-सेंसर से लैस गुब्बारा उड़ाने की तैयारी देर रात बीएचयू में तक चलती रही

-बीएचयू भौतिकी विभाग, नासा व इसरो के वैज्ञानिकों की टीम है साथ

VARANASI

पर्यावरण में घुल रहे धूलकण का लेखा-जोखा लेने के लिए गुरुवार की रात को पांच सेंसरों से लैस गुब्बारे का प्रक्षेपण की तैयारी बीएचयू में हुई। ये ऊंचाई पर जाकर वायुमंडल सह क्षोभमंडल में स्थित एयरोसोल की पूरी जानकारी हासिल करेंगे। मानव रहित हाइड्रोजन गैस से भरे गुब्बारे के प्रक्षेपण में बीएचयू भौतिकी विभाग के अलावा नासा व इसरो के वैज्ञानिकों की पूरी टीम लगी है। आगे उनकी योजना हीलियम गैस से भी गुब्बारा छोड़ने की है। एशियन एयरोसोल बैलून स्टडी के तहत चार से क्ब् अगस्त तक इस बार वाराणसी के अलावा तिरुपति व सऊदी अरब में गुब्बारे छोड़े जाने है।

पांच गुना कीमत

हिलियम गैस की कीमत हाइड्रोजन गैस से करीब पांच गुना अधिक है। विभाग के प्रो। अभय कुमार सिंह के अनुसार यह गैस महंगी तो है ही साथ ही यह बहुत हल्की होती है। इसकी खासियत यह है कि यह फ्0 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ान भर सकती है। साथ ही इसमें अधिक वजन के सामान लेकर उड़ने की भी क्षमता है। जब यह गुब्बारे उड़ेंगे तो कुछ घंटों के बाद शहर के बाहर दूर-सुदूर इलाकों में गिरेंगे। हालांकि इनका पता वैज्ञानिकों को हो जाएगा कि गुब्बारा कहां गिरा है। उसमें लगे ट्रैकिंग सिस्टम, सेंसर जो फोन व थर्मोकोल से लिपटे रहेंगे। इसके माध्यम से ट्रैक करते हुए वैज्ञानिक वाहन से संबंधित स्थान पर पहुंच जाएंगे। इस अभियान में नासा की ओर से प्रो। जॉन पॉल, प्रो। मुरली नटराजन, इसरो की ओर से डॉ। अमित पंडित, डॉ। रत्नम, मो। मुस्तफा व बीएचयू की ओर से प्रो। अभय कुमार सिंह के नेतृत्व में शोधछात्र सनी तिवारी, शशि भूषण सिंह, अखिलेश कुमार, अरविंद पटेल व विष्णु नागर शामिल हैं। पिछले बार जब गुब्बारे छोड़े गए थे तो रामनगर, चंदौली, विंध्याचल, मीरजापुर आदि क्षेत्र में गिरे थे। प्रो। अभय ने लोगों से अपील की है कि वे इस गुब्बारे से डरे नहीं।