने के लिए निगम ने कूड़ा कलेक्शन गाडिय़ों की लोकेशन को ट्रेस करने के लिए उनमें जीपीएस सिस्टम लगाए थे। मगर गाडिय़ों में लगे जीपीएस अब गाडिय़ों की लोकेशन को ट्रेस नहीं कर पा रहे हैैं क्योंकि ये जीपीएस कहीं गुम हो गए हैं। वहीं 100 करीब गाडिय़ों की जिम्मेदारी नई कंपनी को सौंप दी गई है। जिनमें कंपनी द्वारा नए जीपीएस लगवाने का दावा किया जा रहा है। उधर निगम के लिए जीपीएस से ट्रेसिंग समेत मॉनिटरिंग और मेंटिनेंस का काम देख रही कंपनी का टेंडर फरवरी में खत्म हो चुका है। ऐसे में कहा जा सकता है कि बिना जीपीएस ट्रेसिंग के कूड़ा कलेक्शन गाडिय़ों को डीजल के नाम करोड़ों का भुगतान बस यूं ही कर दिया जा रहा है।

हर साल 12 करोड़
गौरतलब है कि डीजल चोरी का मामला सामने आने पर 2017 में पूर्व नगर आयुक्त मनोज चौहान ने सभी गाडिय़ों में जीपीएस लगवाए थे। ऐसे वाहनों की संख्या 220 थी। तब इस बाबत लाखों रुपये खर्च हुए थे। मगर शुरुआत में इस सिस्टम से नगर निगम को लाखों रुपये की बचत भी हुई थी पर तब से इन वाहनों की मेंटिनेंस और मॉनिटरिंग के नाम पर हर साल निगम के खजाने से डीजल पर करीब 12 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं।

बिना जीपीएस भुगतान
जीपीएस का उद्देश्य था कि गाड़ी के इंजन स्टार्ट होने से दूरी तय करने तक का रिकॉर्ड जीपीएस से मिले लेकिन 2021 में यह सिस्टम पूरी तरह कागजी हो गया। गत वर्ष ही निगम ने 220 में से अब 70 से 75 जीपीएस लगे वाहनों को कंडम दर्शा दिया था। जबकि नई 50 कूड़ा गाड़ी, जेसीबी, ट्रैक्टर, पोर्कलेन मशीनों में जीपीएस आज तक नहीं लगाया गया है। स्थिति यह है कि कुल मिलाकर प्रतिमाह लगभग 80 से अधिक वाहनों के डीजल खर्च का भुगतान बिना जीपीएस ट्रेसिंग और रिपोर्ट के ही हो रहा है। वहीं गाडिय़ों में जीपीएस लगाने और संचालन की जिम्मेदारी वाली दिल्ली की कंपनी का टेंडर भी फरवरी 2021 में खत्म हो चुका है। जिसके बाद से निगम ने अभी तक इस बाबत किसी कंपनी को कोई टेंडर इस बाबत नहीं दिया है।

प्राइवेट कंपनी के भरोसे
जीपीएस के मामले में बचाव के लिए नगर निगम अपनी जिम्मेदारी बीबीजी इंडिया कंपनी के कंधों पर डाल दी है। निगम के आला अधिकारियों की मानें तो कूड़ा कलेक्शन का काम अप्रैल माह से बीबीजी इंडिया कंपनी कर रही है। इसके लिए निगम ने अपनी 101 के करीब गाडिय़ां कंपनी को दे दी हैं, जिनमें कंपनी ने खुद का जीपीएस सिस्टम लगाया है। ऐसे में अब केवल कंपनी द्वारा संचालित गाडिय़ों में ही जीपीएस से मॉनिटरिंग हो रही है। बाकि निगम की गाडिय़ां बिना जीपीएस दौड़ रही हैं।

हमारी कंपनी के जीपीएस कंकरखेड़ा डिपो भेज दिए थे वहां से मशीन चल रही है। कांटेक्ट खत्म हो चुका है लेकिन हमारे कर्मचारी ही जीपीएस से संबंधित सारा काम देख रहे हैं। बाकि अब कूड़ा कलेक्शन का काम निजी कंपनी कर रही है उनके स्तर पर जीपीएस से निगरानी हो रही है।
डॉ। गजेंद्र सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी

निगम से हमें अभी 22 नई गाडिय़ां मिली हैं पहले 79 थी। इन गाडिय़ों में हमने अपने सॉफ्टवेयर के हिसाब से नए जीपीएस लगाए हैं। हमारी सभी गाडिय़ों में जीपीएस से लगातार निगरानी की जारी है।
सलिल, नोडल, बीबीजी इंडिया कंपनी