मेरठ (ब्यूरो)। ऐसा नहीं है कि शहर में लोगों के लिए पब्लिक टॉयलेट की सुविधा नहीं है। नगर निगम की ओर से लाखों रुपये खर्च कर ये सुविधा शहर के अलग-अलग स्थानों पर दी गई है। मगर ये पब्लिक टॉयलेट्स किसी काम के नहीं हैैं। कारण, ये है कि इन टॉयलेट्स पर ताले लटके हुए हैैं, जिसके चलते लोग इनका उपयोग ही नहीं कर पाते हैैं।

नहीं खुलते ताले
नगर निगम के आंकडों के अनुसार शहर में करीब 57 स्थानों पर 312 शौचालय हैं। सुबह चार से रात 10 बजे तक शौचालयों के खुलने का समय निर्धारित है, लेकिन ये खुलते ही नहीं हैं। लोग पब्लिक टॉयलेट्स तक आते हैैं लेकिन यहां ताला लटका देख वापस लौट जाते हैैं।

टॉयलेट्स के हालात बदतर
शहर में कुछ जगहों जैसे रजबन, बेगमपुल में टॉयलेट्स पर ताले नहीं लगे हैैं लेकिन वहां पानी की सुविधा और सफाई न होने के चलते लोग जाने से कतराते हैैं। साथ ही इन जगहों पर इतनी बदबू रहती है कि वहां से गुजरना भी बड़ा मुश्किल होता है।

सूरजकुंड स्पोर्ट्स मार्केट
सूरजकुंड स्पोर्ट्स मार्केट में चार साल पहले 10 सीटर टॉयलेट पब्लिक यूज के लिए बनाए गए थे। लेकिन चार साल से यह शौचालय पब्लिक के लिए शोपीस ही बने हुए हैं।

नौचंदी मैदान-गोल मार्केट
इसी तरह नौचंदी मैदान और साकेत में गोल मार्केट के पास बने सार्वजनिक शौचालयों में ताले लगे हुए हैं।

माधवपुरम
वहीं माधवपुरम में भी सार्वजनिक शौचालय का यही हाल है। जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन द्वारा इनके शुभारंभ के बोर्ड नगर निगम ने कई सार्वजनिक शौचालयों के सामने लगा रखे हैैं।

कंकरखेड़ा
कंकरखेड़ा में शिवचौक पुलिस चौकी के पास बने पब्लिक टॉयलेट पर हमेशा ताला लटका रहता है। भीड़-भाड़ वाले इस इलाके में एक ही पब्लिक टॉयलेट है लेकिन किसी काम का नहीं।

सुविधाओं का अभाव
सेनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन की कमी
नागरिक फीडबैक नंबर बंद
नैपकिन निस्तारण मशीन नहीं
टिशू पेपर, हैंड वॉश, तौलिया, एयर फ्रै शनर नहीं
हॉर्पिक, पोछा, झाड़, वाइपर, वॉश बेसिन की कमी
दिव्यांग के लिए शौचालयों में रैंप नहीं
महिला शौचालय के प्रत्येक सीट के पास कूड़ेदान नहीं

टॉलेट्स पर ताला लगा है इसलिए इनका उपयोग ही नहीं हो रहा है। लेकिन जब ताला ही लगाना ही था तो इन्हें बनाया क्यों गया। इस मामले में नगर निगम को जांच करनी चाहिए।
अरुण

सूरजकुंड पार्क के बाहर पब्लिक टॉयलेट्स पर हमेशा ताला लगा रहता है। हालांकि वहां बराबर में सुलभ शौचालय है, जहां पैसा देकर लोग टॉयलेट की सुविधा का लाभ ले सकते हैैं।
मनोज वर्मा

शहर में अधिकतर यूरिनल के साथ अटैच टॉयलेट पर हमेशा ताला ही लगा रहता है। इनका उपयोग आम जनता कर ही नहीं पाती है। मेरा तो यह कहना है कि आप भी पैसे लीजिए पर इनके ताले तो खोलिए।
चांद

टॉयलेट्स को समय से खोलने और बंद करने की जिम्मेदारी सुपरवाइजर को दी गई हैं। फिर भी यदि यह समस्या है तो इसका निरीक्षण किया जाएगा।
डॉ। हरपाल सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी