एक्सप्रेस वे पर चलने के दौरान संभावित खतरे से दूर रहने के लिए कुछ बातें जाननी जरूरी

टायर में हवा का दवाब, टायर की गुणवत्ता के अलावा अन्य बातों का ध्यान देकर करें सुरक्षित यात्रा

Meerut। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे पर वाहनों का आवागमन शुरू होने से दिल्ली व इससे जुड़े अन्य शहरों तक का सफर सुहावना हो गया है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि चौड़ी सड़क और समतल रास्ते को देखकर नियमों की अनदेखी कर वाहन को दौड़ने की गलती मत करिएगा। जी हां, क्योंकि यह भूल आप पर भारी पड़ सकती है। आपकी थोड़ी सी असावधानी आपके सफर को असुरक्षित बना सकती है। एक्सप्रेस वे पर चलने के दौरान संभावित खतरे को दूर करने के लिए जरूरी है कुछ बातें का ख्याल रखा जाए। आपके सफर को सुरक्षित बनाने के लिए समुद्रा हुंडई मोटर्स के निदेशक शलभ गुप्ता ने कुछ तकनीकी पहलु सुझाए हैं आइए जानते हैं-

नाइट्रोजन भरवाएं

सीमेंटेड सड़क पर टायर पर अधिक घर्षण होता है, इससे सफर के दौरान टायर फटने की आशंका होती है। इसे कम करने के लिए टायर में सामान्य हवा के स्थान पर नाइट्रोजन भरवाएं। बता दें कि मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस वे तो डामर रोड है लेकिन इससे कनेक्टेड ईस्टर्न पेरीफेरल और आगे चलकर यमुना एक्सप्रेस-वे सीमेंटेड रोड है।

इन उपायों को अपनाकर सफर बनाए सुरक्षित

एक्सप्रेस वे पर यात्रा करने से पूर्व घर से निकलते समय टायर की क्वालिटी अवश्य जांच लें।

वाहन के टायरों में मानक के हिसाब से हवा का दवाब रखें। चालक सीट के पास हवा के दवाब का मानक दिया होता है।

एक्सप्रेस वे पर चलने के दौरान नियंत्रित गति में भी वाहन चलाएं। कार 80-100 किमी। प्रति घंटा की गति से तेज न चलाएं।

सीमेंट से निर्मित सड़क पर सफर के दौरान वाहन को लगातार न चलाएं, ब्रेक लेकर चलें।

बिना कैलिब्रेशन (मापांकन) के कभी भी टायर में हवा न डलवाएं।

अधिकृत जगह से ही टायर का दवाब चेक कराएं या हवा डलवाएं।

तय गति में चलें और अपनी लेन में चलें।

लेन बदलते समय विशेष सावधानी बरतें और इंडिकेटर देकर ही लेन बदलें।

पुराने, घिसे व चटके हुए टायर गति में अधिक गर्म होते हैं और उनके फटने की आशंका भी अधिक होती है। इससे बचें।

गर्मी में टायर फटने की संभावना अधिक होती हैं क्योंकि रफ्तार और गर्मी के चलते टायर में दवाब बढ़ता है। इसलिए विशेष सावधानी बरती जानी जरूरी है।