भगवान भाष्कर की अराधना के पर्व डाला छठ के दूसरे दिन बुधवार को व्रतियों ने खरना की परम्परा का निर्वाह किया। खीर पूड़ी का भोजन प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। परिवार के अन्य सदस्यों ने भी खीर पूड़ी का सेवन किया। इसके साथ ही अगले दिन की प्रक्रिया शुरू हो गयी। तीसरे दिन गुरुवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य दिया जाएगा। चौथे दिन उदीयामन सूर्य को अ‌र्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय कठिन व्रत पूर्ण होगा।

खाया खीर पूड़ी

खरना के दिन भी घाट पर दीपक जलाने पहुंची कुछ महिलाओं ने गंगा के जल में खड़े होकर डूबते सूर्य की पूजा की। छठ के मंगल गीत भी गाए। व्रती महिलाओं के लिए मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर खीर पूड़ी का भोजन बनाया गया।

गंगा घाटों व शहर में स्थित सरोवर व कुंडों के किनारे बनी बेदी पर संझवत का दीपक जलाया। इस दौरान व्रती महिलाएं अपने हाथ में जलता हुआ दीपक लेकर नंगे पाव घाट पर बनी बेदी पर पहुंचकर दीपक जलाया। रात में घरों में छठ का मुख्य प्रसाद ठेकुआ बनाया गया। इस दौरान प्रसाद बनाते हुए महिलाओं छठ के मंगल गीत भी गाएं ।

छत पर ही होगा छठ पूजन

इस बार कोरोना के चलते ज्यादातर व्रती महिलाएं अपने घर की छतों से ही सुबह शाम का अ‌र्घ्य देने की तैयारी कर रही हैं। जिला प्रशासन लोगों से इस बार गंगा घाटों व कुंडों-सरोवरों पर छठ पूजा नहीं करने की अपील कर रहा है। इसी के चलते इस बाद ज्यादातर घरों में छत से छठ पूजा कर रही है।

घाटों पर लगाई गई रस्सी

छठ पर्व को ध्यान में रखते हुए इस बार गंगा घाटों प जिला प्रशासन ने रस्सी लगाई है ताकि कोई भी श्रद्धालु गहरे पानी में न जा सके । हालांकि राजेन्द्र प्रसाद घाट पर गुरुवार को पुलिस की ओर से अपील किया जाता रहा कि छठ का पूजन घाट पर नहीं किया जाएगा ।