वाराणसी (ब्यूरो)नगर निगम द्वारा शहर के प्रत्येक रिहायशी, व्यावसायिक राज्य सरकार और केंद्र सरकार के भवनों से सुविधाओं के नाम पर हाउस टैक्स लिया जाता हैवहीं शहर के अंदर केंद्र सरकार के तहत आने वाले 17 विभागों के 17 भवनों के 6 करोड़ रुपये बकाया होने के कारण नगर निगम प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए हंैऐसे में नगर निगम प्रशासन द्वारा ऐसे भवनों का चिन्हाकन करते हुए नोटिस भेजी जा रही है और सेवा प्रभार की वसूली करने के लिए हर प्रकार के प्रयास अपनाए जा रहे हंैवहीं यह सवाल अब काफी दिलचस्प हो गया है कि सरकारी विभागों के द्वारा भी नगर निगम के करोड़ों रुपये बकाये किये जा रहे हैं और वहीं नगर निगम प्रशासन हाथ पर हाथ रखे हुए बैठा है.

क्या होता है सेवा प्रभार

नगर निगम की सेवा नियमावली के अनुसार भवनों का कैटगराईजेशन किया जाता है, जिसमें स्टेट गवर्नमेंट के भवनों से हाउस टैक्स लिया जाता हैइसके साथ ही खुद की स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ भी हाउस टैक्स लिया जाता हैवहीं दूसरी तरफ शहर के अंदर केंद्र सरकार के समस्त भवनों से सेवा प्रभार लिया जाता हैऐसे में इन भवनों से समस्त प्रकार के टैक्स और सेवा प्रभार लेने के पीछे नगर निगम प्रशासन का उद्देश्य रहता है कि नगरीय निकाय सीमा के अंदर समस्त प्रकार की सेवाएं देने के उपरांत उनसे सेवा कर लिया जाये.

पांच साल से भुगतान नहीं

शहरी सीमा के अंतर्गत पांचों जोन के अंतर्गत केंद्र सरकार के कुछ न कुछ भवन हैं, जिनसे नगर निगम प्रशासन को सेवा प्रभार लेना हैपरंतु इन भवनों से नगर निगम प्रशासन पिछले पांच सालों से अपने सेवा प्रभार को वसूल नहीं पा रहा हैइस बारे में नगर निगम प्रशासन के अधिकारियों के द्वारा इन भवनों के मालिकों को और अधिकारियों को बार-बार सेवा प्रभार की बिल भेज दी जाती है पंरतु उनसे वसूली नहीं हो पाती है.

प्राइवेट भवनों पर नहीं लगता सेवा प्रभार

नगरीय निकाय सीमा के अंतर्गत जिन केंद्र सरकार की संस्थाओं के कार्यालय संचालित किये जा रहे हैं, उनके ऊपर सेवा प्रभार लगाने के लिए नगर निगम के पास कोई रूल नहीं हैइसके एवज में ऐसे भवनों से नगर निगम प्रशासन के द्वारा हाउस टैक्स ही लिया जाता है.

पत्राचार के साथ नोटिस चस्पा और आरआई मीटिंग

नगर निगम प्रशासन के द्वारा ऐसे भवनों का चिन्हाकन करने के बाद कर विभाग के द्वारा सबसे पहले इन भवनों के साथ पत्राचार किया जा रहा हैइसके साथ ही उन भवनों के ऊपर नगर निगम प्रशासन की तरफ से नोटिस चस्पा किया जा रहा हैसाथ ही इन भवनों के साथ सेवा प्रभार की वसूली करने के लिए वरिष्ठतम अधिकारियों के साथ मीटिंग भी की जा रही है.

डिसेंट्रलाइज्ड व्यवस्था ने बिगाड़ा खेल

नगर निगम प्रशासन के द्वारा टैक्स की रिकवरी के सारे अधिकार अब जोनल अधिकारियों के साथ ही जोनल कार्यालयों को दे दिए गए हैंइसके साथ ही उन्हें आदेशित कर दिया गया है कि वह अपने स्वविवेक के अनुसार सेवा प्रभार की वसूली करें, जिस कारण अब इस कार्य में देरी शुरू हो गई है और मेन कार्यालय से पत्राचार में देरी होने के कारण समस्त प्रकार के कार्य में बाधा शुरू हो गई है.

सेवा प्रभार बकाये वाले भवन

आदमपुर जोन

आदमपुर रेलवे क्वार्टर- 33.05

सिटी स्टेशन-रेलवे क्वार्टर- 147.63

दशाश्वमेध जोन

नार्थ ईस्ट रेलवे क्वार्टर- 0.24

मंडुआडीह रेलवे कालोनी- 136.78

डाक विभाग- 1.31

कोतवाली जोन

राजकीय इनकम टैक्स आफिस- 5.71

पोस्ट एंड टेलीग्राफ आफिस- 7.72

वरुणापार जोन

आयकर उपायुक्त- 2.73

पुरातत्व विभाग- 2.90

पुरातत्व विभाग- 1.11

डीएस एनआर- 81.20

भेलूपुर जोन

नार्थ ई रेलवे -8.10

मंडल रेल प्रबंधक -36.07

ईस्टर्न रेलवे1 -126.36

ईस्टर्न रेलवे2 -5.19

कुल योग-596.12 रुपये

नोट-राशि लाख रुपये में है.

संबंधित विभागों के साथ पत्राचार किया जा रहा हैइसके साथ ही शासनस्तर से भी पत्राचार किया जा रहा हैप्रयास है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष तक जमा करा लिया जाए.

प्रदीप कुमार मिश्र, मुख्य कर निर्धारण अधिकारी