- तालाब पर होता रहा कब्जा, सीएम से लेकर पीएम तक हुई शिकायतें, लेकिन आंखें बंद किये बैठे रहे जिम्मेदार

चाह मिटी, चिंता मिटी मनवा बेपरवाह, जिसको कुछ नहीं चाहिए वह शहंशाह। कबीर दास का यह दोहा उनके ही प्राकट्य स्थली लहरतारा तालाब पर सटीक बैठता है। एक समय था जब यह तालाब 17 एकड़ में फैल हुआ था, आज दो एकड़ से भी कम में सिमटकर रह गया है।

देश और बनारस की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहर कबीर दास का प्राकट्य स्थली लहरतारा तालाब के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। प्रशासन की अनदेखी के चलते कुछ भूमाफियाओं ने तालाब पर अवैध कब्जे कर रखे हैं, जिसके चलते सरकारी आंकड़ों में दर्ज 17 एकड़ तालाब मौके पर दो एकड़ से भी कम बचा है। इस संबंध में प्राकट्य स्थली के प्रबंधक लगातार तीन साल से पीएम, सीएम, राज्यमंत्री, कमिश्नर सहित तमाम आला अधिकारियों से शिकायत कर चुके हैं, बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अगर यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब तालाब का नामोनिशां तक नहीं बचेगा।

लहरतारा से मंडुवाडीह तक फैला हुआ है तालाब

सरकारी आंकड़ों के अनुसार लहरतारा तालाब 17 एकड़ में है, जो लहरतारा से लेकर मंडुवाडीह तक फैला है। प्राकट्य स्थल के प्रबंधक का आरोप है कि सरकारी विभाग की लापरवाही और मिलीभगत के चलते लगातार तालाब को भूमाफियाओं द्वारा कब्जा कर पाटा जा रहा है। मौजूदा स्थिति यह है कि लहरतारा से लेकर मंडुवाडीह तक अवैध तरीके से मकान, दुकान, ऑफिस, शोरूम, लॉन और आश्रम का निर्माण कर लिया गया है। लोगों ने अपनी पक्की दुकानें बना ली हैं। यही नहीं तालाब पर सड़क से लेकर सीवरेज की लाइन तक बिछा दी गई है।

पंक्षियों का था बसेरा

कुछ कबीर पंथी बताते हैं कि एक समय था जब इस तालाब पर पंक्षियों का बसेरा हुआ करता था। शाम होते ही यहां चिडि़यों की चहचहाहट से पूरा माहौल खुशनुमां हो उठता था। शाम को इस तालाब पर घूमने कई लोग आया करते थे। धीरे-धीरे एक किनारे से तालाब पर कब्जे होना शुरू हुए। कुछ लोगों ने विरोध किया लेकिन भूमाफियाओं को देख सब पीछे हट गए। अब तो बस तालाब का अस्तित्व एक कचरा घर बनकर रह गया है।

पीएम से लेकर सीएम तक हुई शिकायत

प्राकट्य स्थली लहरतारा तालाब पर अवैध कब्जे की शिकायत 2017 से की जा रही है। पीएम से लेकर सीएम तक को पत्र लिखे गए हैं। दर्जनों बार शिकायत होने के बावजूद नापी करने तक कोई नहीं आया। 8 जून 2017 को सबसे पहले अवैध निर्माण की शिकायत तत्कालीन कमिश्नर से की गई। 5 मई 2018 को अवैध कब्जे रोकने के लिए पीएम से गुहार लगाई गई। 11 मई 2018 को राज्य मंत्री नीलकंठ तिवारी से पीएम के संसदीय कार्यालय में मुलाकात कर प्राकट्य स्थल के प्रबंधक ने हर दिन हो रहे अवैध कब्जों की शिकायत की। 28 अगस्त 2019 को पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर एक बार फिर अवैध कब्जों के नीचे दब रही कबीर की निशानी के बारे में बताया गया। 30 सितंबर 2020 को सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर ऐतिहासिक तालाब पर भूमाफिया द्वारा फर्जी तरीके से नाम चढ़ा कर कब्जा करने की शिकायत की गई। फरवरी 2021 में योगी आदित्यनाथ बनारस दौरे पर आए थे, तब फिर उनसे तालाब को बचाने की गुहार लगाई गई।

यह तालाब बहुत दूर तक फैला हुआ था। इस पर कब्जे होते गए, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। मैंने कई बार शिकायतें की, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। आज तक कोई यह तक नापने नहीं आया कि तालाब की जमीन है कहां तक।

गोविंद दास शास्त्री, प्रबंधक, कबीर प्राकट्य स्थल