- कोरोना संक्रमण काल में दूषित पानी पीने को मजबूर हैं लोग

- पार्षद, विधायक, मंत्री और अधिकारी के पास जाते-जाते थक गए नहीं निकला समाधान

- 10 साल से तेलियाबाग के आनंद मंदिर के सामने गली में

लोग काला और दूषित पानी पीने को मजबूर हैं

- 100 मीटर दूर हैंड पम्प से पानी भरकर लाना लोगों की बन गई है नियति

अंगे्रजों के जमाने में काले पानी की सजा दी जाती थी। इस सजा में भी लोगों को साफ पानी पीने को दिया जाता था, लेकिन बनारस के कई मोहल्लों में महीनों से साफ पानी नहीं आया। नलों में इतना गंदा जल आता है कि जानवर भी न पीये। पानी का रंग पूरी तरह काला। आज से ऐसे ही मोहल्लों के दर्द को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट हर दिन उजागर करेगा। हमारा प्रयास होगा कि जिम्मेदारों तक यह काला पानी पहुंचाया जा सके, जिससे उन्हें भी इस दर्द का अहसास हो। पहली कड़ी में पढि़ये तेलियाबाग के एक मोहल्ले की कहानी, जहां पिछले 10 साल से दूषित जल पीने को मजबूर हैं लोग। छह महीने से हाल यह है कि नलों में काला पानी आ रहा है।

शुद्ध पेयजल हर नागरिक का अधिकार है। पूरे शहर में शुद्ध जलापूर्ति कराने की जिम्मेदारी जलकल विभाग की है, लेकिन दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के अभियान काला पानी में चौंकाने वाली समस्याएं सामने आई हैं। तेलियाबाग के आनंद मंदिर के सामने गली में पिछले दस साल से लोग काला पानी और दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। इस कोरोना संक्रमण काल में जलकल विभाग की पाइप लाइन से घरों के नलों में काला पानी की आपूर्ति हो रही है। इस समस्या की शिकायत को लेकर स्थानीय लोग पार्षद, विधायक, अधिकारी के पास जाते-जाते थक गये हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। यही नहीं, अंडर ग्राउंड केबल डालने के लिए गली से पत्थर उड़ा दिया गया है, जिससे रास्ता उबड़-खाबड़ हो गया। हर दिन लोग घायल हो रहे हैं। इसके अलावा तमाम समस्याएं हैं, जो क्षेत्रीय लोगों ने दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम से शेयर की।

कोरोना काल में खरीद कर पी रहे पानी

शहर में कहीं गंदा पानी आ रहा है तो कहीं आपूíत ही नहीं हो रही है। तेलियाबाग में सीवर युक्त पानी की आपूíत होने से लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। संक्रमण से बचने के लिए लोगों को खरीदकर पीने के पानी का इंतजाम करना हो रहा है। पेयजल पर हर दिन एक परिवार का सौ रुपये खर्च हो रहा है। इस इलाके में दूषित पेयजल की आपूíत की शिकायत बार बार हो रही है, लेकिन निस्तारण नहीं हुआ।

दस साल से समस्या से जंग

स्थानीय लोग कहते हैं कि पिछले दस साल से वे दूषित पेजयल की समस्या से जूझ रहे हैं। करीब 100 मीटर दूर हैंड पम्प से पानी भरकर लाना हम लोगों की नियति बन गई है। सुबह आंख खोलते ही पानी के लिए जद्दोजहद करना पड़ता है। कोरोना संक्रमण काल में हैंड पम्प से जो पानी लाते हैं, उस पानी से स्नान और बर्तन धोया जाता है। पीने के लिए जार का पानी मंगाया जाता है।

::: वर्जन :::

कहने को यह पीएम का संसदीय क्षेत्र है, लेकिन स्थिति मलिन बस्ती से भी बदतर है। दूषित पानी तो लंबे समय से आ रहा है, लेकिन छह महीने से काला पानी आ रहा है। सीवर और पाइप लाइन में लिकेज होने से यह स्थिति उत्पन्न हुई है। कई बार शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

-गोपाल पांडेय

इस समस्या को लेकर पार्षद, विधायक, मंत्री के पास गए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं है। डीएम, नगर आयुक्त से भी शिकायत की गई, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। सब आश्वासन देकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।

-विकास पांडेय

कोरोना काल में हम लोगों को दूषित पानी पीने के लिए मजबूर किया जा रहा है। पीएम के संसदीय क्षेत्र में हम लोग खरीदकर पानी पी रहे हैं। अगर कुछ हुआ तो इसके लिए जल निगम और जनप्रतिनिधि जिम्मेदार होंगे।

-लक्ष्मी देवी

दूषित पानी से हम लोग परेशान हो चुके हैं। अब तो जिंदगी बोझ लगने लगी है। जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों का रैवेया भी अच्छा नहीं है। समझ में नहीं आता है कि इस समस्या का हल कौन करेगा।

-एकादशी

दूषित पेयजल से स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। कभी पीला तो काले रंग के पानी की आपूíत हो रही है। वाटर टैक्स का समय से भुगतान करने के बाद भी गंदा पानी पीना पड़ रहा है। लोग बीमार पड़ रहे हैं। गलियों में सीवर भरा रहता है। कई बार नगर निगम में जाकर शिकायत की और पार्षद से शिकायत की, लेकिन कोई सुनता ही नहीं है।

-नेहा पांडेय

::: बॉक्स :::

महिलाओं ने किया प्रदर्शन

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम जैसे ही तेलियाबाग की गली में पहुंची तो अधिकतर घरों से महिलाएं बाहर निकल आई। दूषित पानी को लेकर पूरा मुहल्ला गुस्से में था। हाथों में दूषित पानी से भरा बोतल लेकर स्थानीय लोगों ने जल निगम के विरोध में नारेबाजी की। लोगों ने स्थानीय पार्षद पर पक्षपात करने का आरोप लगाया।