चाइनीज मांझे पर हाईकोर्ट के बैन के बाद भी खुले आम बिक रहा है मौत का ये सामान

आई नेक्स्ट के स्टिंग ऑपरेशन में सामने आया सच

1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ

स्पॉट-1

दालमंडी

दालमंडी का इलाका मांझा, पतंग की ब्रिकी के लिए फेमस है। यहां से हर साल करोड़ों रुपये के चाइनीज मांझे का कारोबार होता है। इसलिए हाईकोर्ट के इस पर बैन लगाने के बाद इसकी सच्चाई जानने के लिए हम शुक्रवार को दालमंडी पहुंचे। यहां मौजूद लगभग आधा दर्जन पतंग की दुकानों पर हमने पड़ताल की तो पता लगा कि हर दुकान पर हाईकोर्ट की ओर से प्रतिबंधित किया गया चाइनीज मांझा धड़ल्ले से बिक रहा था।

स्पॉट-2

औरंगाबाद

शहर के पुराने पतंग बाजार में औरंगाबाद क्षेत्र में स्थित पतंग की दुकानें भी आती हैं। यहां मौजूद लगभग दस दुकानों पर भी चाइनीज मांझे की ब्रिकी की सच्चाई जानने के लिए हम पहुंचे थे यहां पर। कुछ दुकानों पर तो चाइनीज मांझा नहीं मिला लेकिन कुछ पर बगैर किसी डर के धड़ल्ले से खुलेआम इसकी ब्रिकी जारी थी।

आई नेक्स्ट की पड़ताल में चाइनीज मांझा की ब्रिकी पर बैन के बाद सामने आया ये सच प्रशासन के लिए आई ओपनर है। क्योंकि पिछले दो साल पहले चाइनीज मांझा की चपेट में आकर एक बच्चे की मौत के बाद इसे प्रशासन ने बैन किया था। इसके बाद भी इसकी ब्रिकी जारी रही। नतीजा ये हुआ कि लगातार ये लोगों को घायल करता रहा। हालांकि गुरुवार को हाईकोर्ट ने इसे संज्ञान में लेते हुए तत्काल बैन लगाने का निर्देश दिया है। निर्देश में ये भी साफ था कि 24 घंटे के अंदर इसकी ब्रिकी, स्टोरेज और निर्माण सभी को रोका जाये। फिर भी इस आदेश का कोई असर अपने शहर में तो नहीं दिखा।

आखिर कब चेतेगा प्रशासन?

ये सवाल बड़ा है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी प्रशासन और पुलिस चाइनीज मांझे की ब्रिकी को रोकने के लिए अब तक सुस्त क्यों है? चौक थाने के पीछे दालमंडी और लक्सा थाने से कुछ दूर पर बसे औरंगाबाद में न सिर्फ इस प्रतिबंधित मांझे की ब्रिकी हो रही है बल्कि इसकी जबरदस्त स्टोरेज भी है। कारोबारी खुद बताते हैं कि बनारस से ही बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ तक चाइनीज मांझे को सेल के लिए भेजा जाता है। इसके बाद भी इस ओर पुलिस प्रशासन मौन है। जिसके कारण चाइनीज मांझे के कारोबारी बेखौफ होकर इसकी ब्रिकी करते हुए लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं।

--------------------

अंदर के पेज के लिए

ले चुका है जान फिर भी हर कोई बना अंजान

- चाइनीज मांझा दो साल पहले मासूम की मौत की बना था वजह

- हाल ही में कई लोग इसकी जद में आकर हो चुके हैं जख्मी

1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ

इंडिया में चाइना ने लगभग हर बाजार पर अपना कब्जा कर लिया है लेकिन अब चाइना जान लेने लगा है। ये जिस टूल से जान ले रहा है वो है चाइनीज मांझा। एक मासूम की मौत की वजह बने इस मांझे ने कई और लोगों को भी अस्पताल पहुंचाया है। इसके बाद भी कत्ल का सामान शहर में दुकानों पर खुलेआम बिक रहा है और पुलिस प्रशासन अब तक इससे अंजान बना है।

प्लास्टिक पर चढ़ता है कांच

- बाजार में बिक रहा चाइनीज मांझा दूसरे मांझों की तरह नहीं है

- प्लास्टिक की बारीक डोर पर कांच का कोट लगाया गया है

- जिसके खिंचने पर हाथ काटेगा, गर्दन काटेगी, लेकिन टूटेगा नहीं

- अगर किसी के पैर में, हाथ में या फिर गर्दन में उलझ जाए तो इसे निकालना मुश्किल है

- इस मांझे से कई घटनाएं भी हो चुकी हैं

- 23 दिसम्बर 2013 को मंडुवाडीह के मढौली में इसकी चपेट में आकर पांच साल के रोहित की मौत हुई थी।

- मार्च में ककरमत्ता में बाइक से जा रहे बीएचयू के प्रोफेसर पर चाइनीज मांझा गिरा और उनका हाथ, गला और कंधा बुरी तरह से जख्मी हो गया

- अक्टूबर में ककरमत्ता ओवरब्रिज पर ही मंडुवाडीह के सुनील पर चाइनीज मांझे का ऐसा कहर टूटा की वो कई महीने घर पर आराम करने पर मजबूर हो गए

- पाण्डेयपुर फ्लाईओवर पर भी चाइनीज मांझे की चपेट अनूप कुमार बुरी तरह घायल हो चुके हैं

नुकसान हैं बहुत फिर भी

- इसके अचानक से सड़क पर गिरने से इसमें फंसकर रोड पर चल रहे लोग घायल होते हैं

- छोटे छोटे बच्चे पतंग उड़ाते वक्त इसकी चपेट में आकर अपनी हाथ की उंगलिया तक जख्मी कर रहे हैं

- आसमान से लेकर जमीन तक इसमे फंसने से पक्षियों की मौत हो रही है

- गाडि़यों में फंसने से पहियों के डैमेज होने का खतरा बना हुआ है

- इधर उधर सड़क पर फेके जाने से इसमें फंसकर लोग गिर पड़ भी रहे हैं और पैर कटने से चोटिल भी हो रहे हैं

- बिजली के तारों में फंसने से तार कट जाने के कारण ये बिजली गुल होने की भी वजह बन रहा है

बनता है इंडिया में फिर नाम चाइनीज क्यों?

- चाइनीज मांझा की मेकिंग इंडिया में ही होती है

- दिल्ली, हरियाणा में इसका निर्माण ज्यादा होता है

- फिर भी इसे चाइनीज मांझा कहते हैं

- किलो के हिसाब से बिकने वाले इस मांझे का निर्माण शीशे और नाइलोन से होता है

- शीशे के ज्यादा यूज से ये इतना पैना होता है कि इसे छूते ही हाथ या शरीर के किसी अंग के कटने का खतरा होता है