वाराणसी (ब्यूरो)। कुछ ही दिनों बाद सावन शुरू होने वाला है। इसके बाद बनारस में शुरू होगी कांवरियों की बाढ़। जिधर देखो उधर बस गेरूआ वस्त्रधारी नंगे पैर चलते भोले भक्त ही नजर आएंगे। बनारस से प्रयागराज जाने वाली फोरलेन सड़क में से एक लेन कांवरियों के लिए रिजर्व हो जाएगी, उस पर वाहनों की एंट्री बंद हो जाएगी। ऐसे में भक्तों के सावन प्रवास और कांवरियों के आगमन को लेकर काशी में होटल, लॉज, धर्मशाला, नाव, पूजा सामग्री, गेरुआ गमछा आदि से जुड़़े व्यवसायों में तेजी आ गई है। दो साल में यह पहली दफा है कि बाबा के भक्त कोविड लॉकडाउन से मुक्त वातावरण में जलाभिषेक करेंगे।
60 फीसदी बुकिंग
शहर में आउटर से लेकर व्यस्त इलाके के होटल-लॉज की बम्पर बुकिंग चल रही है। कई सालों से आ रहे सैलानी फोन पर ही 25 फीसदी की राशि भेज रूम इंगेज कर रहे हैं। ताकि सावन के पीक पर इन्हें अपनी पसंद का कमरा और लोकेशन से वंचित नहीं होना पड़े। औसत रूप से देखें तो महंगाई की मार श्रद्धालुओं की जेब पर पड़ जरूर रही है, लेकिन पुराने और परिचित आवासीय सुविधाओं के संचालक पुराने रेट में बुकिंग कर रहे हैं। इधर, सावन को लेकर पांच सितारा से लेकर सामान्य होटल लॉज में उल्लास व उमंग का माहौल है।
शहर में होटल्स
चार सितारा होटल - 10
तीन सितारा होटल-40
दो सितारा -100
छोटे होटल - 500
लॉज - 250
बोट की बम्पर बुकिंग
बदलते बनारस और प्राचीन काशी के मनोरम दृश्य को गंगा में उतरे बिना निहारा नहीं जा सकता है। इसलिए स्मार्ट शहर के साथ प्राचीनता और आधुनिकता का मेल-मिलाप नाव के द्वारा ही देखा जा सकता है। लिहाजा, होटल से संपर्क में रहने वाले नाव मालिकों को बोट की बुकिंग से अवगत कराया जा रहा है। गंगा में इस समय छोटी नाव 10 हजार और बड़ी नाव 20 से 30 हजार रुपए तक में बुक हो रही है। विदित हो कि बारिश और तेज बहाव के चलते सवान मास के बाद गंगा में छोटी नावों का संचालन प्रशासन बंद करवा देता है।
छोटी नाव- 300
बड़ी नाव - 800
बजड़ा बोट - 200
ट्रांसपोर्टेशन ने पकड़ी रफ़्तार
बनारस में बाबा विश्वनाथ के दर्शन-पूजन के बाद उज्जैन, कुशीनगर, गया, बैजनाथ धाम, कोलकाता, सुल्तानपुर, मिर्जापुर, चकिया-नौगढ़, महाबलेश्वर, देहरादून, शिरडी, औरंगाबाद, इलाहबाद, हरिद्वार, अमरनाथ समेत दो दर्जन से अधिक स्थानों के लिए ट्रांसपोर्ट वाहनों की बुकिंग ने रफ्तार पकड़ ली है। इससे कोविड में आर्थिक मंडी का सामना करने वाले ट्रैवेल व्यवसायियों में उत्साह का माहौल है।
टूरिस्ट वाहन - 5000
ट्रैवेल एजेंट - 500
वस्त्र व किराना की डिमांड
काशी में पूजा सामग्री में नारियल, बनारसी साड़ी, चुनरी, गमछा, वस्त्र, खानपान में लस्सी, दही-पनीर, मेवा-मिष्ठान से बाजरा की दुकानें सजने लगी है। डिमांड को देखते हुए किराना के कुछ आइटमों में तेजी का रुख भी बना हुआ है। किराना और पूजा-पाठ के व्यापारियों को उम्मीद है कि गत दो सालों से कोरोना की मार की भरपाई इस सीजन में कर लेंगे।
छनेगी ठंडई, उड़ेंगे छल्ले
बनारस में घाट, मोहल्लों से लेकर सरे बाजारों में सैकड़ों फेमस ठंडई और रंगीन ठंडई की दुकानें भी सजनी शुरू हो गई हैं। इनके लिए कच्चे माल का स्टॉक किया जा रहा है। सावन में गांजा की भी डिमांड बढ़ जाती है और रेलवे स्टेशन, रोडवेज, लॉज, घाट समेत कई स्थानों पर कांवरियों के जत्थे में लोग चिलम से दम मारते मिल जाएंगे।
कोरोना के बाद बोट और होटल
उद्योग में काफी उछाल की उम्मीद है। इस बार के सावन में पहले जैसा ही माहौल बनता दिख रहा है। स्मार्ट काशी को लेकर बाहरी लोगों में काफी उत्सुकता है। उम्मीद है रोजगार पटरी पर लौट आएगा।
राकेश साहनी, बोट व रेस्त्रां संचालक
सावन मास को लेकर इस बार सैलानियों और श्रद्धालुओं ने होटल में कमरे की बुकिंग करानी शुरू कर दी है। काफी हद तक बुकिंग शुरू हो गई है। विश्वनाथ धाम के उद्घाटन के बाद से यह पहला सावन धमाकेदार गुुजरने वाला है।
एड। विशाल सिंह, होटल संचालक
गत वर्ष कांवरियों के आगमन से घरेलू पर्यटन उद्योग में ग्रोथ देखने को मिली, लेकिन करोना की तीसरी लहर की आशंका से व्यापार उम्मीद के मुताबिक नहीं हो सका। अब फिर से व्यापार धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगा है।
भगवान दास, अध्यक्ष, व्यापारी सभा