परिवहन विभाग ने शुरू की मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण कोर्ट बनाने की तैयारी

कलक्ट्रेट के पास कोर्ट के लिए जमीन तलाश रहा परिवहन विभाग

Meerut। दुर्घटना के बाद क्लेम के लिए वर्षो कोर्ट के चक्कर लगाने वाले वाहन चालकों को अब राहत मिलेगी। दुर्घटना क्लेम के जल्द निस्तारण के लिए मेरठ में दूसरी ट्रिब्यूनल कोर्ट यानि मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण कोर्ट बनाई जाएगी। परिवहन विभाग इस कोर्ट के लिए कलक्ट्रेट परिसर के आसपास भवन की तलाश में जुट गया है। इस ट्रिब्यूनल कोर्ट के स्टार्ट होने के बाद दुर्घटना से संबंधित सभी प्रकार केसेज यहां ट्रांसफर कर दिए जाएंगे।

जल्द होगा निस्तारण

प्रदेश में दुर्घटना क्लेम के मुकदमों को कम करने के लिए शासन द्वारा सभी जिलों में मोटरयान अधिनियम 1988 की धारा 165 के अंतर्गत ट्रिब्यूनल कोर्ट का गठन किया जा रहा है। इसके तहत मेरठ में पहले से एक कोर्ट संचालित है लेकिन वह छोटी होने के कारण लंबे समय तक रोड एक्सीडेंट क्लेम के मामले पेंिडंग रहते हैं। ऐसे में इस नई कोर्ट के निर्माण की जिम्मेदारी परिवहन विभाग को दी गई है। ट्रिब्यूनल कोर्ट में मुकदमों की सुनवाई के लिए एडीजी रैंक के अधिकारी बैठेंगे। इसमें परिवहन विभाग के एक सहायक कनिष्क और एक चपरासी की भी ड्यूटी लगाई जाएगी। बाद में आउटसोर्सिग पर कर्मचारियों को रखा जाएगा।

पांच कमरों का कोर्ट

शासनादेश के अनुसार कोर्ट बनाने के लिए कम से कम 1200 वर्ग मीटर जमीन होनी चाहिए। जिसमें न्यायालय कक्ष, स्टाफ के लिए तीन कक्ष, रिटायरिंग कक्ष होना चाहिए। इसके अनुसार कलक्ट्रेट के आसपास पांच कमरे का भवन तलाश किया जा रहा है।

मुआवजे का लाभ

दुर्घटना के बाद सरकार द्वारा घायलों को 12500 रुपए दिए जाते हैं। वहीं दुर्घटना में मृत्य हो जाने पर मृतक के परिवार को 25 हजार रुपए दिए जाते हैं। मगर यह मुआवजा मोटर क्लेम के जरिए मिलता है, जो बहुत ही लंबा प्रोसेस है। दरअसल, सड़क दुर्घटना में आए दिन मौतें होती हैं, जिसके कारण क्लेम की फाइलें भी अनगिनत हो जाती हैं। अब जिले में दुर्घटना से जुड़े मामलों के निस्तारण के लिए कोर्ट बनने से सभी क्लेम के मामलों का निस्तारण जल्द हो जाएगा।

ट्रिब्यूनल कोर्ट में मुकदमों की सुनवाई के लिए एडीजी रैंक के अधिकारी बैठेंगे। इसको बनाने की जिम्मेदारी परिवहन विभाग को दी गई है। इसके लिए हम कलक्ट्रेट के आसपास जगह की तलाश कर रहे हैं।

श्वेता वर्मा, एआरटीओ