दिलीप कुमार 1966 में आए थे मेरठ, निगार सिनेमा में था फिल्म के प्रोमोशन का कार्यक्रम

वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट ज्ञान दीक्षित ने साझा किए दिलीप कुमार से जुड़े यादगार पल

Meerut। बालीवुड के ट्रेजडी ¨कग दिलीप कुमार नहीं रहे। बुधवार तड़के उन्होंने मुंबई के हिंदूजा हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। मगर सिने जगत का यह 'सलीम' मेरठवासियों के जेहन में हमेशा जिंदा रहेगा।

फिल्म का प्रोमोशन

बता दे कि 55 साल पहले दिलीप कुमार 1966 में फिल्म दिल दिया दर्द लिया के प्रमोशन के लिए मेरठ आए थे। मेरठ में निगार सिनेमा में फिल्म का प्रमोशन हुआ और शहर के संभ्रांत लोगों ने दिलीप कुमार का जोर-शोर से स्वागत किया था। दरअसल, निगार सिनेमा के मालिक मेरठ की मशहूर नादिर अली शाह कंपनी के संचालक सईद साहब फिल्म के डिस्ट्रीब्यूटर भी थे।

मुंबई भेजे फोटो

मेरठ के दादा साहिब फाल्के अवार्ड से सम्मानित ज्ञान दीक्षित का दिलीप कुमार से खासा नाता रहा है। वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट ज्ञान दीक्षित ने दिलीप कुमार की चíचत फिल्में लीडर, मशाल, बैराग की शूटिंग के दौरान सेट पर ढेरों फोटो क्लिक किए, जिन्हें बाद में उन्होंने दिलीप कुमार को तोहफे के रूप में मुंबई भिजवाया।

गुलदस्ता भेंट किया

ज्ञान दीक्षित बताते हैं कि 1964 के आसपास का वक्त होगा। जब आगरा के ताजमहल में दिलीप साहब फिल्म लीडर के चíचत गीत किस शंहशाह ने बनवाके हंसी ताजमहलकी शूटिंग चल रही थी। उन्होंने बताया कि मेरा दोस्त गोपाल मिश्रा जो उस वक्त मेरठ के एनएएस कॉलेज में मेरे साथ बीए कर रहा था, उसके पिता एसएस मिश्रा हमें शूटिंग दिखाने ले गए। दरअसल एसएस मिश्रा यूपी पुलिस में अफसर थे और उस वक्त उनकी ड्यूटी वहां लगी थी। गाने की शूटिंग के दौरान सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा उन पर ही था। मुझे फोटोग्राफी का शौक था, सो मैं वहां कैमरा चलाने लगा। गाने के दौरान कुछ फोटो शूट किए, तब दिलीप साहब से पहली भेंट हुई। उन्होंने नाम पूछा और पास रखा फूलों का गुलदस्ता मुझे भेंट कर दिया। बोले ज्ञान बहुत आगे जाओ खूब नाम कमाओ। आगरा में तीन दिन रहा, हर रोज शूटिंग पर जाता और दिलीप साहब को देखता। कमाल की शख्यसियत थे।

देखते ही पहचान लिया

ज्ञान दीक्षित बताते हैं कि दिलीप साहब से दूसरी मुलाकात 1983 में फिल्म मशाल के सेट पर हुए। मुंबई नटराज स्टूडियो में फिल्म मशाल के होली गीत की शूटिंग हो रही थी। एक सीनियर फोटोग्राफर के साथ मैं वहां पहुंचा। मुझे देखते ही दिलीप साहब पहचान गए बोले आप तो आगरा में मिले थे। वहां एक दिन रहा, उनकी कुछ तस्वीरें भी खींची, जिन्हें उन्होंने काफी पसंद किया। तब ब्लैक एंड व्हाइट फोटो होते थे, स्टिल शूट नहीं था। इसलिए चुनिंदा तस्वीरें ही खींची जाती थी। इसके बाद मुंबई में बैराग फिल्म की शूटिंग में दिलीप साहब की तस्वीरें उतारीं। सायरा बानो और दिलीप साहब दोनों फिल्म में साथ थे। पति-पत्नी की वो मेमोरेबल तस्वीर मैं खींच पाया, खुद को खुशकिस्मत मानता हूं।

मेरठ को बहुत मानते थे

ज्ञान दीक्षित ने बताया कि मैं जब भी दिलीप साहब से मिला वो बड़े खुश होते थे। मैंने बताया मेरठ से हूं तो बेहद सम्मान देते। कहते तुम तो उस शहर से हो जहां से बैजूबावरा, बहादुर शाह जफर जैसी फिल्में करने वाले मशहूर अभिनेता भारत भूषण हुए हैं। भारत भूषण जैसे अभिनेता बालीवुड में हो नहीं सकते।

दिलीप कुमार से भेंट

शहर के अंतराष्ट्रीय हास्य कवि व शायर डॉ। पापुलर मेरठी बताते हैं कि मेरे बड़े भाई सरफराजुद्दीन शाह के सईद साहब से करीबी ताल्लुकात थे। हमारा परिवार तब खैरनगर में रहता था। भाई सरकारी ठेकेदार थे, तो सईद साहब ने हमारी भेंट दिलीप साहब से कराई। नादिर अली शाह की जली कोठी की ऐतिहासिक बिल्डिंग में हम सबकी भेंट हुई। उनके साथ सईद साहब का परिवार, सरफराजुद्दीन शाह की पत्नी सैय्यदा अकीला, बहन सैय्यदा रुखसाना निजामी ने फोटो भी खिंचवाई थी।