वाराणसी (ब्यूरो)। नगर निगम ने 10 नवंबर की शाम से पहले ही अघ्र्य देने वाले स्थानों को तैयार कर लेने दावा किया है। रविवार को निरीक्षण के बाद निगम ने 37 संवेदनशील घाटों की सूची तैयार की है, जहां सिल्ट जमा है। हालांकि पम्प लगाकर घाटों की सफाई भी युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया गया है।

निरीक्षण में घाट मिले बदहाल
छठ पर्व के मद्देनजर रविवार सुबह नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ। एनपी सिंह ने संत रविदास घाट से लेकर राजघाट तक गंगा घाटों का निरीक्षण किया। इस दौरान अधिकतर घाटों पर भारी मात्रा में सिल्ट मिला। उन्होंने बताया कि इस बार तीन बार बाढ़ आई। सफाई के बाद अक्टूबर के अंत में बाढ़ का पानी सीढिय़ों पर चढ़ गया। एक नवंबर से घटाव शुरू हो गया है। लगातार पानी सीढिय़ों से नीचे उतर रहा है। इसके चलते अधिकतर घाटों पर सिल्ट जमा हो गया है। नगर निगम ने ऐसे करीब 37 अतिसंवेदनशील घाटों की सूची तैयार की है। जहां युद्ध स्तर पर सफाई की जरूरत है।

अस्सी घाट की सफाई बड़ी चुनौती
नगर स्वास्थ्य अधिकारी के अनुसार छठ पर्व पर अघ्र्य देने के लिए अस्सी, केदार, दशाश्वमेध, आरपी, राजघाट, गायघाट पर ज्यादा भीड़ जुटती है। इसे देखते हुए इन घाटों पर सफाई के लिए विशेष अभियान चलाय गया है। अस्सी घाट का दायरा बहुत बड़ा है, जहां भारी मात्रा में सिल्ट जमा हो गया है, जिसे साफ करना बड़ी चुनौती है। फिलहाल 10 नवंबर सुबह तक सभी घाटों को साफ कर लिया जाएगा। इसके अलावा सामने घाट के पास गंगा के किनारों को समतल किया जा रहा है। कुंड, तालाब और पोखरों की सफाई कराई जाएगी।

दलदल का दायरा बढ़ा
गंगा घाटों पर प्रशासन की तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रही है। इस बीच गंगा का जलस्तर घटने की वजह से नगर निगम को परेशानी में डाल दिया है। गंगा का जल स्तर घटने से घाटों पर दलदल का दायरा बढ़ता जा रहा है। घाटों को छठव्रतियों के लिए सुरक्षित करने को लेकर प्रशासनिक और निगम अधिकारी लगातार मंथन और निरीक्षण कर रहे हैं। कोरोना को देखते हुए कई परिवारों ने कृत्रिम तालाब बनाने की तैयारी शुरू कर दी है, जिसे अंतिम रूप दिया जा रहा है। कृत्रिम तालाब में 9 नवंबर को जल भरने का काम शुरू कर दिया जाएगा।


आज से चार दिवसीय महापर्व शुरू
बिहार के बाद पूर्वांचल में लोक आस्था का महापर्व छठ बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व आज, सोमवार से नहाय-खाय के साथ शुरू होगा। मंगलवार को खरना और बुधवार को भगवान भाष्कर को पहला अघ्र्य अर्पित किया जाएगा। गुरुवार की सुबह उदीयमान भगवान भाष्कर अघ्र्य अर्पित कर पारन के साथ पर्व संपन्न होगा। व्रती महिलाएं गंगा, नदी, तालाबों आदि में स्नान कर भगवान भाष्कर को अघ्र्य अर्पित कर भोजन ग्रहण करेंगी। नहाय-खाय के दिन व्रतियां चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर पीतल के बर्तन में अरवा चावल, चना का दाल एवं कद्दू का सब्जी बनाती हैं। इसके बाद भगवान भाष्कर को भोग लगाने के बाद प्रसाद के रूप में खुद ग्रहण करती हैं। घर के सदस्य व पास-पड़ोस के लोगों को प्रसाद के रूप में बांटती हैं।

बाजारों में बढ़ी रौनक
छठ पर्व को लेकर बाजारों में चहल-पहल बढ़ गयी है। पूजा सामग्री की खरीदारी भी शुरू हो गयी है। नारियल, सूप, फल सहित अन्य सामग्री की बिक्री बढ़ गयी है। पांडेयपुर, अर्दलीबाजार, चेतगंज, दशाश्वमेध, अस्सी, लंका, सामनेघाट, विशेश्वरगंज, मंडुवाडीह, शिवपुर में सुबह से शाम तक बड़ी संख्या में महिलाओं ने खरीदारी की।

छठ पूजा से जुड़ी कथा
छठ पूजा की परम्परा और उसके महत्व का प्रतिपादन करने वाली अनेक पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। पंडित बब्बन तिवारी ने बताया कि एक पौराणिक लोककथा के अनुसार लंका विजय के बाद राम राज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया और सूर्यदेव की आराधना की। सप्तमी को सूर्योदय के समय पुन: अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था। ऐसी मान्यता है कि छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल से हुई थी।

घाटों पर तैनात रहेगी एनडीआरएफ की टीम
छठ पर्व के दौरान लोगों की सुरक्षा को लेकर डीएम ने एनडीआरएफ, एसडीआरएफ को एक्टिव मोड में रखने तथा उसके साथ दो-दो वॉलंटियर और गोताखोर को संबद्ध करने का निर्देश दिया ताकि दुर्घटना की खबर पाते ही टीम पूरी बिना देर किए हुए समय पर पहुंचे तथा सुरक्षा प्रदान किया जा सके। उधर, गंगा घाटों पर पुलिस टीम भी तैनात रहेगी।


ये है महापर्व की प्रमुख तिथियां
नहाय-खाए : सोमवार 08 नवंबर
खरना : मंगलवार 09 नवंबर
सायंकालीन अघ्र्य : बुधवार 10 नवंबर
प्रात:कालीन अघ्र्य : गुरुवार 11 नवंबर