मेरठ (ब्यूरो)। अपने आप में 1857 की क्रांति का इतिहास संजोए मेरठ में रामायण काल से लेकर मुगलकाल से जुड़े ऐसे दर्जनों स्थल आज भी मौजूद हैं, जो सैकडों सालों की कहानी बयां कर रहे हैं। मगर रख-रखाव का खर्च और इच्छाशक्ति की कमी के चलते ये स्थल गुमशुदा होते जा रहे हैं। हालांकि पर्यटन विभाग लगातार इन स्थलों को संजोने के लिए प्रयासरत है। इसी प्रयास के तहत पर्यटन विभाग ने 5895 लाख रुपयेके बजट का प्रस्ताव तैयार कर स्वीकृति के लिए शासन को भेजा है।

क्रांति स्थलों का जीर्णोद्धार
गौरतलब है कि पर्यटन विभाग के प्रयास के चलते मेरठ शहर के कई ऐतिहासिक स्थलों को गत वर्षों में संजोया भी गया है। जिसके चलते हर साल विरासत स्थलों तक आमजन की पहुंच बढ़ती जा रही है। इसी क्रम में इस साल भी पर्यटन विभाग ने कुछ विरासत स्थलों के जीर्णोद्धार की योजना बनाई है। इसके तहत शहर में मौजूद रामायण व महाभारत सर्किट के मंदिरों समेत 1857 की क्रांति स्थलों को विकसित किया जाएगा।

इन स्थलों के विकास के लिए भेजा बजट प्रस्ताव
महाभारत सर्किट
हस्तिनापुर का समेकित पर्यटन विकास- 3115.63 लाख
परीक्षितगढ़ में गांधारी तालाब का पर्यटन विकास- 2135.56 लाख

रामायण सर्किट
नौचंदी मंदिर खुर्द स्थित शहीद स्थल का जीर्णोद्वार- 199.87 लाख
प्राचीन शिव मंदिर करनावल का पर्यटन विकास- 19.95 लाख
मां भद्रकाली सेवा संस्थान- 50 लाख
झाडखंडी शिव मंदिर नारंगपुर - 50 लाख

1857 की क्रांति के शहीद स्थल
ग्राम पांचली खुर्द स्थित शहीद स्थल का जीर्णोद्धार- 214.46 लाख
ग्राम सरधना तहसील स्थिति ग्राम भमौरी शहीद स्थल का जीर्णोद्वार- 113 लाख

पांचली और भामौरी गांव
4 जुलाई 1857 की क्रांति के नायक धन सिंह गुर्जर के गांव पांचली और मिनी जलियांवाला बाग के नाम से मशहूर भामौरी गांव के शहीद स्मारक को भी इस योजना में शामिल किया गया है। क्रांति के नायक धन सिंह गुर्जर ने क्रांतिकारियों का खुलकर साथ दिया था। अंग्रेजों ने इसका बदला लेने के लिए पांचली गांव पर तोपों से हमला कर दिया था। इस हमले में 400 से अधिक लोग शहीद हो गए थे। कुछ ऐसा ही इतिहास सरधना के भामौरी गांव का है। जो शहीदों के गांव के नाम से मशहूर है। 18 अगस्त 1942 को इस गांव में फिरंगियों के खिलाफ रणनीति बनाने के लिए ग्रामीण चौपाल पर एकत्र हुए थे। अचानक अंग्रेजी फौज ने ग्रामीणों पर हमला कर दिया था। इस गोलीबारी में 28 से अधिक ग्रामीण शहीद हो गए थे। जिस कारण से इसे मिनी जलियांवाला बाग भी कहा जाता है।

रामायण व महाभारत सर्किट से जुड़े प्राचीन मंदिर और 1857 की क्रांति से जुड़े स्थलों को संवारने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय भेजा गया है। बजट स्वीकृत होने के बाद काम शुरू होगा।
अंजू चौधरी, जिला पर्यटन अधिकारी