वाराणसी (ब्यूरो)। स्टेट और शहर में आए दिन आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने, व्यापारी और सिटिजन से वसूली और धमकी की खबरें आम हो गई हैं। कभी-कभी तो हत्या और अपरहण जैसी वारदातें भी होती हैं। इन घटनाओं को अंजाम देने वाले शातिरों का सुराग लगाने में पुलिस व जांच एजेंसियों के के हाथ अक्सर खाली रह जाते हैैं, क्योंकि वारदात करने वाले फेक आईडी वाले सिम यूज कर रहे होते हैं। इस समय बनारस के कई मार्केट में बिना आईडी की सिम धड़ल्ले से बेची जा रही है। ऐसे में फेक आईडी के एक्टिवेटेड सिम का आपराधिक प्रवृत्ति के शातिर दुरूपयोग कर किसी बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं। शहर के पांडेयपुर, नई बस्ती, लहरतारा, बेनियाबाग, दालमंडी, लंका समेत दर्जन भर से अधिक स्थानों पर स्टैैंड वाली छतरी लगाकर एजेंट सिम बेच रहे हैैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की स्टिंग में इस खेल की हकीकत सामने आई।
पहले ना फिर हां!
शहर में सैकड़ों मोबाइल और सिम की शॉप्स हैैं। इन दिनों मार्केंट या चौराहों पर छतरीनुमा स्टॉल लगाकर एजेंट भी सिम बेच रहे हैैं। सामान्य लोगों से आधार कार्ड की कॉपी लेकर 50 से 100 रुपए सिम दिया जा रहा है। आईडी घर भूल जाने की बात पर पहले सिम देने से मना करते हैं फिर फोर्स करने पर बिना आईडी प्रूफ के ही 150 से 200 रुपए लेकर सिम उपलब्ध करा देते हैं.
150 दो, 15 मिनट में एक्टिवेट हो जाएगा
रिपोर्टर - एक सिम चाहिए
सिम बिक्रेता- मिल जाएगा
रिपोर्टर - एक प्रॉब्लम है?
सिम बिक्रेता- क्या?
रिपोर्टर - मैैं आईडी घर भूल गया हूं.
सिम बिक्रेता - कहां रहते हो?
रिपोर्टर - सिगरा के बगल में।
सिम बिक्रेता - 150 रुपए लाओ
रिपोर्टर - कहीं बाद में बंद तो नहीं हो जाएगा?
सिम बिक्रेता - अभी 15 मिनट में एक्टिव हो जाएगा।
रिपोर्टर - कोई वेरिफिकेशन भी होता है क्या?
सिम बिक्रेता - ये पर्ची पकड़ो। कोई कॉल आए तो इस पर लिखा नाम-पता बता देना.
क्यों हो जाते हैैं मजबूर
मोबाइल कंपनियां कस्टमर्स बनाने के लिए नए सिम पर तरह-तरह के ऑफर्स देती रहती हैं। नया सिम बेचने पर दुकानदारों को मोटा कमीशन भी मिलता है। इसी कमीशन के चक्कर में दुकानदार बिना आईडी प्रूफ लिए ही सिम देने को तैयार हो जाते हैं, वहीं आईडी के तौर पर उनके पास पहले से मौजूद डॉक्युमेंट लगा देते हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के स्टिंग में शॉपकीपर्स की मनमानी को आसानी से समझा जा सकता है।
क्या है ट्राई की गाइड लाइन
सिम एलॉटमेंट के समय सीएएफ भरा जाता है। आईडी प्रूफ से ओरिजनल को मैच कराना। सीएएफ में दी गई सभी प्लेसेज पर सिग्नेचर। पूरा फॉर्म फिल होने के बाद आईडी प्रूफ और फोटो पर भी सिग्नेचर। कस्टमर्स को टेली वेरिफिकेशन कराना पड़ता है, इसके बाद सिम एक्टिवेट होता है। इस पूरी प्रॉसेस में 2 से 5 दिनों का वक्त लगता है।
बिना आईडी का गेम प्लान
शहर के कई हिस्सों में बिक रहे सिम की आड़ में नियमों की भी अनदेखी की जा रही है। फेक सिम को बिक्रेता पहले से ही अदर पर्सन की आईडी लगाकर एक्टिवेट कर लेते हैैं। इसका नाम, पता व सिम नंबर और मोबाइल नंबर को एक पर्ची पर लिखकर रखे रहते हैैं। जब कोई शातिर फेक सिम लेने पहुंचता है तो मनमाने रुपए लेकर सिम दे देते हैैं।
बिना आईडी वेरिफिकेशन के सिम कार्ड का क्रय-विक्रय गैर कानूनी है। इस प्रकार से विक्रय किए गए सिम कार्ड का आपराधिक गतिविधियों में दुरुपयोग की आशंका अधिक रहती है। ऐसे सभी विक्रेता, जो बैगर आईडी प्रूफ के सिम विक्रय करते हैैं। पुलिस इनकी जांच कर कार्रवाई करेगी।
सुभाष चंद्र दुबे, ज्वाइंट सीपी, क्राइम एंड हेडक्वार्टर, वाराणसी