वाराणसी (ब्यूरो)अगर आपको कई दिनों से खांसी है तो यह मत समझिए कि टीबी या मौसमी बीमारी हैयह हार्ट फेल्योर के सिम्प्टंस भी हो सकते हैैंयूथ में अचानक हार्ट फेल्योर की घटनाओं के बढऩे के साथ ही एक ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) टूल तैयार किया गया है, जो ईसीजी टेस्ट को एनालाइज करता है और हार्ट फेल्योर के दो सप्ताह पहले 80 प्रतिशत सटीकता के साथ इसकी भविष्यवाणी कर देता हैयह टूल जल्द ही इंडिया के वाराणसी में लांच होने वाला हैइसको लेकर तैयारी चल रही हैयह जानकारी दैनिक जागरण आईनेक्स्ट से विशेष बातचीत में कार्डियाबकान सोसाइटी की ओर से बीएचयू में आर्गनाइज इंटरनेशनल सेमिनार में वडोदरा के चीफ इंटरवेंशनल कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉकमलदीप चावला ने दी.

एप किया जाएगा लांच

उन्होंने बताया, हृदय रोग दुनियाभर में मौत के प्रमुख कारणों में से एक हैडब्ल्यूएचओ के मुताबिक, हर साल लगभग 17.9 मिलियन लोगों की मौत हृदय रोगों की वजह से होती हैइस नए एआई टूल से लोगों की जिंदगी बचाने में मदद मिल सकती हैये नई टेक्नोलॉजी खासतौर पर मायोसिटिस या मांसपेशियों की सूजन वाले रोगियों पर केंद्रित हैये स्थिति हार्ट फेल्योर के जोखिम को बढ़ाने के लिए जानी जाती हैइसके लिए एप लांच किया जाएगा, जोकि बड़े हॉस्पिटल, स्मार्ट क्लीनिक के अलावा डॉक्टर व पेशेंट के पास रहेगायह हाईब्रिड इंटीग्रेटेड सर्किट से लैस होगा.

डेटा स्रोतों पर होगा आधारित

विभिन्न डेटा स्रोतों का विश्लेषण करने के लिए मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग सहित एडवांस एल्गोरिदम का लाभ उठाते हैंउदाहरणों में हार्टलॉजिक और हार्टफ्लो शामिल हैं, जो शारीरिक मापदंडों की निगरानी करने और हार्ट फेल्योर के तीव्र होने के शुरुआती लक्षणों का पता लगाने के लिए प्रत्यारोपण योग्य उपकरणों का उपयोग करते हैं.

हार्ट फेल्योर की भविष्यवाणी के लिए एआई इक्विपमेंट और मॉडल

1. मशीन लर्निंग मॉडल : लॉजिस्टिक रिग्रेशन, डिसीजन ट्री, रैंडम फॉरेस्ट और सपोर्ट वेक्टर मशीनों को रोगी डेटा पर प्रशिक्षित किया जा सकता है.

2. डीप लर्निंग मॉडल : कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क (एएनएन), कन्वेन्शनल न्यूरल नेटवर्क (सीएनएन), और आवर्तक तंत्रिका नेटवर्क (आरएनएन) जैसी गहन शिक्षण तकनीकों को लागू किया गया है.

3. प्रिडिक्टिव एनालिटिक्स सॉफ्टवेयर : रोगी डेटा और मेडिकल रिकॉर्ड के आधार पर दिल की विफलता की भविष्यवाणी करने के लिए एआई एल्गोरिदम को शामिल करते हैं.

4. क्लिनिकल डिसीजन सपोर्ट सिस्टम (सीडीएसएस): रोगी डेटा को चिकित्सा ज्ञान के साथ एकीकृत करता हैकुछ सीडीएसएस सिस्टम दिल की विफलता के जोखिम की भविष्यवाणी के लिए एआई एल्गोरिदम को शामिल करते हैं.

5. मोबाइल हेल्थ (एमहेल्थ) एप्लिकेशन : एआई एल्गोरिदम से लैस मोबाइल ऐप समय के साथ विभिन्न स्वास्थ्य मापदंडों की निगरानी कर सकते हैं.

6. जेनेटिक एल्गोरिदम : आनुवंशिक पूर्वाग्रहों या बायोमार्कर की पहचान करने के लिए आनुवंशिक डेटा का विश्लेषण कर सकते हैं.

इंसुलिन से डरिए मत, यह खतरनाक नहीं

मुंबई से आए डायबिटीज स्पेशियलिस्ट डॉराहुल बख्शी ने बताया कि टाइप 2 डायबिटीज के इलाज के लिए कई तरह की दवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन टाइप 1 डायबीटीज वाले लोगों के लिए इंसुलिन ही इलाज का प्रमुख तरीका हैभारत में अब भी कई मरीजों के मन में इंसुलिन के बारे में गलत धारणाएं हैं और वे इंसुलिन यूज करने का विरोध करते हैंनतीजतन वे अक्सर इंसुलिन से होने वाला इलाज शुरू करने में संकोच करते हैंवे ऐसी दवाएं लेते हैं जिनसे सही ग्लाइसेमिक कंट्रोल नहीं मिलता और उन्हें नाडिय़ों से जुड़ी जटिलताओं का खतरा पैदा हो जाता हैइस कारण उनकी रक्त प्रणाली पर भी प्रभाव पड़ता है और शरीर के कई अन्य अंगों के लिए जोखिम बढ़ जाता हैइस समस्या का समाधान करने की जरूरत है लेकिन इससे पहले भारत में प्रचलित आशंकाओं और इंसुलिन के उपयोग से जुड़ी चिंताओं को समझना जरूरी है.

जिम करें पर डॉक्टर की सलाह जरूरी

जमशेदपुर से आए फिजिशियन डॉअरविंद कुमार आर्या ने बताया कि लाइफस्टाइल में बदलाव के चलते हार्ट फेल्योर की घटनाएं बढ़ रही हैैंयूथ जिम जाते हैैं तो समझते हैैं कि उनका काम हो गयालेकिन, ऐसा नहीं हैजरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज भी खतरनाक हैऐसे में डॉक्टर की सलाह अधिक जरूरी है

सिटी में डायबिटीज के पेशेंट ज्यादा

रांची से आए डॉविनय धनधानी ने बताया कि हम लोगों ने एक रिसर्च किया है, जिसमें पाया है कि शहरी क्षेत्र से अधिक ग्रामीण एरिया के लोग डायबिटीज से सेफ हैैंजहां शहर में 13 से 15 पर्सेंट लोग ग्रसित हैैं वहीं गांवों में सिर्फ चार पर्सेंट लोग ही शिकार हैैंदेखा जा रहा है कि 25 से 35 पर्सेंट लोगों में डायबिटीज मोटापा, एक्सरसाइज न करना और वर्क स्ट्रेस हैसाथ ही अल्कोहल, सिगरेट व अन्य नशीले पदार्थ भी नस सिकुडऩे के कारण हैैं