वाराणसी (ब्यूरो)सड़क दुर्घटना के मामलों में दोपहिया वाहन चालकों की जल्दबाजी व बेतरतीब तरीके से वाहन चलाना हादसों की वजह बन रही हैइतना ही नहीं कहीं दोपहिया वाहन चालक की गलती से बड़े वाहन दुर्घटना का शिकार बन रहे हैं तो कहीं खुद दोपहिया चालक व उसके पीछे बैठने वाला हादसे का शिकार बने हैंवाराणसी में जनवरी से अप्रैल तक तीन सौ से अधिक छोटी से बड़ी सड़क दुर्घटनाएं हुईंइनका अध्ययन करने पर पता चला कि 66 फीसदी दुर्घटनाएं दोपहिया वाहन चालक की गलती से हुई हैंइसके अलावा अदालत द्वारा पिछले सवा दो साल में निपटाए गए मुआवजा दावों में भी पचास फीसद से ज्यादा दुर्घटनाएं दोपहिया वाहन चालक की गलती से सामने आई हैं.

खुद भी दुर्घटना के शिकार हुए

प्राप्त रिकॉर्ड के मुताबिक एक जनवरी 2020 से 31 मार्च 2022 तक विभिन्न वाहन दुर्घटना दावा पंचाट ने आठ सौ से अधिक मामलों में मुआवजा दावा याचिकाओं का निपटारा कियाइन दावों के तहत पीडि़त पक्षों को बीमा कंपनी द्वारा दुघर्टना के लिए मुआवजा दिलवाया गयाइन मामलों की सुनवाई के दौरान जो तथ्य सामने आए, उनके मुताबिक इन तमाम दुर्घटनाओं में अधिकतर मामले दोपहिया वाहन से हुई दुघर्टना के थेहालांकि, इनमें वह लोग भी शामिल थे जो अपनी गलती के कारण खुद दुर्घटना का शिकार बनेसुनवाई के दौरान इनमें से बहुत सारे मामले ऐसे भी पाए गए, जिनमें दोपहिया वाहन चालक खुद और पीछे की सीट पर बैठा व्यक्ति या तो दिव्यांग हो गया या उनकी मृत्यु हो गई.

नियमों का उल्लंघन बना कारण

वाहन दुर्घटना दावा मामलों के विशेषज्ञ अधिवक्ता सौरभ पाठक बताते हैं कि वाराणसी की सड़कों पर यातायात नियमों का उल्लंघन सबसे ज्यादा दोपहिया वाहन चालक ही करते हैंयही वजह है कि वह दुर्घटना की वजह भी बनते हैंचालाकों की ओर से हमेशा तेज रफ्तार में वाहन चलाना और आगे निकलने की होड़ दुर्घटना का कारण बनती हैदुर्घटना की नहीं, अगर यातायात नियमों के चालानों की बात करें तो वहां भी अधिकतर मामलों में दोपहिया वाहन चालकों के खिलाफ ही चालान पाए जाते हैं.

तीस बेड का इमरजेंसी ट्रामा सेंटर बनेगा

सड़क सुरक्षा के संबंध में गुरुवार को जिलों के अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेेंसिंग के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने सड़क दुर्घटनाओं पर चिंता जताई थीउन्होंने कहा था कि एक व्यक्ति के असामयिक निधन से पूरा परिवार प्रभावित होता हैप्रति वर्ष बहुत से लोग थोड़ी सी असावधानी के कारण हादसों में असमय काल-कलवित हो जाते हैंइसे रोकने के लिए हर जिले में ड्राइविंग टेस्ंिटग एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट और सभी कालेजों में तीस बेड का इमरजेंसी ट्रामा सेंटर बनाने का निर्देश दिया.

नंबर गेम

-5 सड़क दुर्घटनाएं औसतन हर दिन जिले में होती हैं.

-33 फीसद दोपहिया वाहन चालक ही सड़क दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं

-38 फीसद दुर्घटनाएं ओवरस्पीड की वजह से होती हैं

-9 प्रतिशत वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करने के कारण होती है.