मेरठ (ब्यूरो)। दिव्यांगों की सुविधा के लिए सरकारी विभागों में दिव्यांग शौचालयों की प्रदेश सरकार की योजना को खुद उनके विभाग के कर्मचारी ही पलीता लगा रहे हैं। स्थिति यह है कि सरकारी विभागों में बने दिव्यांग शौचालयों पर कब्जा हो चुका है। कब्जा भी ऐसा वैसा नहीं, बकायदा शौचालय को ही बेडरूम बनाकर इस्तेमाल में लिया जा रहा है। जबकि शौचालय के लिए दिव्यांग भटकने को मजबूर हैं।

टॉयलेट बना बेडरूम
गौरतलब है कि दिव्यांगों को सरकारी विभागों में रैंप, शौचालय और व्हील चेयर आदि की सुविधा दी जाती है। लेकिन दिव्यांगों की आवाजाही कम होने के कारण अधिकतर सरकारी विभागों में ये सुविधाएं बदहाल स्थिति में हैं। ऐसा ही एक उदाहरण संभागीय परिवहन कार्यालय में आजकल देखने को मिल रहा है। जहां दिव्यांगों के लिए बने स्पेशल टॉयलेट पर विभाग के ही कुछ कर्मचारियों ने कब्जा कर अपना बेडरूम बना लिया है। इस टायलेट में बकायदा बेड, पंखा और टीवी तक लगाया गया है। यहां से दिव्यांग शौचालय का बोर्ड तक हटा दिया गया है।

लाखों रुपए खर्च हुए
शासन के आदेश पर साल 2018 में इस टॉयलेट तक पहुंचने के लिए बकायदा टाइल्स लगाकर रैंप, स्टील रेलिंग तक बनाई गई थी। टॉयलेट में दिव्यांगों के अनुसार सभी सुविधाएं दी गई लेकिन उद्घाटन के कुछ माह बाद ही इस दिव्यांग शौचालय पर कब्जा हो गया। कब्जा भी ऐसा कि शौचालय को बकायदा बेडरूम में तब्दील कर दिया गया है। सवाल यह है कि इस टॉयलेट को बेडरूम बनाने की अनुमति किसने दी और इसमें कौन रह रहा है। वहीं दिव्यांगों के लिए इसके अलग क्या व्यवस्था की गई है।

आरटीओ कार्यालय में दिव्यांगों के लिए बने शौचालय का गेट हमेशा बंद रहता है। ऐसे में दिव्यांगों को शौचालय की सुविधा नहीं मिल पाती है। जबकि यह बनाया दिव्यांगों के लिए ही गया था।
अमित शर्मा, अध्यक्ष, दिव्यांग साझा मंच

पहले जब पुराने आरटीओ कार्यालय में लाइसेंस का काम किया जाता था तब भी यह दिव्यांग शौचालय बंद रहता था। अब डीएल का काम नहीं होता है इसलिए इस पर विभाग के लोगों ने ही कब्जा कर लिया है।
नितिन उपाध्याय, दिव्यांग

दिव्यांगों के लिए जो सुविधा है वो दिव्यांगों को मिलनी चाहिए। मगर आरटीओ कार्यालय में दिव्यांगों के लिए बने शौचालयों तो बेडरूम बन गए हैैं।
सरफराज, दिव्यांग

ऐसा कोई मामला संज्ञान में नहीं है। अगर दिव्यांग शौचालय पर किसी का कब्जा है तो जांच कराकर उसे तुरंत हटाया जाएगा।
राहुल शर्मा, आरआई