घंटाघर, कोटला बाजार और ब्रहमपुरी में अंडर ग्राउंड नाले बने परेशानी

Meerut। बरसात से पहले नालों की सफाई में जुटे नगर निगम का उद्देश्य है कि बरसात में शहर में कहीं भी जलभराव न हो। लेकिन हर साल की तरह इस साल भी शहर के कई प्रमुख इलाके जलभराव की समस्या से जूझेंगे। क्योंकि निगम का ध्यान शहर के खुले नालों की तरफ तो है लेकिन कुछ ऐसे नाले भी है जो सालों से अतिक्त्रमण के तले गुमशुदा हैं। इन नालों की सफाई कई बरसों से नहीं हुई है, जिससे हर बरसात में पानी इन गुमशुदा नालों में रूक जाता है। आज बताते हैं दो नालों के बारे में :

कोटला से छतरी वाले पीर तक

दो किमी। में हाल खराब

पुराने शहर के कोटला नाले में हालात हर साल बरसात में खराब होते हैं। यह छतरी पीर वाले तिराहे से शुरू होता है और किशनपुरी पुलिया तक जाता है। करीब दो किमी। की दूरी में जिला अस्पताल रोड, घंटाघर, ईदगाह चौक, पत्थरवालान मोहल्ला, लाला का बाजार, ब्रह्मापुरी, किशनपुरी समेत नाले किनारे के सभी प्रमुख बाजारों का पानी इसी नाले से बहता है। यह नाला पुराने शहर की घनी आबादी के जलनिकासी का प्रमुख जरिया है। करीब 80 हजार की आबादी है।

ज्यादा हिस्से पर अतिक्रमण

नाले की चौड़ाई और गहराई भी आठ-आठ मीटर है। लेकिन वर्तमान नाले का अधिकतर हिस्सा अतिक्त्रमण के कारण गुमशुदा है। कोटला मंडी में जगह-जगह नाले पर पक्के रैंप बन चुके हैं उसके आगे घंटाघर से अप्सरा सिनेमा फिर छतरी वाले पीर तक तो नाला एक तरह से गुम ही हो गया है। पूरा नाला दुकानों के नीचे से अंडरग्राउंड है, जिसकी सफाई के लिए दुकानेां के बाहर छोटे-छोटे सीवर होल बनाए गए हैं। लेकिन वहां भी सफाई नहीं होती। इस कारण आठ मीटर गहरे नाले में छह मीटर सिल्ट जमा रहती है। इससे हर साल कोटला नाला क्षेत्र में जलभराव होता है।

ओडियन से कबाड़ी बाजार चौराहा

नगर निगम भूला नाला

बात करें शहर के प्रमुख ओडियन नाले की तो वह भूमिया पुल से आगे ओडियन सिनेमा होते हुए कबाड़ी बाजार चौराहे तक तो दिखाई देता है लेकिन उसके आगे नाला गुम हो गया है। आगे यह नाला अतिक्रमण की चपेट में है। ऐसा एक-दो दिन में नहीं हुआ है बल्कि कई सालों से जारी है। नगर निगम ने अतिक्रमण हटाना तो छोडि़ए नए अतिक्रमण से बचाने के लिए भी कभी कोई अभियान नहीं चलाया।

बेखौफ हो रहा अतिक्रमण

नाले किनारे बसने वाले लोग बेखौफ होकर नाले को पाटने का काम कर रहे हैं। कोतवाली चौकी चौराहे से मेट्रो प्लाजा वाले रास्ते में जगह-जगह दुकानें बन गई हैं। बाजार में तो दुकानदारों ने सामान रखने के लिए नाले पर अतिक्रमण कर लिया है। इसके चलते ओडियन नाले के करीब 40 फीसदी हिस्से में मशीन से सफाई नहीं हो पाती है। बारिश केदिनों में अतिक्रमण के कारण ही जलभराव की समस्या पैदा होती है।

जलभराव के लिए जरुरी है कि पूरे नाले की सफाई हो। जहां-जहां से नाले खुले हैं, वहां मशीन से सिल्ट निकालकर खानापूर्ति कर दी जाती है। बाकि जो हिस्सा अंडर ग्राउंड है या अतिक्रमण में दबा हुआ है। वहां सिल्ट जमा रहती है तो पानी आगे कैसे जाएगा। यह हमारे क्षेत्र का हाल है।

विकास पटेल

बरसात होने पर नाले से पानी बाहर निकलकर हमारी गलियों में भर जाता है। कई-कई घंटों तक गलियों में पानी भरा रहता है अगर नाला पूरी तरह साफ होता या खुला होता तो जलभराव ना हो।

सरिता देवी

नालों पर दुकानें बनी हुई हैं कहीं घरों के रैंप बन गए हैं सफाई के लिए लो मशीनें आती है वहां खुले नाले की सफाई करके आगे बढ़ जाती है इससे नाले में कहीं सिल्ट कहीं खुला हो जाता है। बरसात में इसलिए पानी भरता है।

रमा देवी

घंटाघर से आगे छतरी वाले पीर तक का तो पूरा नाला सड़क के अंदर गुम ही हो गया है। कुछ दुकानों के बाहर ढक्कन लगे हुए हैं। उन्हें खोल कर सिल्ट निकाल दी जाती है लेकिन इससे काम नही चलेगा। पूरा नाला एक साथ होना चाहिए।

ब्रजमोहन लोधी