वाराणसी (ब्यूरो)बम्पर कमाई व हल्की सजा होने के कारण इस नशे के कारोबार में अपराधी व व्हाइट कॉलर के लोग शामिल हैं। उन्हीं के इशारे पर उड़ीसा से गांजा लाकर बनारस में डम्प किया जाता है। इसके बाद यहां से मुरादाबाद, उत्तराखंड व पंजाब तक गांजे की सप्लाई की जाती है। यहां भी विधानसभा चुनाव हो रहा है, इसलिए यहां गांजे की जबर्दस्त डिमांड है।

रीफ्रेशमेंट के लिए गांजा
युवा वर्ग तेजी से नशे की गिरफ्त में आ रहा है। इनमें गांजा को लेकर ज्यादा क्रेज है। लाइट नशा या रीफ्रेशमेंट के लिए गांजा सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। बीएचयू के आसपास इलाकों में अधिकतर युवा सिगरेट पीते दिखे जाएंगे। सिगरेट में गांजा भरा होता है। गंगा घाट किनारे भी बड़ी संख्या में युवा नशा करते दिख जाएंगे। इसके अलावा लॉज, होटल, रेस्टोरेेंट में धड़ल्ले से इसका इस्तेमाल होता है।

गांजे में बम्पर कमाई
उड़ीसा में एक किलो गांजे की कीमत तीन से चार रुपये होती है, लेकिन बाजार में आते ही कीमत पांच से छह गुना बढ़ जाती है। यही वजह है कि जरायम की दुनिया में रहने वालों ने हिरोइन, चरस, अफीम से दूरी बनाकर इस नशे को मुख्य कारोबार बना लिया है। हालांकि एक दशक पहले बनारस में अफीम व चरस का धंधा भी तेजी पर था, लेकिन कठोर सजा व पुलिस की सख्ती के चलते तस्करों ने दूरी बना ली। भांग की दुकानों पर चोरी-चुपके गांजा भी बेचा जाता है। जानकारी होने के बावजूद पुलिस कार्रवाई नहीं करती है। इसलिए गांजा बम्पर कमाई का जरिया बन गया है।

590 किलो गांजा बरामद
वाराणसी में डीआरआई ने बड़ी कार्रवाई करते हुए डाफी टोल प्लाजा के पास ट्रक में चावल की भूसी के नीचे छिपाकर रखा गया 590 किलो गांजा बरामद किया। गांजा ओडिशा के रायगढ़ से मुरादाबाद ले जाया जा रहा था। इस कार्रवाई में रामपुर के स्वार के रहने वाले मोहम्मद इरफा और नौगवां के अकरम अली और आसिफ अली को गिरफ्तार किया गया है। बरामद गांजे की कीमत करीब एक करोड़ 18 लाख रुपए है।

भूसी के बीच रखा गांजा
डीआरआई के सीनियर इंटेलिजेंस ऑफिसर आनंद राय ने बताया पैकेट में गांजा भरकर चावल की भूसी के बीच रखा गया था। हमें खुफिया सूचना मिली थी कि दिल्ली को कोलकाता से जोडऩे वाले नेशनल हाईवे से चावल की भूसी लादे हुए ट्रक में गांजा की एक बड़ी खेप ले जाई जा रही है। इसी आधार पर इंटेलिजेंस ऑफिसर लेख राज, मुकुंद सिंह और अनंत विक्रम के साथ डाफी टोल प्लाजा के पास घेराबंदी की। ट्रक जब आया तो उसे रोक कर तलाशी शुरू की गई। भूसी के नीचे ट्रक के बीचों बीच गांजा पैकेट में भर कर रखा हुआ था।

मिलना था डेढ़ लाख
ट्रक में सवार तीनों आरोपियों ने बताया कि वह सिर्फ कूरियर ब्वॉय का काम करते हैं। उन्हें कहा गया था कि अगर गांजा की खेप सकुशल मुरादाबाद पहुंच जाएगी तो तीनों को डेढ़ लाख रुपए मिलेंगे। इसके अलावा रास्ते के लिए डीजल और खाने-पीने का खर्च अलग से दिया गया था। उन्हें ये नहीं पता है कि गांजा भिजवाने और लेने वाला कौन है।

चुनाव में खपाने की तैयारी
यूपी, उत्तराखंड व पंजाब समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। जहां बड़ी मात्रा में गांजा खपाया जा रहा है। इसी कड़ी में शुक्रवार को उड़ीसा से ट्रक के जरिए 590 किलो गांजा बनारस मंगाया गया। यहां से मुरादाबाद, उत्तराखंड, पंजाब ले जाने की तैयारी थी। डीआरआई के सीनियर इंटेलिजेंस ऑफिसर आनंद राय ने बताया कि ओडिशा के नक्सल प्रभावित इलाकों से मुरादाबाद ले जाया जा रहा साढ़े तीन क्विंटल गांजा हमने 2019 में पकड़ा था। मुरादाबाद में गांजा तस्कर गिरोह का एक बड़ा नेक्सस है, जो बेहद ही शातिर तरीके से मादक पदार्थों की तस्करी करता है।


अभिषेक सिंह प्रिंस की हत्या
चौकाघाट स्थित कालीजी मंदिर के समीप सितंबर 2020 में हिस्ट्रीशीटर अभिषेक सिंह प्रिंस की हत्या हुई थी। अभिषेक भी गांजे की तस्करी से जुड़ा था। उड़ीसा से लेकर पंजाब तक इसका नेटवर्क था। तस्करी के विवाद में प्रिंस की हत्या हुई थी। अब भी इस अवैध धंधे में अपनी धाक जमाने को लेकर जरायम की दुनिया में जबर्दस्त टशन चल रही है।