कोरोना और लॉकडाउन के चलते 800 करोड़ का हुआ नुकसान

माह-ए-रमजान, अलविदा और अब ईद की खुशियों को कोरोना के साये ने फीका कर दिया है। मुस्लिमों का सबसे बड़ा त्योहार ईद पास आने के बावजूद कारोबारियों में मायूसी है। लॉकडाउन के चलते कपड़ा, ज्वेलरी, जूता-चप्पल और इत्र का बाजार पूरी तरह से बंद है। ईद पर खरीदारी नहीं होने के कारण भारी नुकसान हुआ है। कोरोना के चलते इस बार 800 करोड़ रुपये का नुकसान का आंकलन है। हालांकि जरूरी सामान की दुकानें दोपहर एक बजे तक ही खुली है, जहां सेवई, मेवा, दूध, ब्रेड समेत सामान की जबरदस्त बिक्री हो रही है।

रातभर गुलराज रहती थी मार्केट

ईद का कोरोबार शहर में न के बराबर है। जिस वक्त खरीदारी उफान पर होनी चाहिए तब बाजार बंद पड़े हैं। ईद के पंद्रह दिन पहले से शहर में पूरी रात खरीदारी होती थी। नई सड़क, गोदौलिया, हड़हा सराय, चौक, दालमंडी, गुरुबाग, अर्दलीबाजार, पांडेयपुर बाजार में जमकर खरीदारी होती थी। मुस्लिम महिलाएं और पुरुष की भीड़ के चलते रौनक देखते ही बनती थी। पिछले साल लॉकडाउन का दंश झेल चुके कारोबारियों को इस बार कुद उम्मीद थी, लेकिन अबकी बार हालात और बुरे होने से उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा है। कारोबारियों का कहना है कि रमजान और ईद का कारोबार एक हजार करोड़ तक पहुंचाता था, जो पूरी तरह बर्बाद हो गया।

कपड़े नहीं बिकने से तीन सौ करोड़ का नुकसान

शहर और देहात की बात करें तो ईद पर सबसे ज्यादा कपड़े बिकते हैं। इसके चलते नई सड़क, बेनियाबाग गोदौलिया, हड़हा सराय, दालमंडी, गुरुबाग, अर्दलीबाजार, पांडेयपुर बाजार में जमकर खरीदारी होती थी, लेकिन लॉकडाउन के चलते इस बार भी मार्केट पूरी तरह से बंद है। सामान्य दिनों में इन मार्केट में हर दिन डेढ़ से दो लाख खरीदारी करने आते हैं, जो त्योहारी मौके पर डबल हो जाती है। कारोबारियों का कहना है कि रेडीमेड कपड़े, सिलाई वाले कपड़ों और कुर्ता पायजामा की खरीद को मिला दें तो तीन सौ करोड़ से ऊपर यही हो जाता है, लेकिन कोरोना के चलते सब चौपट हो गया।

दस साल पीछे चले गए

जूता-चप्पल का कारोबार भी ईद पर बड़ा चलता है। बेनियाबाग, हथुआ मार्केट, मैदागिन, मालवीय मार्केट, गोदौलिया, चौक, लंका, पांडेयपुर में खूब खरीदारी होती है, लेकिन इस बार कोरोना ने चौपट कर दिया। बेनियाबाग के चप्पल व्यापारी मो। इमरान कहते हैं कि दो साल ईद की बिक्री रुकने से हम दस साल पीछे चले गए। करीब दो करोड़ का नुकसान हुआ है।

गायब है ज्वेलरी की चमक

ज्वेलरी की चमक से ईद की खुशियां कई गुना बढ़ जाती है। कपड़ों के साथ महिलाएं अपनी क्षमता के अनुसार ज्वेलरी भी खरीदती हैं। ईद के मौके पर रेमश कटरा, गोदौलिया, भैरोनाथ समेत ज्वेलरी के सभी शॉप में जबर्दस्त भीड़ रहती थी, लेकिन इस बार कोरोना के चलते 23 अप्रैल से ही ज्वेलरी मार्केट बंद है। लॉकडाउन की वजह से शोरूम के शटर गिरे हैं। इर्द पर करीब 200 करोड़ का कोराबार होता है, लेकिन कोरोना के चलते दो साल बेकार हो गया।

जकात और सदका बढ़ा

अपनों की मौत या फिर परेशानी देख इस बार मुस्लिमों ने खुद से ही ईद सादे तरीके से मनाने का फैसला लिया है। साड़ी कारोबारी तुफैल अंसारी बताते हैं कि खरीदारी न के बराबर हुई तो जकात और सदका बढ़ गया। पूरे रमजान हर किसी ने गरीबों और बेसहारों की मदद की। कोई राशन बांटता रहा तो किसी ने सब्जी और दूध बांटा। साल भर पर निकलने वाली जकात करोड़ों में निकली। इस पर गरीबों का ही हक होता है। उन्हें ईद से काफी पहले रमजान में ही जकात मिल गई।

ईद पर आठ सौ करोड़ से ज्यादा नुकसान शहरी कारोबार को हुआ है। दो साल से ईद पर कारोबार न होना बहुत बड़ी चिंता की बात है। इससे कारोबारियों का काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।

-संजय गुप्ता, अध्यक्ष युवा व्यापार मंडल

दो सालों से ईद लॉकडाउन में ही गुजर रही है। कारोबारियों का यह भारी नुकसान है। ईद मुस्लिमों का सबसे बड़ा त्योहार है। कई सालों तक कारोबार के नुकसान की भरपाई मुश्किल होगी।

-राम कुमार, ज्वेलरी कारोबारी

ईद कारोबारियों की कमर सीधी कर देती थी। ईद पर कपड़े, जूते-चप्पल, गहने समेत घर के अन्य सामान बिकते हैं। ऐसे में छह सौ करोड़ का कारोबार पूरे जनपद में हो जाता था। अब व्यापारी इसकी भरपाई कहां से करेगा।

-मनीष गुप्ता, कपड़ा व्यापारी