मेरठ (ब्यूरो)। जिला बीते तीन महीनों से प्रदूषण से कराह रहा है। वायुमंडल स्मॉग का गैस चेंबर बन गया है। एयर पॉल्युशन के कारण बीमारियां भी बढ़ रहीं हैं। चिंताजनक बात यह है कि शहर 90 दिनों में कई बार देश का सबसे प्रदूषित शहर बन चुका है। जिला प्रशासन की ओर से इस बार सितंबर से ही प्रदूषण की रोकथाम के उपाय करने के बावजूद दिसंबर तक स्थिति में सुधार नहीं हो सका है। ऐसे में पॉल्यूशन की समस्या पर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने एक सात दिवसीय कैंपेन 'हवा खराब है' शुरू किया था। जिसमें पॉल्युशन की स्थिति और उसके कई कारण सामने आए। जिन पर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने स्वास्थ्य अधिकारी डॉ। हरपाल सिंह से बातचीत कर जानी शहर में पॉल्युशन कंट्रोल की प्लानिंग। वहीं बातचीत में उन्होंने अपील की कि पॉल्युशन पर लगाम कसने के लिए पब्लिक का जागरूक होना बेहद जरूरी है।
सवाल- मेरठ को वायु प्रदूषण से निजात क्यों नहीं मिल पा रही है, जबकि इस बार नगर निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तीन महीने पहले ही सक्रिय हो गया था?
जवाब- सितंबर माह में ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू होने के बाद शहर की 200 से अधिक औद्योगिक इकाइयों पर धूल और धुआं फैलाने को लेकर नोटिस जारी किया। इसके बाद लगातार वाटर स्प्रिंकल से सड़कों पर छिड़काव हुआ। धूल पर रोकथाम लगाई गई लेकिन खराब मौसम और वायु की धीमी गति के कारण स्थिति नियंत्रण से बाहर है।
सवाल- शहर की आबोहवा में प्रदूषण की चादर लगातार बढ़ रही है। इसे कैसे कम किया जा सकता है?
जवाब- पिछले कुछ समय से हवा की गति बेहद धीमी है। जिससे वायुमंडल की ऊपरी सतह में जो प्रदूषण था वह नीचे आ गया है और स्मॉग के रूप में लोगों को दिखाई दे रहा है। पानी का छिड़काव की लिमिट को बढ़ाया जाएगा।
सवाल- मेरठ को ही वायु प्रदूषण और स्मॉग सबसे ज्यादा प्रभावित क्यों कर रहा है?
जवाब- मेरठ समेत आसपास के जिलों में जो वायु प्रदूषण की स्थिति है उसका मुख्य कारण पराली का जलना है। साथ ही उत्तर भारत के मौसम का डिस्टरबेंस होना मुख्य वजह है। वहीं इसमें लोकल फैक्टर भी शामिल हैं जैसे जाम लगना, सड़कों का टूटा होना, सड़कों से धूल उडऩा, खुले में कूड़ा फैला होना व जलाया जाना इत्यादि। इसको रोकने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। प्रशासनिक स्तर प्रदूषण की रोकथाम के लिए प्रयास किया जा रहा है। बड़ी राहत बारिश होने व हवा की गति 15 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से अधिक होने पर मिल सकती है।
सवाल- सार्वजनिक स्थलों के आसपास पानी के छिड़काव का आदेश है, लेकिन इसका असर क्यों दिख रहा है?
जवाब- सार्वजनिक स्थलों पर लगातार नगर निगम और जलकल विभाग के टैंकर व वाटर स्प्रिंकल मशीन पानी का छिड़काव कर रही है। सोमवार से सभी इलाकों में ठीक प्रकार से छिड़काव होगा। जिसका आने वाले दिनों में फायदा भी देखने को मिलेगा।
सवाल- ऐसा क्या किया जाए कि अगले साल वायु प्रदूषण की ऐसी स्थिति से न जूझना पड़े?
जवाब- इसके लिए औद्योगिक क्षेत्र को पूरी तरह सीएनजी-पीएनजी पर कंवर्ट करना होगा। इसके साथ ही शहर की जितनी भी छोटी भट्ठियां और तंदूर हैं उनको गैस पर लाना होगा। सड़कों के आसपास धूल ना रहे इसके लिए ग्रीन बेल्ट बढ़ानी होगी। पानी का सड़कों के किनारे छिड़काव अगस्त माह से ही जारी रखना होगा। निर्माण कार्यों पर सख्ती और जो भी निर्माण होगा नियमानुसार कराना होगा।
सवाल- बीते 15 दिन में क्या कार्रवाई की गई और इससे क्या राहत मिल सकती है?
जवाब- जिलाधिकारी मेरठ और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से प्रदूषण फैलाने वाली सभी कार्यों को मॉनिटर किया जा रहा है। वहीं कूड़ा जलाने व फैलाने वालों पर भी जुर्माना लगाने का प्रावधान है। इसके साथ प्रदूषण फैलाने वाले अन्य कारणों को भी नियंत्रित किया जा रहा है। इससे आगे राहत मिल सकेगी।
सवाल- ऐसे क्या उपाय अपनाए जाएं, जिससे आने वाले समय में लोगों को प्रदूषण से न जूझना पड़े?
जवाब- वायु प्रदूषण कम करने के लिए आवश्यक है कि अधिक से अधिक पौधे लगाए जाएं। ग्रीन जोन में भी पानी का छिड़काव हो। पौधों की धुलाई हो। स्कूलों, कॉलेजों में साल भर पर्यावरण जागरूकता के कार्यक्रम में वायु प्रदूषण का विशेष ध्यान रखा जाए।
ये दिए सुझाव
घरों, स्कूलों, अस्पतालों, मॉल-मल्टीप्लेक्स और सोसायटी के आसपास पानी का छिड़काव खुद से किया जाए।
लोग जागरूकता दिखाएं और अपने घरों की चिमनी को सप्ताह में एक दिन का रेस्ट दें।
जरुरी हो तभी अपने वाहन का प्रयोग करें, जाम में वाहन का इंजन बंद कर दें।