केस 1
कैंट निवासी पूजा (काल्पनिक नाम) की शादी दो साल पहले पल्लवपुरम निवासी संयुक्त परिवार में हुई थी। पूजा को पति शिवम (काल्पनिक नाम) के मां-बाप का रोकना-टोकना पसंद नहीं था। शादी के शुरुआती दो साल तक तो मामला घर की दहलीज के अंदर ही रहा लेकिन अब परिवार परामर्श केंद्र तक जा पहुंच गया है।

केस 2
गंगानगर निवासी राशि (काल्पनिक नाम) की शादी एक साल पहले कंकरखेड़ा के रजत (काल्पनिक नाम) से हुई थी। एक साल तक सब ठीक रहा लेकिन उसके बाद रजत को राशि का अपनी मां से ज्यादा बात करना नागवार गुजरने लगा। बात बढ़ी तो मामला परिवार परामर्श केंद्र तक पहुंच गया।

केस 3
माधवपुरम निवासी मोनिका (काल्पनिक नाम) की शादी करीब ढाई साल पहले शास्त्रीनगर निवासी सुशांत (काल्पनिक नाम) से हुई थी। सुशांत अपने माता-पिता के साथ ज्वाइंट फैमिली में रहता था। मगर धीरे-धीरे मोनिका ने इंडीपेंडेंट रहने की जिद पकड़ ली। मामला ने जब ज्यादा तूल पकड़ी तो मसला परिवार परामर्श केंद्र पहुंच गया।

मेरठ (ब्यूरो)। घरेलू विवादये दो शब्द सुनकर शायद आपको अच्छा न महसूस हो लेकिन क्या करें इस पर भी बात करना जरूरी है। आपको बताते चलें कि पहले पति-पत्नी के बीच घरेलू विवाद की जड़ पति का शराब पीना, मारपीट करना, नौकरी न करना और सास-बहू की आपसी अनबन हुआ करता थी। मगर अब घरेलू विवाद का टे्रेंड बदल गया है। परिवार परामर्श केंद्र के आंकड़ों पर नजर डालें तो अब लड़की को शादी के बाद ज्वाइंट फैमिली की बजाए न्यूक्लियर फैमिली में इंडीपेंडेंट रहना ज्यादा सूट कर रहा है। लड़के के मां-बाप का साथ रहना पत्नी को पसंद नहीं है और ये घरेलू विवाद का बड़ा कारण बनता जा रहा है।

इंडिपेंडेंट रहना ज्यादा पसंद
परिवार परामर्श केंद्र प्रभारी आंचल शर्मा ने बताया कि जितने भी मामले आए हैं उनमें से अधिकतर में लड़कियों को परिवार का हस्तक्षेप नहीं पसंद है। ज्यादातर मामलों में लड़कियां परिवार के साथ नहीं रहना चाहती हैं। आज की युवा पीढ़ी को किसी तरह की कोई बंदिश पसंद नहीं आती। आंकड़ों पर नजर डालें तो जनवरी से सितंबर तक परिवार परामर्श केंद्र में 2952 घरेलू विवाद के मामले आए, जिनमें से 50 फीसदी से ज्यादा मामलों में लड़कियों को सास-ससुर के साथ रहने से समस्या है। कम ही मामलों में लड़के को लड़की से या लड़की को लड़के से दिक्कत सामने आई है। कुछ मामले ऐसे भी सामने आए हैं, जिनमें लड़के के घर में लड़की के घरवालों के हस्तक्षेप के कारण विवाद पैदा हो गया है।

चार साल में 10 हजार केस
आपको ये जानकार हैरानी होगी कि पति-पत्नी के बीच विवाद लड़के के माता-पिता का साथ रहना बन रहा है। साल दर साल परिवार परामर्श केंद्र में आने वाले विवादों की संख्या में हर साल 500 से 600 केसेज तक का इजाफा हो रहा है। स्थिति यह है कि पिछले चार सालों में परिवार परामर्श केंद्र में 10 हजार से अधिक केस आ चुके हैं।

घरेलू विवाद के चार प्रमुख कारण
सास-ससुर के साथ मनमुटाव
शराब पीकर मारपीट करना
बेरोजगारी
सास-बहू का मनमुटाव

आंकड़ों पर एक नजर
परिवार परामर्श केंद्र में साल 2020 में 1350 एप्लीकेशन आए, जिनमें से 405 जोड़ों का पुलिस द्वारा समझौता कराया गया। 80 मामलों में मुकदमा पंजीकृत हुआ।

साल 2021 में एप्लीकेशन की संख्या बढ़कर 2370 हो गई। इस वर्ष भी 405 जोड़ों में सुलह कराई गई, जबकि 80 मामलों में मुकदमा पंजीकृत हुआ।

वर्ष 2022 में 3153 मामले परिवार परामर्श केंद्र में आए जिनमें से सिर्फ 888 जोड़ो में सुलह हो पाई और एफआईआर का आंकड़ा बढ़कर 162 हो गया।

वर्ष 2023 में जनवरी से सितंबर तक 2952 प्रार्थना पत्र आ चुके हैं, जिनमें से 900 मामले पुराने लंबित थे, इस तरह कुल मामले 3852 हो गए हैैं।

वर्ष 2023 में समझौतों का ग्राफ भी बढ़ गया और परिवार परामर्श केंद्र द्वारा 2131 मामलों में सुलझा कराई गई। साथ ही कुल 21 मुकदमे ही पंजीकृत हुए।

हमारी कोशिश रहती है अधिक से अधिक मामलों का निस्तारण करा दिया जाए इसीलिए अतिरिक्त डेट भी हम देते हैं। समझौते के बाद भी हम लोग तब तक फॉलोअप लेते हैं। कलह पूरी तरह से खत्म हो जाने पर हम केस बंद कर देते हैैं।
आंचल शर्मा, प्रभारी, परिवार परामर्श केंद्र

अधिकतर मामले पिछले 2 वर्ष के दौरान हुई शादियों के ही आ रहे हैं। सामंजस्य का अभाव और आज कल युवाओं में बढ़ा हुआ ईगो कलह का कारण बन रहा है। दहेज के लिए प्रताडऩा और घरेलू हिंसा के मामले नाम मात्र हैं। तालमेल के अभाव के ही केस ज्यादा आ रहे हैं।
मोहित शर्मा, काउंसलर, परिवार परामर्श केंद्र