कैंट बोर्ड ने अपनी आर्थिक स्थितियों को सुधारने के लिए शुल्क वसूलने की बनाई थी योजना

व्यापारियों का कहना, कोरोना काल के चलते व्यापारियों के काम-धंधे ठप, कहां से देंगे शुल्क

Meerut। कैंट बोर्ड ने अपनी आमदनी बढ़ाने और आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए कुछ दिनों पहले ट्रेड लाइसेंस शुल्क वसूलने की योजना शुरू की थी। मगर लॉकडाउन ने पूरी योजना पर अब पानी फेर दिया है। व्यापारी अब किसी भी कीमत पर ट्रेड लाइसेंस लेने व टैक्स देने को तैयार नहीं हैं। व्यापारियों के अनुसार उनको दो सालों से लगातार घाटा हो रहा है। ऐसे में ये लाइसेंस शुल्क बड़ी मुसीबत है, जो नहीं दिया जाएगा।

ऐसे शुरू हुई थी योजना

बता दें कि रक्षा मंत्रालय ने गत मार्च में देशभर में कैंट क्षेत्रों के व्यापारियों से ट्रेड लाइसेंस शुल्क लिए जाने की योजना शुरू की थी। मगर मेरठ में व्यापारी लगातार इस योजना का विरोध कर रहे हैं। इसको लेकर कई बार व्यापारी हंगामें भी कर चुके हैं। जिसके चलते कैंट बोर्ड के सीईओ नवेद्रं नाथ ने व्यापारियों के हित को ध्यान में रखते हुए ट्रेड लाइसेंस शुल्क तय करने के लिए एक कमेटी बना दी थी। उपाध्यक्ष बीना वाधवा सहित सभी मेंबर्स ने व्यापार के अनुसार विभिन्न कैटेगरी में ट्रेड शुल्क डिवाइड कर दिया था। इसके बाद 23 मार्च को हुई बोर्ड बैठक में इसे पास कर दिया गया और व्यापारियों से इसके लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे।

नहीं दिखाई रुचि

बता दें कि जब कैंट की ओर से पहले ट्रेड लाइसेंस के लिए आवेदन मांगे गए थे। तब भी व्यापारियों ने इसमें रुचि नहीं दिखाई थी। तब भी केवल 17 लोगों ने ही आवेदन किए थे। अब व्यापारियों ने कोरोना काल में अपनी आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए ट्रेड लाइसेंस शुल्क का विरोध फिर से शुरूकर दिया है।

व्यापारी पिछले दो सालों से कोरोना की मार का झेल रहे हैं। आर्थिक संकट का सामना सबको करना पड़ रहा है। व्यापारियों के सिर पर कई-कई महीनों का किराया चढ़ा हुआ है। ऐसे में व्यापारी ट्रेड लाइसेंस शुल्क कहां से दे पाएगा।

अमित बंसल, महामंत्री, सदर व्यापार मंडल

व्यापारियों का कोविड के चलते बहुत नुकसान हो चुका है। कोरोना काल के दौरान भारी मात्रा में व्यापारियों का सामान भी खराब हो गया। इतने नुकसान का बोझ झेल रहा व्यापारी ट्रेड लाइसेंस शुल्क कैसे दे पाएगा।

सुनील दुआ, अध्यक्ष, सदर व्यापार मंडल

कोरोनाकाल में व्यापारियों का काम-धंधा ठप पड़ा है, तो ट्रेड लाइसेंस शुल्क का कोई औचित्य नहीं है। वहीं जो दुकानदार जीएसटी लिमिट में नहीं हैं, उनका पंजीकरण होना चाहिए। उनसे काम के हिसाब से ही उनसे शुल्क लेना चाहिए।

विनेश जैन, मंडल संयोजक, फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल