Meerut। शास्त्रों के अनुसार पूरे साल में फुलेरा दूज एक ऐसा दिन है, जब शादी विवाह और अन्य मांगलिक कार्य करना शुभ होता है। फुलेरा दूज हर साल फाल्गुन माह में आती है, और इस बार क्भ् मार्च को है। यह पर्व फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इसे सर्दी के मौसम में विवाह का अंतिम अबूझ मुहूर्त और शुभ दिन माना जाता है। इसलिए इस दिन शादियों की धूम रहती है। माना जाता है कि इस दिन विवाह बंधन में बंधने वाले जोड़ों पर भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की विशेष कृपा रहती है। क्भ् मार्च को द्वितीया तिथि शाम म्.भ्0 बजे समाप्त होगी।

फुलेरा दूज के दिन क्या करना है शुभ

सूरजकुंड स्थित बाबा मनोहरनाथ मंदिर की महामंडलेश्वर नीलिमानंद महाराज ने बताया कि इस दिन शादी विवाह के अलावा गृह प्रवेश, नए व्यापार की शुरुआत की जा सकती है। मान्यता है कि फुलेरा दूज का दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी को समर्पित है। यह तिथि होली पर्व के शुभारंभ का भी दिन है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के लिए व्रत भी किया जाता है। इस दिन गुलाल अर्पित करके पूजा उपासना की जाती है। पौराणिक कथा है कि व्यस्तता के कारण श्रीकृष्ण कई दिनों तक राधा रानी से मिलने वृंदावन नहीं जा सकें। ऐसे में राधा रानी और गोपियां उनसे नाराज हो गई। राधा रानी के उदास होने से मथुरा के वन और पुष्प सूखने लगे। जब श्रीकृष्ण को इसकी जानकारी हुई तो वह राधा रानी से मिलने पहुंचे और राधा रानी खुश हो गई। श्रीकृष्ण ने एक पुष्प तोड़कर राधा रानी को छेड़ने के लिए उन पर फेंक दिया। इसके बाद राधा रानी ने भी ऐसा ही किया। दोनों को एक दूसरे पर पुष्प फेंकते देख गोपियां और ग्वाले भी ऐसा करने लगे। माना जाता है। तभी से पुष्प होली खेलने का प्रचलन है।