फेफड़ों को कमजोर कर रहा कोरोना वायरस, लंग्स फाइब्रोसिस की आ रही दिक्कत

Meerut। कोरोना वायरस की गिरफ्त में आए मरीज रिकवर होने के बाद भी इससे जंग लड़ने पर मजबूर हैं। ठीक होने के बाद भी अधिकतर मरीज सांस लेने में दिक्कत, सांस फूलने की समस्या महसूस कर रहे है। वायरस के पोस्ट इफैक्ट से जहां डॉक्टर्स भी हैरान हैं वहीं करीब 40 प्रतिशत मरीजों में ये दिक्कत सामने आ रही है। खासतौर से उम्रदराज लोग इससे ज्यादा परेशान हैं।

फेफड़े सिकोड़ रहा वायरस

कोरोना वायरस शरीर में गले के जरिए प्रवेश करता है। सीधे फेफड़ों पर अटैक करता है। यहां ये तेजी से कॉलोनियों का निर्माण करता है और अपनी संख्या बढ़ा लेता है। जिससे मरीजों में एक्यूट निमोनिया डेवलप हो जा रहा है। रिकवर होने के बाद ये फेफड़ों पर व्हाइट पैच छोड़ रहा है। जिसका खुलासा मरीज के एचडी एक्सरे रिपोर्ट में हो रहा है। एक्सपट्‌र्र्स के अनुसार एक्सरे में पैच वेब के रूप में दिखाई देते हैं। इसकी वजह से फेफड़े सिकुड़ जाते हैं जिसे लंग्स फ्राइब्रोसिस कहते हैं। इसमें फेफडा़ें की इलास्टीसिटी खत्म हो जाती है और कार्यक्षमता प्रभावित हो जाती है। जबकि लेवल थ्री के मरीजों में इससे एक्यूट रेस्पिरेट्ररी एक्यूट रेसपेरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम तक डेवलप हो रहा है।

ये आ रही दिक्कत

कोरोना वायरस से रिकवर होने वाले मरीजों को सांस लेने में दिक्कत के साथ सांस फूलना, खांसी, हार्ट पर लोड बढ़ना, सीने में चुभन जैसी समस्याएं आ रही हैं। इसके साथ ही जल्दी हांफ जाना, हाथों-पैरों में दर्द भी पोस्ट इफेक्ट के तौर पर सामने आ रहे हैं।

संभव है इलाज

कोविड-19 से रिकवर होने के बाद पोस्ट इफेक्ट झेल रहे मरीजों को घबराने की जरूरत नहीं हैं.डॉक्टर्स के मुताबिक लंग्स फाइब्रोसिस का काफी हद तक इलाज संभव हैं। मरीजों को चाहिए कि वह समय रहते डॉक्टर्स से परामर्श लें।

कोविड-19 से वायरल निमोनिया डेवलप होता है। अधिकतर फ्लू वायरस में इस तरह की समस्या सामने आती है। सामान्य वायरस में ये ठीक हो जाता है जबकि कोरोना वायरस में लंग्स फाइब्रोसिस के तौर पर इसके इफेक्ट सामने आ रहे हैं। हालांकि इसका इलाज संभव हैं।

डॉ। वीरोत्तम तोमर, सीनियर चेस्ट स्पेशिलस्ट, मेरठ।