सर छोटूराम इंस्टीट्यूट में इस साल इलेक्ट्रॉनिक व इंस्टूमेंटेशन ब्रांच में नहीं होंगे एडमिशन

सीसीएसयू की कार्यपरिषद की बैठक में लिया गया फैसला

Meerut। कोविड महामारी के चलते इस साल सर छोटूराम इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में इलेक्ट्रॉनिक व इंस्टूमेंटेशन ब्रांच में दाखिले नहीं लिए जाएंगे। यह फैसला शुक्रवार को सीसीएस यूनिवर्सिटी की कार्यपरिषद की बैठक में लिया गया।

आएगा नया कोर्स

सीसीएसयू के वीसी नरेंद्र तनेजा की अध्यक्षता में हुई वर्चुअल बैठक में तय किया गया कि सर छोटूराम इंस्टीटयूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के इलेट्रॉनिक एंड इंस्टूमेंटेशन ब्रांच को अत्यधिक घाटे की स्थिति में होने के कारण इस वर्ष से बंद कर दिया जाएगा। उसमें कार्यरत टीचर्स व कर्मचारियों के साथ काम का अनुबंध किया जाएगा। इस बात की संभावना पर भी विचार किया जाएगा कि किसी ऐसे विषय को प्रारंभ किया जाए, जो आधुनिक बाजार की मांग के अनुरूप हो, जिससे अधिक से अधिक शिक्षकों एवं कर्मचारियों को आवश्यकतानुसार समायोजित किया जा सके। इसके अलावा, इंस्टीट्यूट में टीचर्स को पुनर्नियोजन के लिए आवेदन करने के लिए एक सप्ताह का वक्त दिया गया है।

14 स्टूडेंट्स को उपाधि

मीटिंग में बताया गया कि इस बार रिसर्च करने वाले 14 स्टूडेंट्स को उपाधि दी जाएगी। सर छोटूराम में कार्यालय अधीक्षक श्रीकांत अरोड़ा के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए भी दो सदस्य कमेटी गठित हो चुकी है। वहीं हाईरैंक बिजनेस स्कूल नोएडा द्वारा सेल्फ फाइनेंस योजना के तहत बीएड कोर्स की मान्यता को उनके अनुरोध पर रद किया गया है।

मिल सकेगी जॉब

इसके साथ ही तय किया गया कि सीसीएसयू से संबद्ध कॉलेजों में कार्यरत किसी भी शिक्षक व शैक्षणिक कर्मचारी की सेवा के दौरान मृत्यु होने पर उसी कॉलेज में उपलब्ध बजट में से मृतक आश्रित कोटे से परिवार के एक सदस्य की योग्यता के अनुसार उसे नौकरी दी जाएगी। बैठक में प्रोवीसी प्रो। वाई विमला, रजिस्ट्रार धीरेंद्र कुमार वर्मा, वित्त अधिकारी सुशील गुप्ता, प्रो। हरे कृष्णा, प्रो। जयमाला, प्रो। एसएस गौरव, प्रेस प्रवक्ता मितेंद्र गुप्ता मौजूद रहे।

एमबीबीएस मामले में डिप्टी रजिस्ट्रार दोषी

एमबीबीएस 2018 के दो छात्रों के उत्तरपुस्तिका प्रकरण में उपकुलसचिव अरुण यादव को दोषी मान लिया गया है। अब यूनिवर्सिटी की ओर से उनके निष्कासन के लिए शासन को लिखा जाएगा। एसआईटी की जांच रिपोर्ट के बाद यूनिवर्सिटी की ओर से बनाई गई समिति ने इसकी संस्तुति की थी।

कई हुए थे गिरफ्तार

गौरतलब है कि साल 2018 में एसटीएफ ने विवि में एमबीबीएस की कापियां बदलने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया था। एमबीबीएस के दो छात्रों को कॉपी बदलते पकड़ा गया था। कई आरोपियों की गिरफ्तारी भी हुई थी। मामले में एसआईटी जांच जारी है। जांच पूरी होने से पहले ही दोनों छात्रों ने एमबीबीएस की परीक्षा भी दे दी और उनका रिजल्ट भी घोषित कर दिया गया। इसकी जानकारी होने पर विश्वविद्यालय ने छात्रों का रिजल्ट रोक दिया था। साथ ही जांच पूरी हुए बिना रिजल्ट जारी करने के आरोप में गोपनीय विभाग के प्रभारी व डिप्टी रजिस्ट्रार अरुण यादव को दोषी ठहराते हुए निलंबित कर दिया था। जांच के लिए विवि की कमेटी बनाई गई थी, जिसकी रिपोर्ट में अरुण यादव को दोषी मानते हुए उनके निष्कासन की संस्तुति कर दी गई है।