-कोरोना संक्रमण का पड़ा हड्डियों पर बुरा असर, सबसे ज्यादा महिलाएं हुई शिकार
- ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी का खतरा बढ़ा
कोरोना संक्रमण की जद में फंसी लाखों जिंदगियां भले ही मौत के मुंह से निकलकर आ गई हों, लेकिन इसका गहरा प्रभाव शरीर की हड्डियों पर पड़ा है। यह हम नहीं, बल्कि आर्थोपेडिक एक्सपर्ट कह रहे हैं। उनके मुताबिक संक्रमित मरीजों के स्वस्थ होने के बाद उनमें हड्डियां कमजोर होने की शिकायत मिल रही है। डॉक्टर्स का कहना है कि बढ़ती उम्र के साथ कमजोर हड्डियों पर कोरोना संक्रमण की दोहरी मार पड़ रही है। कोरोना संक्रमित हो चुके मरीजों में हड्डियों में दर्द की समस्या सबसे ज्यादा आ रही है।
बढ़ गया है जोड़ों का दर्द
कोरोना को हराकर नई जिंदगी जी रहे लोगों में जहां बोन्स में पेन की शिकायत आ रही है। वहीं यह समस्या बॉडी के ज्यादा मूवमेंट न होने की वजह से भी बढ़ रही है। आर्थोपेडिक्स सर्जन डॉ। कौशल अग्रवाल ने बताया कि कोरोना महामारी के बाद से लोगों की लाइफ स्टाइल पूरी तरह से बदल सी गई है। लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी ज्यादातर लोग कोरोना के डर से घर में ही रहने को मजबूर हो गए हैं। इसका नतीजा ये रहा कि कम शारीरिक गतिविधियों के साथ असंतुलित आहार और मानसिक अवसाद जैसी बीमारियों ने जन्म ले लिया। जिससे ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी का खतरा बढ़ गया। कोरोना संक्रमण का हड्डियों पर गहरा प्रभाव पड़ने वाला है।
विटामिन डी की होती है कमी
ऑस्टियोपोरोसिस हड्डी से जुड़ी एक ऐसा बीमारी है जिसमें हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। जिसके बाद ज्वाइंट्स में दर्द और कमजोरी की शिकायत रहने लगती है। इस बीमारी से बुजुर्ग और महिलाएं सबसे ज्यादा ग्रसित होती हैं। मगर कोरोना संक्रमण की वजह से इनपर दोहरी मार पड़ने लगी है। जो मरीज पहले इस बीमारी से काफी हद तक ठीक हो चुके थे वह दोबारा इससे ग्रसित होने लगे हैं। किसी भी कोरोना मरीज को 15 से लेकर 21 दिन तक आइसोलेशन में रखा जाता है। जहां उसे पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी नहीं मिल पाती है। विटामिन डी ही एक ऐसा स्रोत है जिससे हड्डियों को मजबूती मिलती है।
क्या है ऑस्टियोपोरोसिस बीमारी
डॉ। अग्रवाल के मुताबिक कमजोर हड्डियों की स्थिति को ऑस्टियोपोरोसिस कहते हैं। यह एक गंभीर बीमारी है फिर भी लोगों में इसके बारे में पता नहीं है। यह समस्या महिलाओं में ज्यादा देखी जाती है, लेकिन पुरुष भी इससे अछूते नहीं है। यह हड्डियों को कमजोर और नाजुक बनाती है। जरा सी चोट लगने पर हड्डियां टूट सकती हैं। कभी-कभी झुकने, खांसने या छींकने से भी फ्रैक्चर हो सकता है। बच्चों में मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और कमजोरी, धीमा शारीरिक विकास, मानसिक उत्तेजना व चिड़चिड़ापन देखा जाता है। अपर्याप्त मात्रा में कैल्शियम, विटामिन डी व प्रोटीन का सेवन करने, व्यायाम और शारीरिक गतिविधियों की कमी, मादक पदार्थो का सेवन व तनाव जैसी स्थिति के कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। वृद्धावस्था, आनुवंशिक समस्याएं व कुछ जटिल बीमारियों भी ऑस्टियोपोरोसिस को बढ़ाती हैं, जिस पर नियंत्रण करना कठिन होता है।
महिलाओं में चार गुना ज्यादा समस्या
पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में यह समस्या चार गुना ज्यादा होती है। 50 साल के बाद कूल्हे एवं रीढ़ की हड्डी के फ्रेक्चर की आशंका 54 प्रतिशत बढ़ जाती है। ऑस्टियोपोरोसिस की उत्पत्ति कई कारणों द्वारा हो सकती है, जैसे कि हार्मोन सम्बन्धी समस्याएं, पोषणरहित आहार, कुछ प्रकार की औषधियां, अत्यधिक धूम्रपान या मदिरापान और अनुवांशिकता आदि कारणों से हड्डियां कमजोर होने लगती है।
ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या को कोरोना संक्रमण ने और बढ़ा दिया है। खासकर बुजुर्गो में कोरोना संक्रमित होना। जो मरीज पहले ठीक हो चुके हैं उन्हें ऑस्टियोपोरोसिस फिर अपने जद में ले सकता है।
-डॉ। एके मौर्या, एसीएमओ
कोरोना संक्रमित होने की वहज से मरीजों को 21 दिन तक अस्पताल या आइसोलेशन में रहना पड़ता है। जहां उन्हें पर्याप्त मात्र में विटामिन डी और प्रोटीन नहीं मिल पाता। जो की हड्डियों के लिए बहुत खरनाक है।
-डॉ। कौशल अग्रवाल, ऑर्थोपेडिक्स।
हड्डियों को ऐसे करें मजबूत
-कैल्शियम, प्रोटीन से भरपूर डेयरी उत्पादों को आहार लें
-रोजाना कम से कम 30 मिनट तक धूप लें, जिससे पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी मिलेगा
-डांस और जॉगिंग जैसी शारीरिक गतिविधियां खूब करें
-तंबाकू, शराब और ड्रग्स से बचें
-मोटापा को नियंत्रण में रखें,
-गिरने व फ्रैक्चर से बचें,
-सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ खुश रहना सीखें