दिल्ली की घटना पर देश में इतना बड़ा जनजागरण हुआ, उसको किस तरह देखते हैं?

किसी घटना के खिलाफ लोगों का सामूहिक रूप में बाहर निकलकर आना अच्छा संकेत है। लेकिन समूह को सही दिशा देना जरूरी है। समाज में जब भी सामूहिकता की भावना आई है, तो बदलाव आया है।

आज पिता-पुत्र, पति-पत्नी, सरकार-जनता, मालिक-कर्मचारी हर रिश्ते के बीच तनाव की स्थिति है। यहां तक कि आध्यात्मिक संस्थाओं में भी तनाव है। इतना ज्यादा तनाव क्यों है? क्या हम ज्यादा पढ़-लिख गए हैं?

समूह होता है तो थोड़ा तनाव तो होता ही है। लेकिन अत्यधिक तनाव खतरे की घंटी है। इस तनाव का कारण पारस्परिक समझ की कमी है। कुछ चीजें हम अनावश्यक भी पढ़ गए हैं। हमने शिक्षा तो प्राप्त कर ली, लेकिन विद्या प्राप्त नहीं कर पाए। क्योंकि विद्या ही अध्यात्म है।

अध्यात्म के क्षेत्र में पश्चिम निरंतर पूरब की ओर देख रहा है। आपको व्हाइट हाउस से बराक ओबामा के यहां भी यज्ञ करने का बुलावा है। लेकिन भारत में पश्चिमी चमक की ओर रुझान है।

हां, ओबामा के पिछले टेन्योर में यज्ञ कर पाना संभव नहीं हो पाया। लेकिन इस टेन्योर में व्हाइट हाउस में यज्ञ किया जाएगा। पारस्परिक सद्भाव के क्षेत्र में हमेशा विश्व की नजर भारत पर रही है। लेकिन भारत हल्के मनोरंजन की दुनिया में डूबता जा रहा है। अब समय आ गया है कि हम बच्चों और युवाओं को स्वस्थ मनोरंजन के तरीके दें। हमारे देश में हमेशा से स्वस्थ मनोरंजन के साधन रहे हैं, जहां आप परिवार के साथ बैठकर आनंदित हो सकते हैं।

पके बाल देखने में थोड़े अलग दिखते हैं। क्या ये प्राकृतिक हैं?

(हंसते हुए) मेरे बाल तो बचपन से ही ऐसे हैं और ये इनका एकदम प्राकृतिक स्वरूप है। मैंने आजतक अपने बालों के लिए कुछ विशेष नहीं किया। कभी इनको रंगने की भी कोशिश नहीं की।