- जेल में पैरामेडिकल का प्रशिक्षण लेकर साथियों का इलाज कर रहे 40 कैदी

- सेंट्रल जेल में रिकवरी रेट 100 प्रतिशत, 70 कैदियों ने कोरोना को हराया

कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए लोग आत्मनिर्भर बनने लगे हैं। इसी कड़ी में वाराणसी जेल भी कोरोना से लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार है। सेंट्रल जेल में कोरोना मरीजों की रिकवरी रेट 100 प्रतिशत के करीब है। ऐसा इस लिए हुआ कि सेंट्रल जेल के अधिकारियों व चिकित्सकों ने कैदियों को पैरामेडिकल स्टाफ के रूप में प्रशिक्षित किया है, जो कोरोना पॉजिटिव मरीजों कीदेखभाल ही नहीं, बल्कि साथी बंदियों को मौत के मुंह से भी खींच ला रहे हैं।

सीमित संसाधन में बेहतर इलाज

सेंट्रल जेल के कैदियों को पैरामेडिकल की ट्रेनिंग यह सोच कर दी गई थी कि वे जब जेल से बहार जाएं तो आमजन की चिकित्सकीय सेवा कर लोगों का नजरिया बदल पाए, लेकिन ये हुनर सबसे पहले उनको अपने साथी बंदियों की जान बचाने में काम आया। सेंट्रल जेल के चिकित्साधिकारी डॉ। अभिषेक ने बताया कि जेल प्रशासन के सहयोग से हमने 40 कैदियों को पैरामेडिकल स्टाफ के रूप में प्रशिक्षित किया था, जो बेहद संजीदगी से पैरामेडिकल स्टाफ की तरह काम कर रहे हैं। अपने बंदी साथियों को मौत के मुंह से निकाल लाये हैं। ये काम चुनौती पूर्ण इस लिए भी है, क्योंकि कारगार में बुजुर्गो की संख्या करीब 250 है। इसके साथ ही कई रोगों से ग्रसित भी बहुत से बंदी है। इसमें कुछ कैंसर पीडि़त भी हैं, जबकि जेल में संसाधन सीमित है। बावजूद इसके जेल में बेहतर इलाज से लगातार बंदी निगेटिव होते जा रहे हैं।

दो सप्ताह में पॉजिटिव से हो गए निगेटिव

जेल में बंद असहाय कैदियों का भी टीकाकरण भी हो चुका है। डॉ। अभिषेक ने बताया कि सरकार ने जेल के मेडिकल स्टाफ का भी टीकाकरण समय से करवाया है। इससे स्वस्थ रहते हुए कोरोना मरीजों के इलाज में काफी मदद मिल रही है। सेन्ट्रल जेल के वरिष्ठ अधीक्षक के अनुसार कारागार में 70 बंदी कोरोना पॉजिटिव हुए थे। करीब दो सप्ताह में कोरोना पाजिटिव बंदी निगेटिव हो गये थे। अभी केवल 13 बंदी कोरोना पॉजिटिव हैं। इनका इलाज चल रहा है। जिला जेल के जेलर पवन त्रिवेदी ने बताया कि पहले से चिकित्सकीय सेवा से जुड़े बंदी व अन्य बंदी मिलकर जिला जेल में भी कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे हैं। इससे कोरोना संक्रमित जल्दी स्वस्थ हो रहे है।

बाहर निकलने पर चला सकते हैं आजीविका

आजीवन कारावास की सजा काट रहे रवि सिंह, सुनील, बबुन्न, नरेंद्र, जितेन्द्र मेडिकल टीम के सदस्य हैं, वे बताते हैं कि यहां के चिकित्साधिकारी डॉ। अभिषेक ने हम सभी को इस प्रकार प्रशिक्षित किया है कि हम किसी भी पैरामेडिकल स्टाफ की तरह सेवा देने में सक्षम हैं। आज हमारे हाथ में ऐसा एक हुनर हो गया है कि चिकित्सा जैसे पुनीत कार्य करके हम अपनी आजीविका तो चला ही सकते हैं। साथ ही जीवनदान देने में भागी बन सकते हैं। जेल जिसे सुधार गृह भी कहते हैं, यहां से निकल कर लोगों की सेवा करके अपने ऊपर लगे कलंक को धुल सकते हैं।

वर्जन

कारागार में करीब 1675 बंदी हैं। जिसमें लगभग 70 बंदी कोरोना पॉजिटिव हुए थे। करीब दो सप्ताह में अधिकतर बंदी निगेटिव हो गए। मौजूदा समय में केवल 13 बंदी कोरोना पॉजिटिव हैं। इनका देखभाल और इलाज चल रहा है। किसी भी बंदी की स्थिति गंभीर नहीं हुई कि उन्हें आईसीयू या वेंटीलेटर की जरुरत पड़े।

-अरविन्द सिंह, वरिष्ठ अधीक्षक, सेन्ट्रल जेल