कोरोना वैक्सीन की वेस्टेज कम करने की कवायद में जुटे वैक्सीनेटर्स

वायल में ओवरफिल डोज का भी कर रहे इस्तेमाल

जिला अस्पताल वैक्सीन सेंटर समेत कई केंद्रों पर प्रयोग

Meerut। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में कोरोना वैक्सीन की वेस्टेज को कम करने के लिए कहा था, लेकिन मेरठ उससे पहले ही जीरो वैक्सीन वेस्टेज की राह पर चल रहा है। केरल मॉडल की तरह यहां भी वेक्सीनेटर्स वैक्सीन की आखिरी बूंद तक का प्रयोग करने में लगे हुए हैं। जिला अस्पताल के वैक्सीनेशन सेंटर्स में वैक्सीन बचाने के प्रयोग के बाद दूसरे सेंटर्स ने भी इसे अमल में लाना शुरू कर दिया है।

ओवरफिल का भी यूज

वैक्सीन की वेस्टेज बचाने के लिए सेंटर्स ओवरफिल का भी यूज कर रहे हैं। यानी हर वैक्सीन कि वायल में 10 डोज की खुराक होती हैं। मगर कंपनियां इसमें वैक्सीन की कुछ प्रतिशत मात्रा एक्स्ट्रा डालती हैं। जिसे ओवरफिल कहते हैं। वैक्सीनेशन सेंटर्स अब इस एक्स्ट्रा डोज का इस्तेमाल भी वैक्सीन लगाने में कर रहे हैं।

ऐसे होता है प्रयोग

जिला अस्पताल के वैक्सीनेशन सेंटर्स के नोडल इंचार्ज डॉ। विनोद द्विवेदी बताते हैं कि वह और उनकी टीम वैक्सीन की बूंद-बूंद बचाने के लिए पूरा प्रयास कर रही है। वह बताते हैं कि वैक्सीनेटर शीशी में बची एक्स्ट्रा डोज को सुरक्षित रख लेते हैं। कुछ शीशियों की एक्स्ट्रा डोज को मिलाकर एक कंप्लीट डोज बन जाती है, जिसे बेनेफिशयरी को लगाया जाता है। इससे वैक्सीन वेस्ट होने से बच जाती है।

10 लोगों का इंतजार

डॉ। विनोद द्विवेदी बताते हैं कि ओवरफिल के अलावा उनकी टीम वेस्टेज को खत्म करने के लिए दूसरे कदम भी उठा रही है। इसके तहत अस्पताल में दोपहर 2 बजे के बाद नई वायल तभी खोली जाती है, जब वैक्सीनेशन करवाने के लिए 10 लोग उपलब्ध हो जाते हैं। उन्होंने बताया की अधिक से अधिक लोगों के टीकाकरण के लिए उनकी टीम लोगों को लगातार कॉल भी करती रहती है। जिसके चलते उनका वैक्सीनेशन वेस्टेज जीरो रहता है।

ये है गणित

वैक्सीन की एक्स्ट्रा डोज का कुशलता के साथ प्रयोग करने की वजह से ही वैक्सीनेशन सेंटर्स कम खपत में ज्यादा लोगों को वैक्सीनेट कर पा रहे हैं। उदाहरण के तौर पर जिला अस्पताल के आईसीयू वार्ड में 17 वायल से 178 लोगों को टीका लगाया गया। जबकि अमूमन 17 वायल का प्रयोग 170 लोगों पर ही हो पाता है। एक लाभार्थी को 0.5 एमएल डोज दी जाती है। इसके बाद 5 एमएल की शीशी में जो भी थोड़ी बहुत डोज बचती है उसे इकठ्ठा कर अधिक लोगों को वैक्सिनेट कर लिया जाता है।

कई सेंटर्स ने किए प्रयोग

जिला अस्पताल में जीरो वैक्सीन वेस्टेज का सफल और कुशल प्रयोग होने के बाद अब दूसरे सेंटर्स भी इसका प्रयोग करने लगे हैं। जिले में धीरे-धीरे ये आंकड़ा बढ़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में बनी सेंट्रल लाइब्रेरी वैक्सीनेशन सेंटर 1 और 2 में भी इसी तरह के प्रयोग हुए हैं। इसके अलावा भूड़बराल, रोहटा, मवाना, सरधना, पांचली-खुर्द, फफूंडा में भी जीरो वैक्सीन वेस्टेज की तर्ज पर एक्स्ट्रा वैक्सीन का प्रयोग किया जाने लगा है। जबकि मेरठ में ओवरऑल वैक्सीन वेस्टेज के आंकड़े भी अब माइनस में आने शुरू हो गए हैं।

21 मई की स्थिति

वैक्सिनेशन सेंटर- लाभार्थी-वायल्स यूज्ड

सेंट्रल लाइब्रेरी 1 वैक्सीनेशन सेंटर - 207- 19

सेंट्रल लाइब्रेरी दो वैक्सीनेशन सेंटर-217- 20

भूड़बराल वैक्सीनेशन सेंटर-174- 17

रोहटा वैक्सीनेशन सेंटर-169- 16

मवाना वैक्सीनेशन सेंटर- 115- 11

सरधना वैक्सीनेशन सेंटर- 162- 16

पांचली-खुर्द वैक्सीनेशन सेंटर-161- 16

फफूंडा वैक्सीनेशन सेंटर-111- 11

18 से 44 आयु वर्ग के टीकाकरण के दौरान वैक्सीन की कमी शुरू हुई थी। उसके बाद हमने टीम के साथ पूरा एक्शन प्लान तैयार किया। हम नहीं चाहते थे कि कोई निगेटिव फीडबैक मिले। इसलिए पूरी टीम ने योजनाबद्ध तरीके से काम किया। वहीं लगातार सेंटर की मॉनिटरिंग भी इसका एक कारण है।

डॉ। विनोद द्विवेदी, वैक्सीनेशन नोडल इंचार्ज, जिला अस्पताल