बिखरते रिश्तों को मजबूत बंधन दे रहा वुमेन हेल्प सेल

काउंसिलिंग से विवादों में लग रहा विराम, फीडबैक का नुस्खा भी आ रहा काम

केस-1

शिवपुर की रहने वाली महिला ने वुमेन हेल्प सेल में शिकायत की कि उसके पति ने मारपीट कर घर से निकाल दिया है। वह अब उसे रखने को भी तैयार नहीं है। इस पर सेल ने दोनों पक्षों को जब आमने-सामने बैठाया तो पता चला कि मामूली विवाद में नाराज होकर महिला दिल्ली में रहने वाली सहेली के यहां चली गयी थी। पति गुमशुदगी दर्ज करा कर उसे खोजने में परेशान था। सेल ने दोनों पक्षों को समझा कर विवाद खत्म करा दिया।

केस-2

गायघाट की रहने वाली एक महिला ने वुमेन हेल्प सेल में शिकायत की थी कि उसके पति का किसी से प्रेम संबंध है, जिसके कारण वह उसे प्रताडि़त करते हैं। जब दूसरे पक्ष की बात भी सुनी गयी तो पता चला कि विवाद की जड़ महिला का बार-बार मायके जाना है। सेल ने पति-पत्नी के बीच गलतफहमियां दूर की। अब दोनों मिलजुलकर रहने को तैयार हो गये।

केस-3

रामकटोरा की रहने वाली एक महिला ने वुमेन हेल्प सेल में शिकायत की। आरोप लगाया कि उसके पति घर का खर्च नहीं देते। पूरा पैसा नशे में उड़ा देते हैं। सेल ने महिला के पति को बुलाया और तय कराया कि वेतन का एक हिस्सा घर के खर्च के लिए पत्नी को देगा। दोनों पक्षों को समझौता कराकर उन्हें घर भेज दिया।

ये तीन केस सिर्फ उदाहरण हैं। वुमेन हेल्प सेल ने ऐसे करीब 168 परिवारों को टूटने से बचाया है। बदलते सामाजिक ताने-बाने ने परिवार की मजबूत डोर पर भी चोट की है। मामूली विवाद में रिश्तों के टूटने का सिलसिला तेजी से बढ़ा है। ऐसे में शक, गलतफहमियां और संवादहीनता रिश्तों में आयी दरार को और भी बढ़ा देते हैं। ऐसे में परिवार के टूटने तक की नौबत आ पहुंचती है। ऐसे ही परिवारों को फिर से आमने-सामने बैठाकर उनकी गलतफहमियों को महिला सहायता प्रकोष्ठ दूरकर फिर से रिश्ते की डोर को मजबूती देने में जुटा है। वह भी महज काउंसिलिंग के जरिए। इन सभी के दाम्पत्य जीवन में हुए विवादों में नौबत तलाक तक आ पहुंची थी। वह किसी भी सूरत में एक-दूसरे के साथ रहने को तैयार नहीं थे।

काउंसिलिंग से मिल रही मदद

वुमेन सेल में अमूमन हर रोज ही महिलाएं पारिवारिक विवादों को लेकर आती हैं। इनमें कुछ विवाद तो सीधे पति-पत्नी के बीच के होते हैं, जबकि अधिकतर परिवार वालों द्वारा लगाये गये आरोप-प्रत्यारोप के चलते विकराल रूप ले चुके होते हैं। कुछ मामले शक या गलतफहमियों के चलते भी इस कदर बिगड़ चुके होते हैं कि परिवार बिखरने की स्थिति में होता है। हालांकि शिकायत मिलने के बाद सेल का पहला प्रयास होता है कि मामले का निस्तारण आपसी सहमति से हो जाए। इसके लिए दोनों पक्षों को एक साथ बैठाया जाता है। दोनों पक्षों की बातों को सुनने के बाद उनकी समस्या के समाधान का रास्ता उन्हें सुझाया जाता है। काउंसिलिंग का यह नतीजा होता है कि अधिकतर मामलों में दोनों पक्ष सुलह-समझौते के लिए राजी हो जाते हैं और परिवार टूटने से बच जाता है। जब समझौते की सभी कोशिशें नाकाम हो जाती हैं तभी हम ऐसे मामलों में मुकदमा दर्ज कराते हैं।

अब तक 633 शिकायतें

महिला सहायता प्रकोष्ठ में इस वर्ष अब तक कुल 633 शिकायतें प्राप्त हुई। इनमें 237 मामले पहले से ही न्यायालय में विचाराधीन थे। 168 मामलों को सुलह-समझौते से सुलझा लिया गया, जबकि दोनों पक्षों के राजी न होने पर 39 मामलों में मुकदमा दर्ज कराया गया। 189 ऐसे भी मामले रहे जिसमें शिकायतकर्ता शिकायत करने के बाद दोबारा नहीं आयी। अथवा उसने कार्रवाई न करने की इच्छा जतायी।

गाíजयन की भी भूमिका

महिला सहायता प्रकोष्ठ की जिम्मेदारी केवल समझौता कराने तक ही सीमित नहीं है। वह समझौता करने वाली महिला के लिए गाíजयन की भूमिका भी निभा रहा। इसके लिए प्रकोष्ठ फीडबैक का भी नुस्खा आजमा रहा है। समझौते के बाद प्रकोष्ठ के लोग ऐसे संबंधित परिवारों का फीडबैक भी लेते रहते हैं। शिकायत करने वाली महिला को भविष्य में कोई दिक्कत न हो इसका पूरा ध्यान रखा जाता है।

वर्जन

महिला हेल्प सेल में शिकायत आते ही हमारी टीम एक्टिव हो जाती है। दोनों पक्षों से तत्काल संपर्क बुलाया जाता है। नासमझी के चलते पति-पत्नी में गलतफहमियां हो जाती हैं। काउंसिलिंग के जरिये उसे दूर की जाती हैं। काफी सफलता भी मिल रही है। आठ महीेने में कुल 168 परिवारों को टूटने से बचाया गया है।

-नीलम सिंह, प्रभारी-वुमेन हेल्प सेल