-सोशल साइंस फैकल्टी व रिलायंस इंडस्ट्रीज के अपने अपने दावे

-आरआइएल के प्रवक्ता ने लेटर मिलने से किया इंकार

बीएचयू में रिलायंस फाउंडेशन की अध्यक्ष और रिलायंस इंडस्ट्रीज की कार्यकारी निदेशक नीता अंबानी को विजिटिंग प्रोफेसर बनाने पर ग्रहण लग गया है। रिलायंस इंडस्ट्री के प्रवक्ता ने बीएचयू के दावे का खंडन किया है। बता दें कि बीएचयू ने 12 मार्च 2021 को इस संबंध में नीता अंबानी को लेटर भेजने का दावा किया था। वहीं अब रिलायंस के प्रवक्ता ने बताया है कि नीता अंबानी को बीएचयू से ऐसा कोई लेटर उन्हें प्राप्त नहीं हुआ है।

निमंत्रण न मिलने का किया दावा

एक तरफ बीएचयू की ओर से नीता अंबानी को निमंत्रण पत्र भेजने का दावा किया गया था, तो दूसरी ओर रिलायंस इंडस्ट्री के प्रवक्ता ने 17 मार्च को नीता अंबानी को बीएचयू में विजटिंग प्रोफेसर बनाए जाने की जानकारी होने का खंडन किया है। उन्हें बीएचयू से इससे रिलेटेड कोई निमंत्रण ही नहीं मिला है। उधर रिलायंस इंडस्ट्री की ओर से खंडन आने के बाद भी बीएचयू में सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन प्रो। कौशल किशोर मिश्रा अपनी बात पर कायम हैं। उनका कहना है कि विभाग की ओर से नीता अंबानी को लेटर जारी किया गया था। प्रो। कौशल किशोर मिश्रा के अनुसार बीएचयू के सामाजिक विज्ञान संकाय की ओर से 12 मार्च को यह प्रस्ताव भेज दिया गया था। इसमें उन्हें बनारस सहित पूर्वांचल भर में महिलाओं का जीवन स्तर सुधारने के लिए बीएचयू से जुड़ने का आग्रह किया गया था। वहीं यह भी दावा किया गया था कि नीता अंबानी ने विजिटिंग प्रोफेसर बनने पर मौखिक सहमति भी दे दी है। बता दें कि नीता अंबानी को बीएचयू में महिला अध्ययन का पाठ पढ़ाना था। उन्हें बीएचयू के महिला अध्ययन और विकास केंद्र में विजिटिंग प्रोफेसर बनाने का प्रपोजल सामाजिक विज्ञान संकाय द्वारा भेजे जाने की जानकारी दी गई थी।

लेटर की बीएचयू को जानकारी नहीं

सोशल साइंस फैकल्टी व रिलायंस इंडस्ट्रीज के अपने-अपने दावे के बीच बीएचयू प्रशासन की ओर से एक लेटर जारी कर नियुक्ति से जुड़ी कोई भी आधिकारिक सूचना होने से इंकार किया है। यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से स्पष्ट किया गया है कि इस प्रकरण में न तो कोई आधिकारिक निर्णय विश्वविद्यालय की ओर से लिया गया है और न ही कोई प्रशासनिक आदेश जारी किया गया है। बताया गया है कि इस बाबत विद्वत परिषद की मंजूरी आवश्यक होती है और इस मामले में किसी भी प्रकार की मंजूरी के लिए कोई प्रस्ताव विद्वत परिषद के सामने प्रस्तुत नहीं हुआ है।